Wednesday, April 24th, 2024 Login Here
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किश्त अटकने से किसी की छत का काम बाकी, किसी की दीवार नहीं बनी
मंदसौर निप्र।  कोरोना काल में लॉक डाउन के चलते गरीबों का आशियाना भी अधूरा रह गया। छह सौ से ज्यादा हितग्राहियों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पहली किश्त जारी कर दी गई थी। इसके बाद मकान का कार्य भी शुरु हो गया। इधर लॉक डाउन के चक्कर में दूसरी और तीसरी किश्त अटक गई। अब किसी के छत का काम बाकी है तो किसी के दीवार नहीं बनी। अब चिंता बारिश को लेकर सताने लगी है। निर्माणाधीन मकान में बारिश का समय निकालना भारी पड़ सकता है।
कोरोना महामारी रोकने के लिए लगे लॉकडाउन के चक्कर में गरीबों के मकान भी आधे-अधूरे ही पड़े हैं। शासन की तरफ से किश्तों का आना रुकने के बाद से अब लोगों को बारिश में ही इसी तरह दिन गुजारने होंगे। शहर में लगभग 624 हितग्राही ऐसे हैं, जिन्होंने पहली किश्त मिलने के बाद मकान का काम को शुरू कर दिया था। पर अब दूसरी व तीसरी किश्त नहीं मिलने से किसी की छत अधूरी रह गई है तो किसी के कमरे की दीवार नहीं बनी है। कुल मिलाकर लॉकडाउन के बाद अब आने वाली बरसात इन लोगों की परेशानी बढ़ाने ही वाली है।शहरी क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत बनने वाले आवासों की किश्ते चार महीने से जारी नहीं होने के कारण निर्माण कार्य ही अटक गए हैं। लॉकडाउन के कारण इन किश्तों पर लगे गृहण से लोगों की समस्या और बढ़ गई है। गरीब परिवार अपने अधूरे मकानों को देखकर दुखी हो रहे हैं। गरीब परिवारों पर आई इस आफत का सामना वो भले ही डटकर रहे हैं परंतु उनकी समस्या को लेकर क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने समय रहते सक्रियता नहीं दिखाई है। शहर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लगभग 1624 हितग्राहियों के प्रकरण मंजूर हुए थे। इनमें से 1045 हितग्राहियों को तीन किस्तें मिल चुकी है। जबकि 624 हितग्राहियों के अभी निर्माण कार्य जारी है। इनका कहना है कि लॉकडाउन के कारण दोहरी परेशानी हो रही है। चार माह से आवास योजना की किस्त जारी नहीं हुई है। इसके कारण मकानों के निर्माण कार्य अटक गए हैं। कोई हितग्राही अब तक दीवार ही बना पाया है तो कोई छत के लिए किस्त का इंतजार कर रहा है। लोग अधूरे घरों में या किराये के घरों में रहकर दिन काट रहे हैं। उनका कहना है किश्त जल्द जारी हो जाए तो किराये के मकान से स्वयं के घरों में पहुंच जाएंगे। इधर नपा अधिकारी किश्त जारी होने के संबंध में कोई जवाब देने की स्थिति में नहीं है।सीएमओ सविता प्रधान का कहना है कि पीएम आवास के लिए जितना रुपया खाते में आया था। उतना हितग्राहियों के खाते में पहुंचा दिया गया है। फंड आने पर तुरंत हिताग्राहियों के खातों में पहुंचा दिया जाएगा।
महंगा हो गया मकान बनाना
 कोरोना के चलते लॉक डाउन ने लोगों की आर्थिक कमर तोडक़र रख दी है। बाजार की हालत अभी भी पतली है। इधर घर बनाने का सपना महंगा हो गया है। इसका कारण है कि मकान निर्माण में उपयोग आने वाली सामग्री की कीमत आसमान पर पहुंच गई है। लॉकडाउन के पहले रेत की ट­ॉली 4500 रुपए में मिल रही है, वहीं अब 7 हजार रुपए में दे रहे हैं। दो माह पहले अधूरे रह गए आशियानों को फिर से बनाने का काम शुरू करते ही लोगों को ईंट, रेत, गिट्टी, सीमेंट, सरिया सभी महंगे दामों में मिल रही है। सीमेंट 60 रुपये बढक़र अब 360 रुपए प्रति कट्टा हो गई है। ईंट 3700 रुपए प्रति हजार थी, वह भी अब 5000 रुपए में मिल रही है।अब मध्यमवर्गीय परिवारों का अपना आशियाना बनाना महंगा पड़ रहा है। दो माह पहले के मुकाबले निर्माण सामग्री के दाम काफी बढ़ गए हैं। स्थिति यह है कि लोगों को निर्माण कार्य के लिए ज्यादा कीमत देने के बाद भी समय पर सामग्री उपलब्ध नहीं हो रही है। बाजार में ईंट, रेत, गिट्टी, सीमेंट, लोहे के सरिए के दामों में 20-30 प्रश तक की वृद्धि हो गई है।

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