Friday, March 29th, 2024 Login Here
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इंदौर शहर में इसकी दस्तक दो-चार दिन देरी से हुई, लेकिन तीन दिन में ही संक्रमण का आंकड़ा राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गया
हमारी स्थिति ऐसी है कि समंदर के किनारे खड़े हैं और सामने से सुनामी आ रही है। मुश्किल से तीन सप्ताह का समय है और कोई विकल्प भी नहीं है। या तो, खड़े होकर सुनामी की प्रतीक्षा करें या फिर जो संभव है, वह करें। ऐसा कोई संकेत नहीं है कि भारत में कोरोना का प्रकोप कम होगा। चीन, इटली और स्पेन की तरह, यहां भी 20 से 60 फीसदी लोग संक्रमित हो सकते हैं। यदि 20 फीसदी भी होते हैं, तो भारत में करीब 30 लाख लोग संक्रमित होंगे। इसमें से भी 10 लाख लोग गंभीर होंगे, जिन्हें अस्पताल में भर्ती करवाने की आवश्यकता होगी। व्यवस्था यह है कि देशभर में 74 हजार से एक लाख गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) ही हैं। सोचिए, हमें कितनी तैयारी की जरूरत है।' ये विचार हैं सेंटर फॉर डिजीज डायनामिक्स (इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी) के निदेशक डॉ. रामानन लक्ष्मीनारायण के।
कोरोना को लेकर दिए गए इस बयान को डराने वाला कहिए या फिर इसे आईना समझिए, इसमें देश के साथ-साथ मध्य प्रदेश की झलक साफ दिखाई देती है। जबलपुर के रास्ते प्रदेश में प्रवेश करने वाले कोरोना ने चारों बड़े शहरों में भी आमद दे दी है। इंदौर जैसी घनी आबादी वाले शहर में इसकी दस्तक दो-चार दिन देरी से हुई, लेकिन तीन दिन में ही संक्रमण का आंकड़ा राष्ट्रीय स्तर के आसपास पहुंच गया है। स्पष्ट है, अगले तीन सप्ताह में ही पता चल जाएगा कि इंदौर पास हुआ है या फेल।
दरअसल, कोरोना ने जीवन-मृत्यु के आंकड़े लिखकर जीवन की अंकसूची हमारे हाथ में रख दी है। तैयारी नहीं है, कुछ समझ नहीं आ रहा है, सवाल भी आउट ऑफ कोर्स हैं, ये प्रश्न अब कोई मूल्य भी नहीं रखते! लेकिन, उत्तर पुस्तिका कोरी छोड़कर आने से बेहतर होगा कि कुछ जवाब लिखा जाए। यही कारण है कि नीति आयोग ने हाल ही में सेवानिवृत्त डॉक्टरों व सैन्य अधिकारियों को तीन महीने की स्वैच्छिक सेवाओं के लिए आमंत्रित किया है।
हो सकता है कोरोना वायरस की भयावहता को देखते हुए बहुत से लोग आगे नहीं आएं। लेकिन, रतलाम के डॉ. अमीष व्यास की बात को बार-बार ध्यान से सुनना चाहिए। चीन में जब कोरोना फैला तो डॉ. व्यास ने वहीं रहकर अपना चिकित्सा-धर्म निभाया। वे कोरोना मरीजों के लिए तैयार किए गए कैंप में अभी भी सेवाएं दे रहे हैं। स्वाभाविक है कि वे चीन में अब तक सब कुछ देख-समझ चुके होंगे, जो भारत की 132 करोड़ आबादी के साथ आने वाले तीन-चार सप्ताह में होने वाला है। वे यह भी विश्लेषण कर पा रहे होंगे कि जब कोरोना चला जाएगा, तब क्या-क्या परेशानियां पीछे छोड़ जाएगा। ये ऐसी दिक्कतें हैं, जिस पर अभी तक हमारे यहां किसी को सोचने का भी समय नहीं मिला है। डॉ. अमीष कहते हैं -
वुहान जैसा इंदौर!
'चीन का वुहान शहर (जहां से कोरोना दुनियाभर में फैला) यानी, मान लीजिए मध्य प्रदेश का इंदौर। वैसी ही घनी आबादी, वैसा ही औद्योगिक शहर, बाहरी लोगों की आवाजाही और उत्सव प्रिय लोग। जिन दिनों चीन में कोरोना फैला, उस समय चीनी त्योहार के कारण लोग एक-दूसरे से खूब मिल रहे थे। यही वजह रही कि वायरस बहुत तेजी से फैल गया।'
जानलेवा लापरवाही!
'चीन में बैठकर सोशल मीडिया, खबरें और स्वजनों के जरिए मैं जितना जान पा रहा हूं, उसके अनुसार भारत सरकार ने जो लॉकडाउन किया है, वही इस वायरस को रोकने का एकमात्र रास्ता है। चीन ने इसी तरह लॉकडाउन कर वुहान और एक-दो राज्यों में ही वायरस को पूरी तरह सील कर दिया। लेकिन, लापरवाही की वजह से यूरोपीयन देश यह नहीं कर पाए। इटली का उदाहरण हमारे सामने है।'
भविष्य की सतर्कता!
'गंभीर किस्म की सावधानी, वायरस खत्म होने के बाद भी कई महीनों तक रखनी पड़ेगी। माना जा रहा है चीन में कोरोना पूरी तरह खत्म हो चुका है, लेकिन बाहर से आने वाले हर व्यक्ति की जांच के साथ 14 दिन का होम क्वारंटाइन अभी भी अनिवार्य है।'
मप्र की चिंता!
