Friday, April 19th, 2024 Login Here
कोरोना से शादियां तो नही हो रहे प्रभावित , विवाह उद्योग के सामने रोजी रोटी का संकट हो गया खड़ा
प्रमोद जैन
मंदसौर । जनसारंगी न्यूज। एक जमाना था विवाह की रस्में घर पर ही होती थी और धीरे-धीरे परिवर्तन हुआ और विवाह के मांगलिक आयोजन बढ़ते बढ़ते बड़े पैमाने पर जा पहुंचे कहीं पर 100 , 200 व 500 व्यक्ति एकत्रित हो रहे तो कहीं पर हजारों व्यक्ति साक्षी बन रहे हैं थे लेकिन कोरोना नामक महामारी के चलते फिर वही पुराना दौर लोटा है और पिछले दो माह में जो भी विवाह हुए हैं उनकी रस्म धर्मशाला परिणय रिसोर्ट की बजाए घरों पर होने लगी जो शहनाइयां बाजारों में गूंजती थी वापस घरों में पुरानी पद्धति से घंटे घड़ियाल और शंख , ढोलकी , मंजीरा थाली के माध्यम से वैदिक मंत्रोचार की पूरी रस्म के साथ विवाह की रस्म संपन्न हो रही है यह दौर भी नहीं रहा तो वह दौर भी नहीं रहेगा लेकिन वर्तमान में तो फिर वही वर्षों पुराना जमाना लौट कर आया और आज भगवान पशुपतिनाथ की नगरी मंदसौर के खानपुरा क्षेत्र में ऐसा ही एक विवाह हुआ जिसमें दुल्हन जावद से मंदसौर पहुंची और दूल्हा मंदसौर के खानपुरा का दोनों के परिणय की रस्म सात बंधनों की रस्म अदायगी पूरे रीति-रिवाज से घर पर ही संपन्न हुई। सीमित मेहमानों के बीच लाक डाऊन के नियमो का पालन करते हुए विवाह का यह सुखद रस्म संपन्न हो रही हैं । इतना ही नहीं विवाह समारोह के नाम पर बड़े पैमाने पर जो फिजूलखर्ची होती थी उस पर भी कहीं ना कहीं रोक लगी है और शांति के साथ पूरे विधि विधान के साथ विवाह समारोह संपन्न हो रहे हैं ऐसा ही सादगी पूर्ण एक विवाह समारोह आज मंदसौर के खानपुर क्षेत्र में गणपति देवरी के समीप नवीन पिता अंबालाल नाईवाल का जावद निवासी प्रांजल पिता हेमंत कुमार के साथ विधि विधान के साथ संपन्न हुआ।
बरहाल जो भी हो कहीं ना कहीं पुराना जो जमाना था वह लौट कर आया है चाहे कोरोना महामारी के इस युग में आया हो पर यह जरूर है यह दौर भी नहीं रहा तो वह दौर भी नहीं रहेगा लेकिन विवाह की रस्म जरूर याद रहेगी कि जहां हजारों की संख्या में रिश्तेदार और स्नेहीजन विवाह समारोह में वर वधु को शुभकामना देने आते थे वह सब थम गए ।इतना ही नहीं रिश्तेदार तक विवाह समारोह में नहीं पहुंच पा रहे हैं उसके बावजूद भी सात बंधनों का संबंध चाहे कौन सा भी कोरोना आ जाए रुक नहीं रहा है, थम नहीं रहा है निरंतर विवाह समारोह के आयोजन सीमित संख्या में लाक डाउन में नियमों का पालन करते हुए हो रहे हैं बड़े-बड़े रिसोर्ट और धर्मशालाएं सभी खाली पड़
है ।
वही विवाह समारोह से जो आज के दौर में एक उद्योग का रूप ले चुके थे एक विवाह समारोह में अनेक प्रकार के तामझाम लगते थे और और सैकड़ों परिवार इस व्यवसाय से पल रहे थे अभी होली के पश्चात मुख्य रूप से मार्च-अप्रैल मई-जून में शादी समारोह होते हैं इतनी धर्मशालाएं व अनेक रिसोर्ट होने के बावजूद उनकी बुकिंग खा ली नही थी लेकिन अब उनकी बुकिंग धरी की धरी रह गई और अनेक प्रकार के व्यक्ति मैनेजमेंट के रूप में विवाह उद्योग में लगते थे उनसे सैकड़ों परिवारों का रोजगार जुड़ा हुआ था जो आज संकट के दौर में है उदाहरण के लिए विवाह समारोह में बैंड बाजे , घोड़ी , ढोल धमाके , जनरेटर, झूमर व नाना प्रकार के नित्य नए स्टाल और किराना व्यवसाय दूध दही सहित सैकड़ों लोगों को रोजगार देने वाला यह व्यवसाय कोरोना महामारी के चलते पूरी तरह थम गया लेकिन विवाह का यह दौर नहीं सादगी से ही सही अपने अपने घरों में मांगलिक आयोजन संपन्न होने हैं और घर परिवार की मौजूदगी में सादगी से हो रहे आयोजन है । कहीं ना कहीं यह रोजगार पूरी तरह प्रभावित हो गया और आज चंद लोगों की मौजूदगी में विवाह की रस्म संपन्न हो रही है महामारी ने विवाह की रस्म तो नहीं रोकी लेकिन जो उत्साह था उस पर जरूर कहीं ना कहीं विराम लगा और इतना ही नहीं विवाह के आयोजन से अनेक परिवारों की रोजी-रोटी व्यवसाय चलता था उस पर भी विराम लग गया और आज वह सभी व्यवसायी अनेक संकट के दौर से गुजरने लगे।