Saturday, April 20th, 2024 Login Here
जगदीश देवड़ा, ओमप्रकाश सकलेचा, हरदीपसिंह डंग के समर्थकों में उत्साह
विधायक सिसोदिया को मंत्री बनाने की मांग पर मंदसौर में धरना
मंदसौर। मंत्री मंडल की घोषणा के बाद कहीं खुशी तो कहीं निराशा का माहौल था। यहां सिर्फ बात करें संसदीय क्षेत्र की तो इस बार संसदीय क्षेत्र से आठ में से तीन विधायकों केबिनेट मंत्री का दर्जा मिला। जिसमें जगदीश देवड़ा, ओमप्रकाश सकलेचा और हरदीपसिंह डंग शामिल है। समर्थकों ने खुशी का इजहार करते हुए आतिशबाजी भी की। निराशा मंदसौर विधानसभा क्षेत्र और विधायक यशपालसिंह सिसौदिया के समर्थकों के लिए रही। विधानसभा क्षेत्र की जनता के प्रति उनका समर्पण और विकास के सोच के कारण लग रहा था इस बार श्री सिसोदिया को मंत्रिमंडल में स्थान मिलेगा लेकिन नहीं मिलने से उनके समर्थकों में जहां निराशा है। भारतीय मजदूर मिस्त्री संघ ने मंत्री बनाए जाने की मांग को लेकर घंटाघर पर धरना आंदोलन भी किया।
आखिरकार लंबे इंतजार के बाद आज मंत्री पद का गठन हो गया। हालाकि इसमें मंदसौर संसदीय क्षेत्र की बात करें तो इस बार संसदीय क्षेत्र संतुष्ट नजर आ रहा है। इसका कारण है कि आठ में से तीन विधायकों को मंत्री पद के लिए ताजपोशी हुई है। कांग्रेस का हाथ छोड़ भाजपा का दामन थामने वाले सुवासरा विधायक हरदीपसिंह डंग का मंत्री पद के लिए नाम फाइनल माना जा रहा था। रात को जारी हुई संभावित सूची में उनका नाम भी था और रात को ही भोपाल से उनके लिए बुलावा भी आ गया। लेकिन इसके अलावा संभावित सूची में संसदीय क्षेत्र से एक भी विधायक का नाम नहीं होने से निराशा देखी जा रही थी। आज सुबह स्थिति बिल्कुल साफ हो गई। हरदीपसिंह डंग के साथ ही केबिनेट मंत्री के रूप में जावद विधायक ओमप्रकाश सकलेचा और मल्हारगढ़ विधायक जगदीश देवड़ा का नाम भी सामने आ गया। इस तरह से संसदीय क्षेत्र से तीन विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। तीनों विधायकों के समर्थकों में खासा उत्साह देखा गया है। समर्थकों ने आतिशबाजी कर खुशी का इजहार भी किया। वैसे ओमप्रकाश सकलेचा और जगदीश देवड़ा भी मंत्री पद की दौड़ में मजबूती से दावेदारी कर रहे थे।
यशपाल बोले-मैं कल भी यहीं था और आज भी यहीं हूं
इस मामले में विधायक यशपालसिंह सिसौदिया ने कहा कि मंत्री पद को लेकर मेरी, मेरे समर्थकों की और विस क्षेत्र के लोगों की इच्छा हो सकती है, लेकिन संगठन का निर्णय सर्वमान्य है। मैं कल भी यहीं था और आज भी यहीं हूं। बस जनप्रतिनिधि होने के नाते सरकार से कुछ मांग करता हूं। विधायक सिसौदिया ने कहा कि कमलनाथ सरकार ने दो लाख का कर्जमाफी का छलावा देकर किसानों पर ब्याज बढ़ा दिया। इस ब्याज को मुक्ति के लिए प्रयास करना चाहिए। इसके अलावा लॉक डाउन में व्यापारियों की दुकानें बंद थी। इसके बाद भी भारी भरकम बिजली बिल से दुकानों को राहत देना चाहिए। इसके अलावा आम जन भी घरों में कैद रहे। काम धंधा ठप रहा। उन्हें भी बिजली के बिल के बोझ से राहत देना चाहिए।
यह बने कैबिनेट मंत्री
गोपाल भार्गव, विजय शाह, जगदीश देवड़ा, बिसाहू लाल सिंह, यशोधरा राजे सिंधिया, भूपेंद्र सिंह, एदल सिंह कंषाना, बृजेंद्र प्रताप सिंह, विश्वास सारंग, इमरती देवी, प्रभुराम चौधरी, महेंद्र सिंह सिसौदिया(संजू भैया), प्रद्युमन सिंह तोमर, प्रेम सिंह पटेल, ओमप्रकाश सकलेचा, उषा ठाकुर, अरविंद भदौरिया, डॉ. मोहन यादव, हरदीप सिंह डंग, राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव।
यह बने राज्यमंत्री
भरत सिंह कुशवाह, इंदर सिंह परमार, रामलेखावन पटेल, राम किशोर कांवरे, बृजेंद्र सिंह यादव, गिर्राज दंडौतिया, सुरेश धाकड़, ओपीएस भदौरिया।
न्यूज फ्लेश
2003 में थे संसदीय क्षेत्र से चार मंत्री
प्रदेश में 1993 से 2003 तक कांग्रेस शासन के वक्त दिग्विजयसिंह सीएम थे। 10 साल तक मंदसौर के नरेंद्र नाहटा, जावरा के महेंद्रसिंह कालूखेड़ा को कैबिनेट में रखा। कार्यकाल के दूसरे चरण में राज्यमंत्री के रूप में जावद के घनश्याम पाटीदार व सुभाष सोजतिया को भी लिया था। इस तरह 2003 के वक्त तो सरकार में मंदसौर संसदीय क्षेत्र की 8 सीटों में से 4 सीटों से मंत्री थे। तुलनात्मक भाजपा मंदसौर जिले को जनसंघ के जमाने से गढ़ मानती रही है। इसके बावजूद अभी तक क्षेत्र काफी उपेक्षा का शिकार हो रहा था। हालांकि इस बार आठ में से तीन मंत्री बनाए गए है।
इसी क्षेत्र से तीन मुख्यमंत्री चुने गए
डॉ. कैलाशनाथ काटजू-1957 में इसी क्षेत्र की जावरा विधानसभा सीट से विधायक बने। फिर 31 जनवरी 1957 में सीएम बने।
वीरेंद्र कुमार सकलेचा-जावद विधानसभा सीट से विधायक वीरेंद्र कुमार सकलेचा 18 जनवरी 1978 में मुख्यमंत्री हुए।
सुंदरलाल पटवा- कुकड़ेश्वर निवासी सुंदरलाल पटवा मनासा सीट से चुनाव जीतकर 20 जनवरी 1980 को मुख्यमंत्री बने। हालांकि वह 5 मार्च 1990 में रायसेन जिले की भोजपुर सीट से चुनाव लडक़र मुख्यमंत्री बने थे।