Saturday, April 20th, 2024 Login Here
अटाला बेचने वाले, टोपले बनाने वाले बेच रहे सब्जी,फल,सेनेटाइजर की कोई व्यवस्था नही
मंदसौर पिछले 2 दिनों से शहर में खबर अच्छी है कि कोरोना का कोई नया मरीज नहीं आया लेकिन इन सबके बीच सब्जी और फल ,फ्रूट के ठेलो और वाहनों से कोरोना का खतरा सता रहा है।लॉक डाउन में अटाला बेचने वाले टोपले बनाने वाले तक सब्जी और फल, फ्रूट के विक्रेता बनकर गली-गली जाने लगे। लेकिन इन पर सैनिटाइजर की कोई व्यवस्था नहीं है, कई जगह सोशल डिस्टेंसिंग का भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है और ना ही इन विक्रेताओं की कोई पहचान सामने आ रही है ऐसे में यह सब्जी, फल ,फ्रूट के ठेले कोरोना के वाहक ना बन जाए इसकी चिंता प्रशासन को करनी होगी।
लॉक डाउन के बाद प्रशासन ने ऐलान किया था कि शहर में सब्जी, फल, फ्रूट बेचने वाले की पहचान उजागर होगी, इन दुकानों पर इन्हें अपनी बतौर पहचान आधार कार्ड और नाम,पता चस्पा करना होगा। लेकिन लॉक डाउन टू शुरू होने के 5 दिन बाद तक भी ऐसा कुछ भी नहीं हो पाया।सब्जी, फल, फ्रूट के ठेले बिना किसी पहचान के पूरे शहर भर में घूम रहे हैं। हालत यह है कि लॉक डाउन होने के बाद जैसे ही प्रशासन ने सब्जी मंडी पर रोक लगाई, गली-गली में ठेले और लोडिंग वाहन घूमने तो लगे लेकिन इतनी तादाद में यह सब्जी, फल, फ्रूट के ठेले और लोडिंग कहां से आ गए ?इसके बारे में जब लोगों से पड़ताल की तो पता लगा कि जो गली-गली में अटाला इकट्ठा करते थे, शहर में टोप्ले बनाते थे और भी ऐसे कई लोग भी इन दिनों सब्जी विक्रेता, फल -फ्रूट विक्रेता बनकर गली-गली में चक्कर लगा रहे हैं लेकिन इन सब्जी और फल फ्रूट के ठेले पर ना तो किसी तरह की पहचान उजागर है और ना ही कोरोना से बचने के लिए कोई सुरक्षात्मक उपाय इन पर किए जा रहे हैं। इनके कांटे, बाट सेनेटाइज करने की कोई व्यवस्था इन पर नहीं है,, हाथ धोने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है और तो और कहीं जगह सोशल डिस्टेंसिंग का भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है। ऐसे में यह फल- फ्रूट और सब्जी के ठेले कोरोना के वाहक हो सकते हैं? प्रशासन को इन पर सचेत होकर निगाह रखना चाहिए इनकी पहचान को उजागर करना चाहिए ताकि कोरोना के संक्रमण का यह माध्यम ना बने।