Tuesday, April 23rd, 2024 Login Here
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बुगलिया से शिवना में डाल रहे हरा पड़ चुका पानी वहां से उलीच कर भेज रहे पेयजल संग्रहण में
जनसारंगी ब्यूरो
मन्दसौर । कहते हैं जल ही जीवन है। लेकिन मन्दसौर नगर पालिका अपने नगर वासियों की सेहत का दुश्मन बन गया है। आप जिस पानी में एक रत्ताी कचरा दिख जाने पर वह पानी कभी नहीं पीते पर जो नगर पालिका आपको पानी पिला रही। उस पानी का हाल अगर आप अपनी आंखों से देख ले तो निश्चित ही आप नपा का पानी त्याग देंगे।
 मन्दसौर  नगर पालिका इन दिनों पेयजल संग्रहण बढ़ाने के लिये बुगलिया से विद्युत मोटरों की सहायता से शिवना नदी में पानी को ले जा रही है और वही पानी रामघाट के दूसरी और उलीच कर ले जाया जा रहा है जहां से पानी फिल्टर प्लांट तक पहुँच कर पूरे नगर में वितरित हो रहा है लेकिन बुगलिया से जिस पानी को ले जाया जा रहा है वह पानी पूरी तरह से खराब है, उसका रंग तक हरा हो गया हैं।लेकिन नपा की लापरवाही के चलते नगरवासी इसी पानी को पीने को मजबूर हैं। नदी में गंदा पानी मिलने से नलों में भी गंदा पानी आ रहा है। जाहिर बात है पानी दिखने में ही हरा दिख रहा है तो फिर इसमें बैःटीरिया व कीटाणुओं की संख्या भी कितनी होगी ।इसके इस्तेमाल हैजा ,पीलिया ,डायरिया सहित अन्य संक्रमित बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। बावजूद इसके नगर पालिका गंदे पानी को बिना साफ किए नदी में मिला रही है और इसे ही पीने के लिए घरों तक भेज रही है जिसके चलते घरों में आने वाले नलों में भी गंदा पानी आ रहा है बावजूद इसके शहरवासियों के स्वास्थ्य की चिंता नगरपालिका को नहीं है।
जल और स्वच्छता
का अधिकार
भारत का संविधान अच्छे जीवन की गारंटी देता है अनुच्छेद 21 भारतीय नागरिकों के लिए जीवन के अधिकार को सुनिश्चित करता है समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न राज्यों के उच्च न्यायालयों ने यह व्याख्या की है कि जीवन का अधिकार हमारे संविधान में अंतर्निहित है माननीय न्यायालयों ने न सिर्फ शुध्द पानी को मौलिक अधिकार की संज्ञा दी है बल्कि इसे सामाजिक परिसंपत्तिा के रूप में भी परिभाषित किया है।
आखिर किस नींद में सो रही नपा
शिवना नदी में जल संग्रहण केंद्र में ही नहीं बल्कि पशुपतिनाथ मंदिर के यहां भी गंदे नाले नदी में मिल रहे हैं बावजूद इसके नगर पालिका ने अब तक कोई ठोस कार्य योजना शिवना नदी के पानी को साफ रखने के लिए नहीं बनाई है जिसके चलते पूरे शहर वासियों के जीवन के साथ ही खिलवाड  हो रहा है।
जनता का जल सत्याग्रह भी काम नहीं आया, नदी पर कपडे धोना भी बंद नहीं करा पाई नपा
शिवना नदी के जल को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए शहर के सामाजिक कार्यकर्ता प्रति रविवार जल सत्याग्रह कर रहे हैं जिसमें कडवचाती ठंड के बावजूद 2 घंटे से भी अधिक समय तक शिवना नदी के ठंडे जल में खडे रहकर यह कार्यकर्ता नगरपालिका और प्रशासन का ध्यान आकर्षित कराने की कोशिश कर रहे हैं कि मंदसौर शहर की जीवनदायिनी शिवना नदी को साफ हुआ स्वच्छ बनाया जाए लेकिन जनता का यह जल सत्याग्रह भी किसी काम नहीं आ रहा है नगरपालिका के जिम्मेदारों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। आलम यह कि शिवना नदी को निर्मल बनाने की कोई ठोस कार्ययोजना बनाकर उसे अमलीजामा पहनाना तो दूर पशुपतिनाथ मंदिर के नीचे घाट पर प्रतिबंध होने के बावजूद कपडे धोना तक नगरपालिका बंद नहीं करवा पा रही है ।
रोज धडल्ले से यहां साबुन लगाकर कपडे धोए जा रहे हैं जबकि कपडे धोने के प्रतिबंध का यहां बोर्ड तक लगा है बावजूद इसके लोग सरेआम कपडे धो रहे हैं।लेकिन कोई भी जिम्मेदार इन्हें रोकने टोकने और कार्रवाई करने के लिए तैयार नहीं है।
 
Chania