'मैंने अपनी आंखों के सामने कई युवा साथियों को खो दिया! इसलिए, यह भ्रम न रखें कि यह सिर्फ बुजुर्गों पर ही वार करता है। 15 साल तक के बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को अपनी चपेट में ले लेता है। चीन में आए कोरोना-केस के आधार यह अध्ययन सामने आया है कि इस वायरस का आक्रमण हाइपरटेंशन और ब्लडप्रेशर के मरीजों पर, सामान्य की तुलना में छह प्रतिशत ज्यादा हुआ। चिंता की बात यह है कि देशभर में हाइपरटेंशन और ब्लडप्रेशर के मरीजों की संख्या मध्य प्रदेश में अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा है।'
मप्र की ताकत!
'मध्य प्रदेश की आबादी का घनत्व मुंबई, राजस्थान जैसे राज्यों से कम है। मुंबई में कोरोना फैल चुका है और राजस्थान में भी यदि फैला, तो संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ जाएगी। कोरोना से बचाव के लिए मध्य प्रदेश की भौगोलिक स्थिति मददगार साबित हो सकती है। क्योंकि, यहां आबादी भले ही ज्यादा है, एक-दो शहरों को छोड़ दें, तो बाकी दूर-दूर फैले हुए हैं। यहां तक कि इंदौर में भी उतनी आबादी नहीं है, जितनी जयपुर या मुंबई में है।'
दूरी जरूरी!
'इंदौर-भोपाल जैसे अन्य शहरों में कोरोना संक्रमितों के इलाज में जुटे लोगों को सोसायटी से बाहर निकालने की बात सामने आ रही है। ऐसी ही स्थिति चीन में भी उपजी थी। यह एक तरह का मनोवैज्ञानिक भय है। इसे दूर करने के लिए चीन सरकार ने काउंसलर नियुक्त किए। इसका बहुत फायदा हुआ। मध्य प्रदेश में भी ऐसा किया जाना चाहिए। क्योंकि, जब कोरोना संक्रमित लौटकर आएंगे, उन्हें समाज द्वारा फिर से, सहज भाव से स्वीकार करना भी एक बड़ी चुनौती होगी।'
असली लड़ाई!
'असली लड़ाई कोरोना से उबरने के बाद शुरू होगी। चीन में एक साथ काम पर निकलने के बजाय, शुरुआती दौर में एक ही व्यक्ति को बाहर जाने की अनुमति मिली। 15 दिन में शहर की स्थिति भांपकर लोग बाहर निकले। ताकि, यदि कुछ हुआ तो इससे पूरा परिवार प्रभावित नहीं होगा। साथ ही, उद्योगों में एक साथ काम की अनुमति के बजाय, काम तीन शिफ्ट में बांट दिया गया। इस उद्देश्य के साथ कि कम लोग एक-दूसरे के संपर्क में आएं।'
मप्र आईएमए भी अब लड़ाई के लिए तैयार
आत्म अनुशासन और जागरूकता के इस दौर में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (मप्र चैप्टर) के 12 हजार डॉक्टर्स भी तैयार हैं। लड़ाई वायरस से है, इसलिए डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ अपने-अपने तरीके से योगदान दे रहे हैं। आईएमए मप्र चैप्टर के जनरल सेक्रेटरी डॉ. पुष्पराज भटेले बताते हैं - 'मप्र में आईएमए के सदस्य डॉक्टर्स ने इमरजेंसी को छोड़कर, अन्य चिकित्सकीय कार्य बंद कर दिया है। हमने सरकार को लिखकर दे दिया कि वे हमारी जो भी सेवाएं चाहते हैं, ले सकते हैं। चिंता की बात यह है कि मप्र में पांच हजार निजी अस्पतालों में से एक हजार में भी वे सारी सुविधाएं नहीं हैं, जो कोरोना से बचाव के लिए चाहिए। बावजूद इसके, जितनी मदद हो सकेगी, हम जरूर करेंगे। यह सुनकर आप चौंक सकते हैं कि कोरोना बहुत मारक क्षमता वाला वायरस नहीं है। इसके संक्रमण से अभी तक 2.6 प्रतिशत लोगों की ही मौत के आंकड़े सामने आए हैं। लेकिन, इसे रोकने के लिए जो साधन चाहिए, वह बहुत खर्चीला है। वर्तमान में भारत उसके लिए पूरी तरह तैयार भी नहीं है। इसी बहाने स्वास्थ्य सेवाओं में पिछड़े हुए मध्य प्रदेश की विवशता भी समझी जा सकती है। फिर भी, हमारी टीम इस बात के लिए तैयार है कि यदि निजी अस्पतालों को अधिग्रहित करने की स्थिति बने, तब हम तत्परता से सेवा कर सकें।'
कालाबाजारी चिंताजनक
एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के समन्वयक राजीव नाथ का मानना है - 'देशभर में मास्क, सैनिटाइजर सहित अन्य चिकित्सा उपकरणों की कालाबाजारी की सूचना मिल रही है। चिकित्सकीय उपयोग का सामान भी समय पर नहीं पहुंच रहा है। फैक्ट्रियों को बंद करने के आदेश दे दिए गए हैं, लेकिन इस कदम से जरूरी सामान का उत्पादन भी बंद हो गया है। ऐसे समय में एसोसिएशन कालाबाजारी रोकने के साथ ही बड़े पैमाने पर मास्क, सैनिटाइजर और मेडिकल उपकरण बनाने में जुटा है।'
कोरोना को पटखनी देकर परास्त करने में जुटे ये तीन किरदार कुछ सीख, कुछ सबक, कुछ सवाल के साथ हमारे सामने हैं। सभी का साझा संदेश यही है कि कुछ दिनों का संयम, जीवन भर के संकट से ज्यादा बेहतर है!
Chania