Friday, April 26th, 2024 Login Here
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विशेष सम्पादकीय
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          (नरेन्द्र अग्रवाल)
 पिछले 4 दिनों से मंदसौर जिले में कोई भी कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट नहीं आई। 10 अप्रैल की दोपहर और शाम तक भी जिले में कोई कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट नहीं थी।
 हम इस बात पर गहन चिंतन करें कि 10 अप्रैल तक हर रिपोर्ट का नेगेटिव होना मंदसौर जिले के लिए कोरोना से कवच का काम कर रहा था, और अंतिम पॉजिटिव रिपोर्ट अब तक  16 अप्रैल की रात बोलिया के युवक की आई थी उसके बाद से कोई पॉजिटिव रिपोर्ट नहीं आई है तो क्या इन 4 दिनों  की रिपोर्ट  से हमें चादर ओढ़ कर सो जाने जैसी निश्चिंतता अपना लेना  चाहिये..?
 सिर्फ आंकड़ों की तस्वीर से कभी  कुछ सख्त हो जाना और कभी शिथिल हो जाना.... कागजों में कोरोना की इस तरह की रिपोर्ट पेश होना कि मानो यहां कोई चिंता वाली बात नहीं है भले ही 11 अप्रैल से 16 अप्रैल यह  दिन 8 पॉजिटिव रिपोर्ट आने की अवधि रही  और हम केवल पॉजिटिव-नेगेटिव में ही कभी तनाव में तो कभी तनाव मुक्त होते रहे।
 हमारे जिले में कोरोना कैसे घुसा इसकी तह में अभी तक प्रशासन नहीं पहुंचा है, चैन कैसे बनी इसकी कोई पड़ताल नहीं यह ऐसे गंभीर तमाम  बिंदु हैं जिस पर प्रशासन को हर हाल में चिंता और चिंतन करना ही चाहिए। हमारी व्यवस्थाएं कितनी चाक चोबंद है और कितनी बौनी है यह विश्लेषण का विषय है।
 हमारा पड़ोसी जिला नीमच पूरी तरह कोरोना से अभी तक मुक्त है जरा हम वहां की भी प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर नजर डालें वहां लाकडाउन को जिस सख्ती से क्रियान्वित किया गया उस मुकाबले हमारे जिले में 50 फ़ीसदी सख्ती भी नहीं अपनाई गई। रतलाम की दिशा में नजर डालें तो 50 किलोमीटर जावरा शहर जहां लगभग 55% आबादी अल्पसंख्यकों की है वहां अभी तक कोई कोरोना पॉजिटिव नहीं है वहां की भी व्यवस्थाओं की मजबूती को जरा देख लिया जाए 
 व्यवस्थाओं की मजबूत दीवारें यदि खड़ी कर दी जाए तो कोई कारण नहीं कि कोरोना जिले में घुस जाए।
 मंदसौर में कोरोना कैसे घुसा यह सबसे बड़ा सवाल है मालवा की पट्टी में इंदौर और उज्जैन के बाद मंदसौर ही हॉटस्पॉट क्यों बना हालांकि हमारे यहां के आंकड़े इंदौर उज्जैन की तुलना में बहुत कम है लेकिन यहां की जनसंख्या को देखते हुए यदि 8 पॉजिटिव मरीज भी हैं जिनमें से एक की मृत्यु हो गई है तो 7 अभी भी कोविड हॉस्पिटल में है, यह भी किसी बड़े खतरे से कम नहीं है अब जरा हम इस बात पर भी विमर्श कर लें कि जो भी कोरोना मरीज पॉजिटिव आए हैं उनकी हिस्ट्री और जिस तरह की चैन बनी है उसका केवल सतही तौर पर ही आकलन किया गया है गहराई में अभी तक नहीं पहुंच पाए हैं। सबसे बड़ी चूक यह है कि जिस क्षेत्र से कोरोना पॉजिटिव हैं वहां के आसपास के लोगों की जिस तरीके और जिस गंभीरता से स्वास्थ्य संबंधी जांच होनी चाहिए वह बिल्कुल नहीं हो रही। सैंपल लेने के बाद भी  यदि संदेही व्यक्ति खुलेआम घूम रहे हो कामकाज कर रहे हो पट्टियों पर बैठकर बतिया रहे हो तो यह कैसा कोरोना कंट्रोल है यह तो बिल्कुल भी गंभीर कार्यवाही नहीं है भीलवाड़ा तो दूर की बात है केवल नीमच और रतलाम प्रशासन से ही हम कुछ सीख ले लें तो भी हम कोरोना के किसी भावी खतरे से जिले को बचा सकते हैं। केवल बड़ी संख्या में लोगों की नेगेटिव रिपोर्ट आना ही तसल्ली  व संतोष की वजह नहीं हो सकती। कोरोना तो जिले में घुस गया है इसके दूरगामी परिणाम कितने घातक हो सकते हैं इस बात पर गौर करना बहुत जरूरी है,अन्यथा मंदसौर मध्य प्रदेश के टॉप 4 हॉटस्पॉट में आ जाएगा।
बाहर से आ रहे पैदल यात्री मजदूरों को लेकर भी कोई ठोस कार्यवाही नहीं है गुपचुप रास्तों से सैकड़ों मजदूरों का आना जाना हो रहा है कहीं उनका कोई स्वास्थ्य परीक्षण नहीं हो रहा नहीं उनसे कोई पूछताछ की जा रही है यह कैसा कोरोना कंट्रोल है? स्थिति जितनी अपने संतोष के लिए तसल्ली भरी बताई जा रही है उतनी बिल्कुल भी नहीं है आने वाले समय में यदि यही सब कुछ चलता रहा तो विस्फोटक स्थिति बन सकती है। अभी भी समय है घर घर जाकर स्वास्थ्य परिक्षण या मोहल्ले व क्षेत्र मे एक स्थल पर पूरी चिकित्सा टीम जिसमे चिकित्सक  ओर स्टाफ दोनो हो ओर वह  प्रत्येक नागरिक का स्वास्थ्य परिक्षण करे तो ही वास्तविक स्थिति सामने आ सकती हैं, क्योकी अभी डोर टू डोर जो सर्वे चल रहा है वह सिर्फ एक औपचारिकता ही साबित होगा । हर व्यक्ति इतना भयभीत हो चुका हैं कि वह आंगनवाडी कार्यकर्ता को जो जानकारी दे रहा है सभी बिमारियो मे वह मना कर रहा है, सब कुछ ठीक है कोई बाहर से नही आया। अरे सब कुछ ठीक है ओर कोई बाहर से नहीं  आया तो फिर मंदसौर जिले में कोरोना परोस कौन गया...? यह एक यक्ष प्रश्न है इसकी  तह में जाना अत्यंत आवश्यक है ।
Chania