Friday, April 19th, 2024 Login Here
भोपाल। मध्यप्रदेश में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई हैप्पीनेस इंडेक्स की कवायद को सरकार ने 'होल्ड" कर दिया है। राज्य आनंद संस्थान ने राज्य में जनता की खुशहाली मापने के लिए आईआईटी खड़गपुर, ईशा फाउंडेशन और श्रीश्री रविशंकर सहित अन्य देशी-विदेशी संस्थाओं के विशेषज्ञों की सेवाएं ली थीं। प्रश्नावली बनाने से लेकर सैंपल सर्वे और सेमिनार आदि पर करोड़ों रुपए खर्च हो चुके हैं। लेकिन, अब यह पूरी कवायद ठंडे बस्ते में डाल दी गई है।
प्रदेश में सत्ता बदलने के साथ ही सरकार की प्राथमिकताएं भी बदल गईं हैं। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने फरवरी 2017 में पहली बार राज्य में हैप्पीनेस विभाग गठित कर दुनिया भर में सुर्खियां बटोरी थीं। उस वक्त यह दावा किया गया था कि देश में पहली बार मप्र के नागरिकों की खुशहाली का सूचकांक निकाला जाएगा। इसके लिए भारी-भरकम प्रश्नावली के आधार पर प्रदेश के चिन्हित जिलों में 'सैंपल सर्वे" भी हो चुका है। इसके बाद राज्य में व्यापक सर्वेक्षण भी किया जाना था। लेकिन, सरकार ने अब इसे 'होल्ड" कर दिया।
हैप्पीनेस इंडेक्स का यह था उद्देश्य
राज्य के नागरिकों की खुशहाली मापने का उद्देश्य यह बताया गया था कि इससे हमें यह पता चल सकेगा कि लोग कहां-कितने खुशहाल हैं। राज्य के किस क्षेत्र और किन वर्गों में ज्यादा समस्याएं और परेशानियां हैं। यह भी कहा गया था कि सूचकांक से यह पता करने में आसानी होगी कि किस तरह की योजनाएं बनाई जाएं। इसी आधार पर सरकार संबंधित क्षेत्र में जरूरत के मुताबिक विकास संबंधी योजनाएं बनाएगी।
विवाद की स्थिति बनती
सरकार यह आशंका सता रही है कि प्रदेश के खुशहाल और हैरान-परेशान तबके की तस्वीर देश-दुनिया के सामने आने से अनावश्यक विवाद की स्थिति बनेगी। सरकार के कामकाज पर सवाल उठने लगेंगे, इसलिए मामला फिलहाल ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया गया। इसके तहत रिसर्च, प्रश्नावली, सर्वेक्षण के बाद डाटा रिपोर्ट तैयार करने और उसका विश्लेषण किया जाना था। इसके आधार पर सूचकांक तैयार किया जाता।
आईआईटी खड़गपुर से हुआ था 'करार"
आईआईटी खड़गपुर के साथ राज्य आनंद संस्थान ने हैप्पीनेस इंडेक्स के संदर्भ में करीब 40 लाख रुपए के शुल्क पर अनुबंध भी किया था। पूरी कवायद पर प्रदेश का करोड़ों रुपए खर्च हुआ। हैप्पीनेस इंडेक्स की प्रश्नावली बनाने के लिए राजधानी की पांच सितारा होटल में देशी-विदेशी विशेषज्ञों का सेमिनार भी आयोजित किया गया। इसके अलावा ईशा फाउंडेशन, श्रीश्री रविशंकर की संस्था में आनंद संस्थान से संबद्ध शासकीय और अशासकीय लोगों को कोयंबटूर व बेंगलुरु भेजकर विशेष ट्रेनिंग भी दिलाई गई।
इंडेक्स का काम लंबित
राज्य आनंद संस्थान में कई तरह की गतिविधियां चल रही हैं। हैप्पीनेस इंडेक्स का काम फिलहाल लंबित है। इस पर बाद में काम कराएंगे।
- पीसी शर्मा, मंत्री
प्रदेश में सत्ता बदलने के साथ ही सरकार की प्राथमिकताएं भी बदल गईं हैं। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने फरवरी 2017 में पहली बार राज्य में हैप्पीनेस विभाग गठित कर दुनिया भर में सुर्खियां बटोरी थीं। उस वक्त यह दावा किया गया था कि देश में पहली बार मप्र के नागरिकों की खुशहाली का सूचकांक निकाला जाएगा। इसके लिए भारी-भरकम प्रश्नावली के आधार पर प्रदेश के चिन्हित जिलों में 'सैंपल सर्वे" भी हो चुका है। इसके बाद राज्य में व्यापक सर्वेक्षण भी किया जाना था। लेकिन, सरकार ने अब इसे 'होल्ड" कर दिया।
हैप्पीनेस इंडेक्स का यह था उद्देश्य
राज्य के नागरिकों की खुशहाली मापने का उद्देश्य यह बताया गया था कि इससे हमें यह पता चल सकेगा कि लोग कहां-कितने खुशहाल हैं। राज्य के किस क्षेत्र और किन वर्गों में ज्यादा समस्याएं और परेशानियां हैं। यह भी कहा गया था कि सूचकांक से यह पता करने में आसानी होगी कि किस तरह की योजनाएं बनाई जाएं। इसी आधार पर सरकार संबंधित क्षेत्र में जरूरत के मुताबिक विकास संबंधी योजनाएं बनाएगी।
विवाद की स्थिति बनती
सरकार यह आशंका सता रही है कि प्रदेश के खुशहाल और हैरान-परेशान तबके की तस्वीर देश-दुनिया के सामने आने से अनावश्यक विवाद की स्थिति बनेगी। सरकार के कामकाज पर सवाल उठने लगेंगे, इसलिए मामला फिलहाल ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया गया। इसके तहत रिसर्च, प्रश्नावली, सर्वेक्षण के बाद डाटा रिपोर्ट तैयार करने और उसका विश्लेषण किया जाना था। इसके आधार पर सूचकांक तैयार किया जाता।
आईआईटी खड़गपुर से हुआ था 'करार"
आईआईटी खड़गपुर के साथ राज्य आनंद संस्थान ने हैप्पीनेस इंडेक्स के संदर्भ में करीब 40 लाख रुपए के शुल्क पर अनुबंध भी किया था। पूरी कवायद पर प्रदेश का करोड़ों रुपए खर्च हुआ। हैप्पीनेस इंडेक्स की प्रश्नावली बनाने के लिए राजधानी की पांच सितारा होटल में देशी-विदेशी विशेषज्ञों का सेमिनार भी आयोजित किया गया। इसके अलावा ईशा फाउंडेशन, श्रीश्री रविशंकर की संस्था में आनंद संस्थान से संबद्ध शासकीय और अशासकीय लोगों को कोयंबटूर व बेंगलुरु भेजकर विशेष ट्रेनिंग भी दिलाई गई।
इंडेक्स का काम लंबित
राज्य आनंद संस्थान में कई तरह की गतिविधियां चल रही हैं। हैप्पीनेस इंडेक्स का काम फिलहाल लंबित है। इस पर बाद में काम कराएंगे।
- पीसी शर्मा, मंत्री