Thursday, April 25th, 2024 Login Here
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भोपाल। प्रदेशभर में उच्च शिक्षा विभाग के सरकारी कॉलेज के प्रिंसिपल, प्रोफेसरों से लेकर चतुर्थ श्रेणी स्टाफ तक को पिछले महीने का वेतन नहीं मिल सका है। इनमें कुछ कॉलेज का स्टाफ तो ऐसा है जिन्हें पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिल सका है। इसके पीछे की वजह बताई जा रही है कि विभाग के अधिकारी प्रिंसिपल, प्रोफेसरों से लेकर चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की गणना ही अधिकारी नहीं कर पा रहे हैं। इस वजह से वेतन अटक गया है। वहीं वेतन अटकने की वजह विभाग के एकॉउंट में फंड की कमी भी बताई जा रही है।

दरअसल अगस्त से लेकर अब तक प्रदेश के सरकारी कॉलेज का स्टाफ वेतन के लिए लगातार परेशान हो रहा है। सबसे पहले अगस्त का वेतन स्र्का था। इस पर जब महाविद्यालयीन स्टाफ ने विभाग के अधिकारियों से मुलाकात की तो बताया गया था कि तकनीकी त्रुटि से ऐसा हुआ है। जल्द ही वेतन जारी कर दिया जाएगा। लेकिन जब वेतन नहीं मिला तो प्राध्यापक संघ ने उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी से मुलाकात की। मंत्री के निर्देश पर विभाग ने प्रदेश के कुछ कॉलेजों को वेतन राशि जारी कर दी थी। इसके बाद सितंबर अक्टूबर में भी यही स्थिति बनी। अब स्थिति यह है कि प्रदेश के अधिकांश कॉलेजों का वेतन सात दिन बीतने के बावजूद जारी नहीं किया गया है।
25 को मिल जाना था वेतन

दीपावली के त्योहार को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार ने निर्देश दिए थे कि सभी विभाग 25 अक्टूबर तक हर हाल में वेतन का भुगतान कर दिया जाए। इससे अधिकारी कर्मचारी त्योहार अच्छे से मना सकें। लेकिन इसके बावजूद वेतन का भुगतान अब तक नहीं किया गया है।
लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई हो

वेतन को लेकर पिछले करीब चार महीने से परेशानी सामने आ रही है। इसे लेकर विभाग के अधिकारियों से जब भी मुलाकात करो तो हर बार नया तर्क देते हैं। अब बताया जा रहा है कि वेतन की गणना सही तरीके से न होने से इसका भुगतान नहीं किया जा रहा है। विभाग के प्रमुख सचिव से वेतन का भुगतान जल्द किए जाने की मांग की गई है। विभाग को भी ऐसे लापरवाह अधिकारियों पर कार्यवाही करनी चाहिए।
डॉ कैलाश त्यागी, अध्यक्ष प्रदेश प्राध्यापक संघ

जल्द वेतन देने के कर रहे हैं प्रयास

वेतन के मद में ही कुछ गड़बड़ी होने के कारण इसका भुगतान अटक गया है। इस गड़बड़ी को दूर करने के लिए फाइल प्रमुख सचिव को भेज दी है। हम प्रयास कर रहे हैं कि जल्द से जल्द वेतन का भुगतान कर दिया जाए।
घनश्याम सिंह, अतिरिक्त संचालक (वित्त)उच्च शिक्षा विभाग

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