Wednesday, April 24th, 2024 Login Here
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(जगदीश अग्रवाल गरोठ)
मंदसौर(जनसारंगी) केन्द्र सरकार के मॉडल के तहत प्रधानमंत्री का सपना सही करने के मकसद से किसानों की आय वर्ष 2020 तक दोगनी करने के लिए पुरे देश में कृषि मंड़ियों के विकल्प के रुप में प्राइवेट सेक्टर को एंट्री देकर मंडियों पर भी अब बडे औधोगिक घराने का कब्जा होने का गंभीर संकट खडा होकर मंड़ियों में व्यापार व्यवस्था चौपट हो जाने से छोटे मध्य श्रेणी के व्यापारी के साथ ही हेम्माली तुलावटी अन्य मजदुर सहित प्रत्येक मंडी से जुड़े हजारों हजारों लोगों के सामने रोजी रोटी का गंभीर संकट खड़ा होकर सब बेरोजगार हो जायेगें।मध्यप्रदेश सरकार ने भी प्रदेश में इस प्रावधना को मंडी एक्ट में संशोधन कर लागू कर प्राइवेट मंडी संचालन के सात प्रावधान तय किये गये जिसके तहत गोदामों, साइलो कोल्ड स्टोरेज आदि को भी प्राइवेट मंडी घोषित किया जा सकेगा।किसानों से मंडी के बाहर ग्राम स्तर से फूड प्रोसेसर,निर्यातक,होलसेल विक्रेता और अंतिय उपयोगकर्ता को सीधे उपज खरीदने का प्रावधान।मंडी समितियों का निजी मंड़ियों के कार्य में कोई हस्तक्षेप नहीं रहेगा।प्रबंध संचालक मंडी बोर्ड से रेगुलेटरी शक्तियों को पृथक कर संचालक विपणन को दिये जाने का प्रावधान।पुरे प्रदेश में एक लाईसेंस से व्यापारियों को व्यापार का प्रावधान।ट्रेड़िग के लिए प्रावधान शामिल है।प्राइवेट मंडी बड़े बड़े औधोगिक घराने ही संचालित कर उनका मकसद सिर्फ रुपये कमाना ही रहेगा और प्राइवेट मंडी से आने वाले समय में प्रदेश में संचालित कृषि मंडियां का अस्तित्व समाप्त होने लगे तो उस पर बड़े बड़े औधोगिक घरानों का कब्जा होकर वह किसानों का शोषण कर सकते है इस गंभीर खतरे की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।प्रदेश में सरकार की आधुनिक मंडिया संचालित होकर मंडियों में किसानों सहित अन्य सभी वर्ग की अच्छी पर्याप्त व्यवस्था होकर प्रतिस्पर्धा होकर किसानों को वाजिब दाम मिलता है और मंडियों किसानों के रेस्ट हाऊस भोजन इत्यादि की व्यवस्था होकर किसान को नगद भुगतान प्राप्त होता है और किसानों के साथ किसी भी प्रकार से कोई भी घटना होने पर मंडी समिति उसके लिए जिम्मेदार होकर किसानों की हर समस्या का प्राथमिकता से निराकरण किया जाता है और उनकी बात को गंभीरता से सुना जाता है।प्राइवेट मंड़ीयों के अस्तित्व में आने पर और सरकारी कृषि मंडी का अस्तित्व समाप्त हो जाने पर किसानों के शोषण के साथ ही आज मंड़ियो से जुड़े हजारों हजारों परिवारों जिनकी रोजी रोटी इन मंड़ियों पर निर्भर है वह बेरोजगार होकर उनके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा होकर बड़े शहरों के अन्य व्यापार व्यवसाय भी चौपट होकर आज जब किसान अपनी उपज मंडी में विक्रय करने आता है तो वह उसी शहर से अपने लिए आवश्यक वस्तुओं को भी क्रय करता है जिससे भी उस शहर का व्यापार बढ़ता है और उससे जुड़े अनेक अनेक लोगों को भी रोजगार मिलता है।प्राइवेट मंडी पर बड़े औधौगिक घरानों का कब्जा होने पर आने वाले समय में अन्य व्यापारियों के व्यापार भी प्रभावित होगे इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है और प्राइवेट मंडी वाले ही किसानों को उनकी उपज क्रय करने के बाद उसकी आवश्यक वस्तुओं को भी विक्रय कर शहर के समस्त व्यवसाय को चौपट कर सकते है।किसानों को वाजिब दाम दिलाने के लिए सरकार को प्राइवेट सेक्टर को प्राइवेट मंडी का अधिकार देने की बजाय सरकारी कृषि मंडियों में सही तरीके से सख्त होकर स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा करवाकर पर ध्यान देकर इसके लिए कठोर प्रावधान लागू करने पर किसानों को म़ड़ियों में भी सही वाजिब दाम मिल सकता है और प्रदेश सहित पुरे देश में करोड़ो करोड़ों लोग बेरोजगार होने से बच सकते है।यदि प्राइवेट मंडी के आधार पर प्रदेश एवं देश में बड़े औधोगिक घरानों का कब्जा होकर लोगों के सामने सरकारी मंडियों का अस्तित्व संकट में आने पर बेरोजगार होने से विपक्ष का यह आरोप की केन्द्र सरकार देश के बड़े औधौगिक घरानों के हित में कार्य कर निर्णय करते ही   सही साबित हो जाने की स्थिति में रहेगा।भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार को प्राइवेट मंडी की बजाय शासन स्तर पर संचालित मंडियों में किसानों को उसकी उपज सही उचित दाम दिलाने हेतु सख्त प्रावधान बनाकर उनको लागू करना चाहिए ताकि सरकारी मंडियों का अस्तित्व समाप्त नहीं हो और करोड़ो लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा नही हो।


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