Thursday, March 28th, 2024 Login Here
।मंदसौर कृषि उपज मंडी आज 14 मई से नीलामी के रूप में प्रारंभ की गई ।मंडी कमेटी और व्यापारी एसोसिएशन के बीच हुए अनुबंध अनुसार प्रतिदिन 5 गांव के किसान को बुलाया जाना था लेकिन अचानक मीटिंग के पश्चात जिला प्रशासन द्वारा बदले गए निर्णय से मंडी में अफरा-तफरी का माहौल उत्पन्न हो गया ।सोशल डिस्ट्रेसिंग का पालन बिल्कुल नहीं हो रहा है और कोरोना को मंदसौर में खुला निमंत्रण दिया जा रहा है मीटिंग में बुलाकर मंडी कमेटी के कर्ता धरता बात क्या करते हैं और बाद में निर्णय क्या लेते हैं यह स्पष्ट परिलक्षित होता है कि कोई ना कोई मंदसौर की मंडी को पिछले दरवाजे से चलाते हुए आमजन को कोरोना महामारी परोसने को आतुर है ।
मीटिंग में मंडी कमेटी द्वारा निर्णय क्या लिया जाता है और आदेश क्या निकाला जाता है यह अपने आप में एक तुगलकी निर्णय कहा जा सकता है जब व्यापारी स्वयं चाह रहे हैं कि किसी प्रकार का कोई तुगलकी निर्णय नहीं लिया जावे जिससे कि मंदसौर में कोरोना का संकट बड़े लेकिन मंडी सचिव मीटिंग में क्या कहते हैं और बाद में जिला कलेक्टर के हवाले से आदेश क्या निकालते हैं यह अपने आप में स्पष्ट रूप से कहीं ना कहीं आपसी तालमेल का अभाव कहा जा सकता है। इसके साथ ही इस स्थिति से मंडी के व्यापारियों ने विधायक श्री यशपाल सिंह सिसोदिया को भी अवगत कराया था उन्होंने तत्काल जिला कलेक्टर एवं मंडी सचिव से चर्चा कर इस बात पर आपत्ति ली थी की एक साथ यदि अत्यधिक गांव के किसान मंडी में माल लेकर आएंगे तो कहीं ना कहीं सोशल डिस्ट्रेसिंग का पालन नहीं हो पाएगा और आमजन मैं कोरोना का खतरा बढ़ने की संभावना रहेगी लेकिन उस बात को भी नजरअंदाज करते हुए कर्ता-धर्ताओ ने अपने मन की मनमर्जी की और उसका परिणाम आज 14 मई को मंडी खुलते ही देखने को मिला हजारों की संख्या में किसान मंडी में माल लेकर पहुंचे और नीलामी के दौरान सोशल डिस्ट्रेसिंग का पालन कही भी नहीं दिखाई दे रहा है साथ ही प्रतिबंधित क्षेत्र के जो नागरिक हैं वह भी मंडी परिसर में देखे गए हैं इस प्रकार के निर्णय से संपूर्ण मंदसौर शहर मैं खतरे की घंटी बज सकती है अभी भी समय है जिला प्रशासन सूझबूझ से निर्णय लेवे और आम जनता को कोरोना महामारी की ओर धकेलने से रोके साथ ही मंडी में तोल पत्रक के माध्यम से भी व्यापार व्यवसाय चल रहा था लेकिन कुछ व्यापारियों की आपत्ति थी इस व्यवसाय में कुछ व्यापारी ही कार्य कर पा रहे हैं हम कार्य नहीं कर पा रहे हैं ऐसे में व्यापार की प्रतिस्पर्धा को लेकर भी कहीं नहीं व्यापारियों में भी आपस में टकराव की स्थिति है ओर ऊपर से मंडी प्रशासन ढुलमुल नीति और तोल पत्रक के माध्यम से भी बड़े पैमाने पर नीत नई सांठगांठ भी की भी बू आ रही है कि आखिरकार मंडी प्रशासन चाहता क्या है उनको लग रहा है कि शासन परिवर्तित हुआ है तो कहीं ना कहीं हमें तो इस शहर से जाना है लेकिन इस शहर से जाना है इसका यह मतलब कतई न्ही होना चाहिए कि हमे क्या करना। अभी जिस शहर मे उसके प्रति पूरी इमानदारी से अपना कर्तव्य निभाना चाहिए ।