Friday, April 19th, 2024 Login Here
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भोपाल।   कमलनाथ सरकार ने कर्मचारियों की समस्याओं के निराकरण के लिए गठित होने वाले कर्मचारी आयोग का मसौदा तैयार कर लिया है। यह 15 लाख से ज्यादा नियमित, संविदा, अंशकालिक, कार्यभारित, संविदा, निकायों के कर्मचारियों के अलावा पेंशनर्स से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श करके सिफारिश सौंपेगा।
 आयोग शासन की कार्यप्रणाली को बेहतर और परिणाममूलक बनाने के साथ ही सेवा शर्तों र्के मौजूदा ढांचे को समय के अनुरूप बनाने की अनुशंसा भी करेगा। इसके अध्यक्ष और सदस्यों का फैसला मुख्यमंत्री कमलनाथ से परामर्श करके जल्द कर लिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि आयोग का अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश या वरिष्ठ आईएएस अफसर को बनाया जाएगा। इसमें कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधि को भी शामिल किया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक बजट में वित्तमंत्री तरुण भनोत की आयोग बनाने की घोषणा के मद्देनजर विभाग ने आयोग को सौंपे जाने वाले कामों का मसौदा सोमवार को तैयार कर लिया। इसका दायरा पहले के आयोगों की तुलना में बढ़ाया गया है। यह सिर्फ सातवें वेतनमान की विसंगतियों के निराकरण तक सीमित नहीं रहेगा। इसके दायरे में राज्य की सिविल सेवाओं को प्राप्त हो रहे क्रमोन्न्त, समयमान वेतनमान से जुड़े नियम, निर्देशों का अध्ययन करके सुझाव देना भी रहेगा। पेंशनर्स को दी जा रही सुविधाओं के साथ उनकी समस्याओं को दूर करने के अलावा संस्थाओं को आधुनिक तथा व्यवसायिक संस्थाओं के रूप में परिवर्तन के उपाय भी आयोग तलाशेगा।  वित्त विभाग के मुताबिक आयोग सिफारिश करते समय अन्य प्रदेश व केंद्र सरकार के बराबरी के संवर्गों र्के पदनाम/वेतनामान, प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय, राज्य की आर्थिक स्थिति, लोक वित्त के प्रबंधन, राज्य के वित्तीय संसाधनों पर उसके आर्थिक विकास की आवश्यकताओं के मद्देनजर मांग को ध्यान में रखेगा। आयोग को यह अधिकार दिया गया है कि वो स्वयं तय करेगा कि उसे किस तरह से काम करना है। जिस विभाग से चाहें वो जानकारी, दस्तावेज, स्टाफ सहित अन्य सहायता प्राप्त कर सकेगा। आयोग को एक साल के भीतर सिफारिश देनी होगी। इस बीच उसे अंतरिम प्रतिवेदन भी देना होगा।
 इनको लेकर
करेगा सिफारिश
 शासकीय सेवक, स्थानीय निकायों के कर्मचारी, विधिक संस्थाओं के कर्मचारी, शासन के सौ फीसदी अनुदान से पोषित संस्थाओं के कर्मचारी, कार्यभारित और आकस्मिकता निधि से वेतन पाने वाले कर्मचारी, संविदा सेवाओं तथा स्थायी सेवाओं के कर्मी, पूर्णकालिक व अंशकालिक मानदेय प्राप्त कर्मचारी और पेंशनर्स।

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