Friday, April 26th, 2024 Login Here
प्रधानमंत्री मोदी ने लेह पहुंचकर वहां तैनात जवानों का मनोबल तो बढ़ाया ही, चीन के विस्तारवादी मंसूबों पर खूब प्रहार भी किए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यकायक लेह पहुंचकर केवल वहां तैनात जवानों का मनोबल ही नहीं बढ़ाया, बल्कि उन्होंने चीन को यह सख्त संदेश भी दिया कि भारत उसकी अतिक्रमणकारी हरकतों का मुंहतोड़ जवाब देने को तैयार है। यह अच्छा हुआ कि चीन ने उनके इस संदेश को ग्रहण करने के साथ ही उनके इस कथन पर अपनी प्रतिक्रिया भी व्यक्त की कि विस्तारवाद की सनक सदैव विश्व शांति के लिए खतरा होती है। हालांकि प्रधानमंत्री ने चीन का नाम लिए बगैर उसे विस्तारवादी बताया, लेकिन चीनी सत्ता को यह समझते देर नहीं लगी कि दरअसल उसके ही नापाक इरादों को रेखांकित कर उसे विश्व शांति के लिए खतरा बताया जा रहा है। साफ है कि चोर अपनी दाढ़ी का तिनका खोजने लग गया। चीन के विस्तारवादी इरादों की पोल खोलने वाले बयान पर चीनी विदेश मंत्रालय का यह कहना न केवल हास्यास्पद, बल्कि दुनिया की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश भी है कि किसी पक्ष को ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए, जिससे हालात बिगड़ें। आखिर यह चीन ही है, जो लद्दाख सीमा पर यथास्थिति बदलने की कोशिश कर रहा है। यदि उसने अतिक्रमणकारी रवैया नहीं अपनाया होता तो सीमा पर तनाव ही क्यों होता? यह अहंकारी चीनी सत्ता की सनक ही है कि वह उस गलवन घाटी को अपना बता रही है जिसका नामकरण एक भारतीय के नाम पर हुआ।
चीन को इससे भी मिर्ची लगी कि उसे बिना किसी लाग-लपेट विस्तारवादी कहा गया, लेकिन सच्चाई तो यही है कि वह एक शातिर जमीनखोर देश है। दूसरे देशों की जमीन पर फर्जी दावा करना और फिर छल-छद्म से उस पर कब्जा करना उसकी पुरानी आदत है। जमीनखोरी की उसकी इस गंदी आदत से केवल भारत ही नहीं, उसके अन्य पड़ोसी भी त्रस्त हैं। अब तो पूरी दुनिया इससे अच्छी तरह परिचित है कि वह किस बेशर्मी के साथ अपने पड़ोसी देशों की जमीनों को निगलने की कोशिश करता है। चीन हांगकांग की स्वतंत्रता का जिस बर्बर तरीके से दमन करने में जुट गया है, उससे दुनिया को यह भी पता चल गया कि उसके लिए कोई अंतरराष्ट्रीय समझौता मायने नहीं रखता। आखिर ऐसे देश पर कोई भरोसा कैसे कर सकता है? भारत तो बिल्कुल भी नहीं कर सकता, क्योंकि गलवन घाटी में चीन ने जो कुछ किया, वह भरोसे का खून ही है। पाखंडी चीन इस धोखेबाजी की कीमत चुकाए, इसके लिए भारत को हर संभव उपाय करने चाहिए। भारत को अपने विकल्पों का दायरा बढ़ाना चाहिए ताकि चीन इसका अनुमान न लगा सके कि उसके खिलाफ क्या कुछ किया जा सकता है? उसे यह पता चलना ही चाहिए कि उसने गलती कर दी है।