Friday, April 19th, 2024 Login Here
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मुंबई/पटना। लोकसभा में सोमवार को नागरिकता संशोधन बिल (कैब) पर गैर-राजग तथा राजग के घटक दलों के समर्थन से उसे आसानी से पारित कराए जाने के बाद अब सियासी समीकरण बदलते दिख रहे हैं। बिल पर राज्यसभा में सरकार की असली परीक्षा होगी। राज्यसभा में यह बिल बुधवार को पेश किया जाना है। राज्यसभा में विपक्ष मजबूत स्थिति में है। मालूम हो कि पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ना से तंग होकर भारत आने वाले गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने वाले- नागरिकता संशोधन बिल को लोकसभा ने सोमवार देर रात 80 के मुकाबले 311 मतों से पारित कर दिया था।
इससे पहले शिवसेना ने मंगलवार को यू-टर्न का संकेत दिया, जबकि राजग के सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) के भी दो वरिष्ठ नेताओं ने अपने नेतृत्व के फैसले से असहमति जताते हुए समर्थन को लेकर पुनर्विचार की अपील की है। मालूम हो इन दोनों ही पार्टियों ने लोकसभा में बिल का समर्थन किया था। यह बिल बुधवार को राज्यसभा में रखा जाएगा। हाल ही में भाजपा से अलग होकर महाराष्ट्र में कांग्रेस-राकांपा के संग महा विकास अघाडी की सरकार बनाने वाली शिवसेना के अध्यक्ष तथा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने साफ-साफ कहा कि जब तक उनकी पार्टी द्वारा उठाए गए सवालों पर बातें स्पष्ट नहीं हो जातीं, तब शिवसेना राज्यसभा में बिल का समर्थन नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि बिल पर विस्तृत चर्चा और बहस जरूरी है।
जरूरत है धारणा बदलने की : उद्धव
ठाकरे ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मोदी सरकार को बिल लागू करने से ज्यादा अर्थव्यवस्था, रोजगार संकट तथा बढ़ती मंहगाई खासकर प्याज की कीमतों जैसी अन्य समस्याओं की चिंता करनी चाहिए। उन्होंने कहा- 'हमें इस धारणा को बदलने की बदलने की जरूरत है कि जो इस बिल और भाजपा का समर्थन करेगा, वह राष्ट्रभक्त है और जो इसका विरोध करेगा वह राष्ट्र विरोधी है। सरकार को इस पर उठाए गए सभी सवालों के जवाब देने चाहिए।"
ठाकरे ने कहा- 'भाजपा सोचती है कि जो उससे असहमत हैं, वे देशद्रोही हैं।" उन्होंने कहा कि शिवसेना ने बिल में कुछ बदलाव के सुझाव दिए हैं, जिन्हें राज्यसभा में लाए जाने वाले बिल में शामिल किया जाना चाहिए। इसका स्पष्टीकरण होना चाहिए कि शरणार्थी कहां और किस राज्य में रहेंगे?
उन्होंने कहा- 'हमने कुछ सवाल उठाए थे लेकिन उनके जवाब नहीं मिले। भाजपा को यह भ्रम है कि सिर्फ वही देश की फिक्र करती है। लेकिन हम अपना रुख इससे तय नहीं करते कि किसे पसंद आएगा और किसे नहीं।"
जदयू में नीतीश से पुनर्विचार की अपील
वहीं, राजग के घटक जदयू में बिल को समर्थन को लेकर मतभेद सामने आ गए हैं। पार्टी उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर तथा महासचिव पवन कुमार वर्मा ने लोकसभा में पार्टी द्वारा बिल को समर्थन दिए जाने पर निराशा जताई है। बिल को 'भेदभावपूर्ण तथा असंवैधानिक" करार देते हुए पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार से राज्यसभा में बिल का समर्थन करने पर पुनर्विचार का आग्रह किया है।
हालांकि भाजपा ने बिल का समर्थन किए जाने पर अपने सहयोगी जदयू के प्रति आभार जताया है। उल्लेखनीय है कि जदयू ने हाल ही में 'तीन तलाक" बिल तथा जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल का विरोध किया था।
जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता वर्मा ने अपने एक ट्वीट में लिखा- 'मैं राज्यसभा में कैब (नागरिकता संशोधन बिल) का समर्थन करने को लेकर श्री नीतीश कुमार से पुनर्विचार का आग्रह करता हूं। यह बिल असंवैधानिक, भेदभावपूर्ण तथा देश की एकता और सौहार्द के खिलाफ होने के साथ ही जदयू के सेकुलर सिद्धांतों का भी विरोधी है। गांधीजी होते तो इसका कड़ा विरोध करते।"
एक टीवी चैनल से बातचीत में यह पूछे जाने पर कि क्या वह राज्यसभा में पार्टी का रुख बदलने के लिए नीतीश कुमार से कहेंगे, वर्मा ने कहा- 'मैं अपने नेता के संपर्क में रहूंगा लेकिन यह मेरे और पार्टी के बीच ही रहेगा।"
इसके पहले, सोमवार रात जब लोकसभा में बिल पर मत विभाजन हो रहा रहा था, तभी प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर कहा- 'जदयू को कैब का समर्थन करते देख निराश हूं। यह (बिल) धर्म के आधार पर नागरिकता के अधिकार में भेदभाव करता है। यह पार्टी के संविधान के असंगत है, जिसके पहले ही पन्न्े पर तीन बार सेकुलर शब्द है और नेतृत्व गांधीवादी विचारों को मानने वाला है।"
वहीं, बिहार भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने इन दोनों नेताओं पर परोक्ष आक्षेप करने वाले एक ट्वीट में कहा है कि कुछ लोग खुद को संस्था मान लेते हैं या सांगठनिक ढांचे से ऊपर स्थापित करना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि उनके नेता उनके हुक्म पर चलें। जो लोग अपने देश के लिए मतभेद खत्म नहीं कर सकते, वे व्यर्थ हैं। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में बिल को समर्थन के लिए जदयू को धन्यवाद भी दिया है।
Chania