Tuesday, April 23rd, 2024 Login Here
केन्द्र सरकार की श्रम विरोधी नीतियों के विरोध मेंउतरे संगठन
मन्दसौर निप्र । केन्द्र सरकार की श्रम विरोधी एवं जन विरोधी नीतियों के खिलाफ देश के लगभग 25 करोड़ से ज्यादा मेहनतकश देश के दस शीर्ष श्रम संगठनों के आव्हान पर आज हड़ताल पर रहे। उसी तारतम्य में मंदसौर में भी बैंक यूनियन्स के आव्हान पर अखिल भारतीय हड़ताल को सफल बनाने के लिये बैंक कर्मचारी हड़ताल पर रहे। हड़ताल के दौरान मौन रहकर विरोध व्यक्त किया।
केन्द्र सरकार की जनविरोधी-श्रम विरोधी नीतियां, कारपोरेट परस्त श्रम नीतियां होने से श्रमिकों को उनके लाभों से वंचित किया जा रहा है। साथ ही महत्वपूर्ण संस्थानों में निजीकरण, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, रोजगार के अवसर कम करना, बढ़ती महंगाई-घटती मजदूरी, श्रम का उचित मूल्य न मिलना, रोजगार में लगे लोगों को जबरन रिटायर करना, मिःस टर्म इम्प्लायमेंट नियम, टेड यूनियन के अधिकारों पर हमले किये जा रहे है, श्रम कानूनों कों निष्क्रिय कर लेबर कोड बनाकर श्रमिकों के शोषण का औजार तैयार किया गया है जो न तो देशहित में है और न श्रमिक/कामगारों के हित में।
बैंक यूनियन, ए.आई.बी.ई.ए., एआई बीओए, बीईएफआई, आई एन बीई एफ, आईएनबीओसी संगठनों ने इस हड़ताल में शामिल होकर इनके सदस्य आज हड़ताल पर रहे व केन्द्र सरकार की श्रम विरोधी नीतियों पर विरोध व्यक्त किया। बैंक यूनियन ने मजदूरों को राष्टीय सम्मेलन के मांग पत्र के समर्थन के अतिरिक्त जन-विरोधी बैंकिंग सुधार एवं बैंकों के अनुचित विलय का विरोध, कारपोरेट क्षेत्र के चुककर्ताओं से ऋणों की शीघ्र वसूली हेतु कठोर कदम उठाने, बैंक कर्मियों के लम्बित वेतन पुनरीक्षण शीघ्र करने, बैंकों में समुचित भर्ती करने की मांग की है। मौन विरोध के दौरान बैंक संगठन के महेशप्रसाद मिश्रा, रमेशचन्द्र जैन, सुरेन्द्र संघवी, जिनेन्द्र राठौर, गजेन्द्र तिवारी, शिवराजेन्द्र शास्ता, अनिल जैन, शैलेष पाठक, मनीष जैन, विपुल जैन, रमेश देवड़ा, मिथुन जैन, कैलाश मांझी, यशवंत देवड़ा, मंगलेश राठौर, दीपक चंदेल, नरेन्द्र पारूण्ड लिया, कन्हैयालाल पारूंड लिया, रवि गेहलोत, विरेन्द्र भावसार, भरत नागर, गोपाल परमार, विजय मांझी, सोनम गुप्ता, प्रांजल मांदलिया, कंचनबाई, सीटू से बालूसिंह, गनी मोहम्मद, जगदीश राठौर, ईश्वर सलोद, मनोहरलाल सेठिया, इंटक से सौभाग्यमल जैन, उषा कार्यकर्ता माधुरी सौलंकी, संतोष साल्वी, निधी पारिख, अमोलक जोशी, मंजू गेहलोद, उषा सोनगरा, सहित श्रम संगठनों के अनेक सदस्य उपस्थित थे।
मन्दसौर निप्र । केन्द्र सरकार की श्रम विरोधी एवं जन विरोधी नीतियों के खिलाफ देश के लगभग 25 करोड़ से ज्यादा मेहनतकश देश के दस शीर्ष श्रम संगठनों के आव्हान पर आज हड़ताल पर रहे। उसी तारतम्य में मंदसौर में भी बैंक यूनियन्स के आव्हान पर अखिल भारतीय हड़ताल को सफल बनाने के लिये बैंक कर्मचारी हड़ताल पर रहे। हड़ताल के दौरान मौन रहकर विरोध व्यक्त किया।
केन्द्र सरकार की जनविरोधी-श्रम विरोधी नीतियां, कारपोरेट परस्त श्रम नीतियां होने से श्रमिकों को उनके लाभों से वंचित किया जा रहा है। साथ ही महत्वपूर्ण संस्थानों में निजीकरण, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, रोजगार के अवसर कम करना, बढ़ती महंगाई-घटती मजदूरी, श्रम का उचित मूल्य न मिलना, रोजगार में लगे लोगों को जबरन रिटायर करना, मिःस टर्म इम्प्लायमेंट नियम, टेड यूनियन के अधिकारों पर हमले किये जा रहे है, श्रम कानूनों कों निष्क्रिय कर लेबर कोड बनाकर श्रमिकों के शोषण का औजार तैयार किया गया है जो न तो देशहित में है और न श्रमिक/कामगारों के हित में।
बैंक यूनियन, ए.आई.बी.ई.ए., एआई बीओए, बीईएफआई, आई एन बीई एफ, आईएनबीओसी संगठनों ने इस हड़ताल में शामिल होकर इनके सदस्य आज हड़ताल पर रहे व केन्द्र सरकार की श्रम विरोधी नीतियों पर विरोध व्यक्त किया। बैंक यूनियन ने मजदूरों को राष्टीय सम्मेलन के मांग पत्र के समर्थन के अतिरिक्त जन-विरोधी बैंकिंग सुधार एवं बैंकों के अनुचित विलय का विरोध, कारपोरेट क्षेत्र के चुककर्ताओं से ऋणों की शीघ्र वसूली हेतु कठोर कदम उठाने, बैंक कर्मियों के लम्बित वेतन पुनरीक्षण शीघ्र करने, बैंकों में समुचित भर्ती करने की मांग की है। मौन विरोध के दौरान बैंक संगठन के महेशप्रसाद मिश्रा, रमेशचन्द्र जैन, सुरेन्द्र संघवी, जिनेन्द्र राठौर, गजेन्द्र तिवारी, शिवराजेन्द्र शास्ता, अनिल जैन, शैलेष पाठक, मनीष जैन, विपुल जैन, रमेश देवड़ा, मिथुन जैन, कैलाश मांझी, यशवंत देवड़ा, मंगलेश राठौर, दीपक चंदेल, नरेन्द्र पारूण्ड लिया, कन्हैयालाल पारूंड लिया, रवि गेहलोत, विरेन्द्र भावसार, भरत नागर, गोपाल परमार, विजय मांझी, सोनम गुप्ता, प्रांजल मांदलिया, कंचनबाई, सीटू से बालूसिंह, गनी मोहम्मद, जगदीश राठौर, ईश्वर सलोद, मनोहरलाल सेठिया, इंटक से सौभाग्यमल जैन, उषा कार्यकर्ता माधुरी सौलंकी, संतोष साल्वी, निधी पारिख, अमोलक जोशी, मंजू गेहलोद, उषा सोनगरा, सहित श्रम संगठनों के अनेक सदस्य उपस्थित थे।