Friday, April 19th, 2024 Login Here
यह समय ही बताएगा कि कश्मीर का दौरा कर लौटे योरपीय संघ के सांसदों का नजरिया भारत के इस हिस्से के बारे में विश्व समुदाय के रुख-रवैये को प्रभावित करने में कितना सहायक होगा, लेकिन इसमें दोराय नहीं कि यह घाटी के हालात पर भी निर्भर करेगा। योरपीय देशों के सांसदों के श्रीनगर पहुंचते ही आतंकियों ने जिस तरह पश्चिम बंगाल के मजदूरों को निशाना बनाया, उससे यह स्पष्ट है कि कश्मीर के हालात ठीक करने में अभी समय लगेगा। नि:संदेह इसमें सफलता तब मिलेगी, जब आतंकियों को भागने के लिए विवश किया जाएगा। यदि आम कश्मीरी जनता कश्मीर को बदनाम करने और वहां दहशत फैलाने में जुटे आतंकियों के खिलाफ मुखर हो सके तो माहौल कहीं आसानी से बदला जा सकता है। हालांकि कश्मीर में पहले भी बाहरी लोगों को निशाना बनाया जाता रहा है, लेकिन बीते कुछ दिनों में घाटी के बाहर के लोगों को जिस तरह चुन-चुनकर मारा गया, उससे स्पष्ट है कि पाकिस्तानपरस्त आतंकी न सिर्फ गैर-कश्मीरियों में खौफ पैदा करने पर आमादा हैं, बल्कि उनकी तथाकथित लड़ाई का भी राजनीतिक अधिकारों से कोई लेना-देना नहीं। सच यही है कि कश्मीर में अधिकारों के नाम पर आतंक का कारोबार जारी है और इसीलिए उन निर्दोष-निहत्थे लोगों को भी मारा जा रहा, जो कश्मीर की भलाई के लिए वहां मेहनत-मजदूरी कर रहे हैं।
योरपीय देशों के सांसदों के साथ विश्व समुदाय इसकी अनदेखी नहीं कर सकता कि कश्मीर गए ट्रक ड्राइवरों और वहां प्रवास कर रहे मजदूरों पर किए गए आतंकी हमलों में एक दर्जन लोगों को जान गंवानी पड़ी है। चूंकि ये आतंकी हमले पाकिस्तान के इशारे पर ही हो रहे हैं, इसलिए इससे एक सीमा तक ही संतुष्ट हुआ जा सकता है कि योरपीय देशों के सांसदों ने कश्मीर में आतंक के लिए पाकिस्तान पर निशाना साधा और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत का साथ देने की हामी भरी। आखिर पाकिस्तान को जवाबदेह कब बनाया जाएगा? इससे भी जरूरी सवाल यह कि उसे आतंकवाद को खाद-पानी देने के लिए दंडित कब किया जाएगा? इन सवालों के बीच यह अच्छा नहीं हुआ कि योरपीय देशों के सांसदों के कश्मीर दौरे को लेकर विवाद खड़ा कर दिया गया। इससे बचा जाना चाहिए था। इन सांसदों के कश्मीर दौरे को लेकर उठाए गए विपक्ष के सभी सवालों को निराधार नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इस मांग में वजन है कि आखिर इन सांसदों को कश्मीर आमंत्रित करने के पहले विपक्षी नेताओं को वहां क्यों नहीं भेजा गया? इस जायज सवाल के बावजूद यह भी सही है कि विपक्षी नेताओं के कश्मीर दौरे को विश्व समुदाय में कोई अहमियत मिलने वाली नहीं थी।
योरपीय देशों के सांसदों के साथ विश्व समुदाय इसकी अनदेखी नहीं कर सकता कि कश्मीर गए ट्रक ड्राइवरों और वहां प्रवास कर रहे मजदूरों पर किए गए आतंकी हमलों में एक दर्जन लोगों को जान गंवानी पड़ी है। चूंकि ये आतंकी हमले पाकिस्तान के इशारे पर ही हो रहे हैं, इसलिए इससे एक सीमा तक ही संतुष्ट हुआ जा सकता है कि योरपीय देशों के सांसदों ने कश्मीर में आतंक के लिए पाकिस्तान पर निशाना साधा और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत का साथ देने की हामी भरी। आखिर पाकिस्तान को जवाबदेह कब बनाया जाएगा? इससे भी जरूरी सवाल यह कि उसे आतंकवाद को खाद-पानी देने के लिए दंडित कब किया जाएगा? इन सवालों के बीच यह अच्छा नहीं हुआ कि योरपीय देशों के सांसदों के कश्मीर दौरे को लेकर विवाद खड़ा कर दिया गया। इससे बचा जाना चाहिए था। इन सांसदों के कश्मीर दौरे को लेकर उठाए गए विपक्ष के सभी सवालों को निराधार नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इस मांग में वजन है कि आखिर इन सांसदों को कश्मीर आमंत्रित करने के पहले विपक्षी नेताओं को वहां क्यों नहीं भेजा गया? इस जायज सवाल के बावजूद यह भी सही है कि विपक्षी नेताओं के कश्मीर दौरे को विश्व समुदाय में कोई अहमियत मिलने वाली नहीं थी।