Thursday, March 28th, 2024 Login Here
कोई
भी चंद्रग्रहण या सूर्य ग्रहण, कटाव बिंदुओं के मध्य ही लगता है। जैसे जब
उत्तरायण में ग्रहण लगता है तब नॉर्थ पोल पर ग्रहण लगेगा तथा जब दक्षिणायन
में ग्रहण लगता है तब वहां साउथ पोल पर लगता है। और यही दो कटाव बिंदु, जो
कान्तिवृत्त और विषुव वृत्त हैं, यह दोनों कटाव बिंदु राहु और केतु कहलाते
हैं। अर्थात राहु और केतु का भौतिक अस्तित्व नहीं है। यानी ये ग्रह नहीं
हैं, लेकिन फिर भी इन्हें ज्योतिष में ग्रह माना जाता है। इंदौर के
ज्योतिषविद पंडित पंडित गिरिश व्यास बताते हैं कि ये एक काल्पनिक बिंदु
छाया मात्र ही हैं। मगर, ये दोनों बिंदु यानी राहु-केतु अद्भुत शक्ति से
संपन्न हैं।
दिन में राहु-काल के समय में भी कोई काम शुरू नहीं करने
को कहा जाता है। दरअसल, इस समय पर जो भी काम किया जाता है, उसके पूरा होने
में बहुत परेशानी आती है। इस आधार पर हम देखते हैं कि जब इन कटाव बिंदुओं
पर ग्रहण लग रहा है, तो ज्यादा प्रभाव इन कटाव बिंदुओं पर पड़ता है। अर्थात
राहु और केतु पर पड़ता है। जिनकी पत्रिका में राहु 2, 3, 6, 8, 11 और 12
भाव में होते हैं, उन जातकों को ग्रहण का प्रभाव नकारात्मक रूप से प्राप्त
होता है। जिन जातकों की पत्रिका में 1, 4, 5, 7, 9 और 10 इन भावों में यदि
राहु या केतु होते हैं, तब उन्हें शुभ फल की प्राप्ति होती है।
पाराशर
जी के श्लोक क्रमांक 13 के अनुसार, केंद्र और त्रिकोण में राहु और केतु
शुभ फल प्रदान करने वाले होते हैं। इस आधार पर राहु और केतु केंद्र-त्रिकोण
में जिनकी पत्रिका में हैं, उन्हें शुभ फल प्रदान करेंगे तथा जिनकी भी
राहु या केतु की दशा चल रही हो, उन्हें भी ग्रहण के एक महीने पूर्व से
ग्रहण के एक महीने पश्चात तक अशुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। इस आधार पर
जिन्हें भी राहु की दशा चल रही हो, वह राहु से संबंधित दान- जैसे खड़ी मसूर
तथा काला वस्त्र या ग्रे कलर का कंबल दान करना श्रेयस्कर होता है।
ग्रहण
के पूर्व रात्रि अर्थात एक रात्रि पूर्व 1 किलो खड़ी मसूर गला कर सुबह
पीपल या वट वृक्ष के नीचे डालें या किसी गाय को खिला दें। इससे भी ग्रहण का
प्रकोप और दशा अंतर और प्रत्यंतर दशा के जातकों को नकारात्मक फल या अशुभ
फल प्राप्त नहीं होता है। इसलिए राहु और केतु वाले जातकों को खासा अपना
ध्यान रखना है तथा दान-धर्म तथा गुरु मंत्र का ग्रहण काल में जप करना है,
जिससे राहु और केतु का बुरा फल प्राप्त न हो और जीवन का यह वर्ष सुखमय
बीते।