Thursday, April 25th, 2024 Login Here
भोपाल। राज्य सरकार ने शिवराज सरकार के समय हुए सामाजिक सुरक्षा पेंशन घोटाले, मंदसौर में किसान गोलीकांड और पेटलावद मोहर्रम जुलूस विवाद की जांच रिपोर्ट को खोलने का फैसला किया है। न्यायिक जांच आयोग की यह रिपोर्टें काफी समय से ठंडे बस्ते में पड़ी थीं। इनके विधानसभा के मानसून सत्र में रखे जाने के पूरे आसार हैं। हालांकि, रिपोर्ट सदन में टेबल करने से पहले इनकी समीक्षा कराई जाएगी
दरअसल, कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के वक्त अपने वचन पत्र में जैन आयोग की रिपोर्ट पटल पर रखने के साथ दोषियों को सजा दिलाने का वादा जनता से किया था। मंदसौर किसान गोलीकांड में सबको क्लीनचिट देने पर भी पार्टी ने आपत्ति जताते हुए सरकार आने पर दोबारा जांच कराने की बात कही थी। पेटलावद में मोहर्रम के जुलूस के दौरान विवाद में भी एकपक्षीय कार्रवाई पर कांग्रेस को एतराज था। सूत्रों के मुताबिक जांच रिपोर्ट में भाजपा से जुड़े नेताओं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारियों और प्रशासनिक अमले को क्लीनचिट दी गई है।
गोलीकांड की रिपोर्ट की समीक्षा करेंगे, सीएम से चर्चा कर पटल पर रखेंगे : बाला बच्चन
गृह मंत्री बाला बच्चन ने कहा कि मंदसौर गोलीकांड की रिपोर्ट अभी टेबल नहीं हुई है। इसकी समीक्षा करवा रहे हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ से चर्चा के बाद इसे पटल पर रखा जाएगा। पेंशन घोटाले संबंधी जैन आयोग और पेटलावद जांच आयोग की रिपोर्ट भी तैयार कर ली है। इन्हें इसी सत्र में टेबल किया जाएगा।
पेटलावद मोहर्रम जुलूस विवाद
12 अक्टूबर 2016 को पेटलावद में मोहर्रम जुलूस रोकने पर सांप्रदायिक तनाव की स्थिति बन गई थी। विवाद में पुलिस ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नगर कार्यवाह संदीप भायल, पूर्व नगर कार्यवाह लूणचंद परमार, पूर्व महामंत्री मुकेश परमार, आकाश सोलंकी, नरेंद्र पडियार सहित अन्य को मुकदमा दर्ज करके गिरफ्तार किया था। पुलिस की कार्रवाई पर सियासत गरमाने से सरकार ने जस्टिस आरके पांडे की अध्यक्षता में जांच आयोग बनाया था। आयोग ने अक्टूबर 2017 में जांच रिपोर्ट सौंपी। इसमें पुलिस की कार्रवाई को बदला लेने वाली माना गया और तत्कालीन डीएसपी राकेश व्यास व थाना प्रभारी करणी सिंह शक्तावत को दोषी ठहराया। संघ पदाधिकारियों को जांच में क्लीनचिट दे दी गई कि घटना सुनियोजित रणनीति का हिस्सा नहीं थी। पुलिस ने बदला लेने के मौके के तौर पर इस मामले को देखा और झूठा प्रकरण बनाया।
छह जून 2017 को मंदसौर में फसल के उचित दाम को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों पर पुलिस ने गोली चलाई थी। इसमें छह किसानों की मृत्यु हुई। इससे प्रदेश में बड़ा किसान आंदोलन खड़ा हो गया। सरकार ने आनन-फानन में जस्टिस जेके जैन की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन कर दिया। इसने 11 जून 2018 को रिपोर्ट सौंपी। सूत्रों के मुताबिक पुलिस को क्लीनचिट दी गई। बताया गया कि भीड़ को तितर-बितर करने और आत्मरक्षा के लिए गोली चलाना आवश्यक और न्यायसंगत था। आयोग ने तत्कालीन कलेक्टर स्वतंत्र कुमार और एसपी ओपी त्रिपाठी को भी सीधे तौर पर दोषी नहीं ठहराते हुए सिर्फ इतना कहा कि पुलिस और जिला प्रशासन का सूचना तंत्र कमजोर था। आपसी सामंजस्य की कमी ने आंदोलन को उग्र होने दिया।
जिला प्रशासन को किसानों की मांगों व समस्याओं की जानकारी नहीं थी और न ही उन्होंने जानने का प्रयास किया। जब पांच जून को आंदोलनकारियों ने तोड़फोड़ और आगजनी की तो उन पर तत्काल कार्रवाई की जानी थी, जो नहीं हुई। अप्रशिक्षित लोगों से आंसू गैस के गोले चलवाए गए। गोली चलाने में पुलिस ने नियमों का पालन नहीं किया। पहले पांव पर गोली चलानी चाहिए थी। आंदोलन असामाजिक तत्वों के नियंत्रण में चला गया था।
पेंशन घोटाला
राष्ट्रीय वृद्धावस्था और सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना में गड़बड़ी की शिकायत पर जस्टिस एनके जैन की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग बनाया गया था। आयोग ने करीब एक हजार पेज की रिपोर्ट तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को 2013 में सौंपी थी। तभी से जांच रिपोर्ट सामान्य प्रशासन, सामाजिक न्याय और मुख्यमंत्री कार्यालय के बीच झूल रही है। जांच के केंद्र में इंदौर नगर निगम था।
सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में पूर्व मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ ऐसे कोई सबूत सामने नहीं आए, जिससे उनकी सीधी भूमिका तय हो सके। हालांकि, इंदौर में पेंशन योजना के 15 हजार हितग्राहियों का पता नहीं लगा है। नंदानगर समिति ने पेंशन के बचे हुए 17 लाख रुपए भी जमा कर दिए। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि करीब सवा लाख अपात्रों को पेंशन लंबे समय तक दी जाती रही। इसमें कई की मृत्यु काफी पहले हो गई थी।