Saturday, April 20th, 2024 Login Here
तीन साल में शहर के बड़े प्रोजेक्ट होने से पूरे अब तक है अधूरे
मंदसौर जनसारंगी
प्रकृति की नाराजी ओर नगर सरकार से लेकर प्रदेश सरकार तक हुई सियासी हलचल ने मंदसौर के विकास को पिछड़ा बना दिया है।इस हलचल के कारण पिछले तीन सालों में शहर के बड़े प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं उतरे।
वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव ओर फिर लोकसभा चुनाव के चलते आचार संहिता लगी और चुनाव के चलते कोई नया नया काम नहीं हो पाया। तो नपा के तत्कालीन अध्यक्ष प्रहलाद बंधवार हत्याकांड और फिर नए अध्यक्ष के शासन स्तर पर मनोनयन को लेकर जारी खीचतान के बाद फिर नपा के अध्यक्ष के उपचुनाव को लेकर हाईकोर्ट में झूलता मामला तो कभी दो-दो सीएमओ के बीच कुर्सी को लेकर मामला भी हाईकोर्ट तक पहुंचा तो इस बीच सीएमओ का मंडला वाला मामला भी आया। गत वर्ष आई बाढ़ ने भी शहर में बहुत नुकसान किया और बाढ़ के कारण भी काम लंबित हुआ। वही जब फरवरी माह में नपा अध्यक्ष का उपचुनाव हुआ और फिर से शहर सरकार पर भाजपा अध्यक्ष काबिज हुआ और प्रदेश में फिर भाजपा की सरकार आई तो लॉक डाउन लग गया और लगभग 72 दिन का समय लॉकडाउन में ही बीत गया। इन्ही के चलते पूरा समय निकल गया ओर नपा शहर को कोई नई सौगात नही दिलवा पाई। फिर कभी स्थानीय राजनीति तो कभी बदलती परिस्थितियों के कारण कोई नया काम नहीं हो पाया। इन्हीं कारणों के चलते नपा अपने तमाम लंबित चल रहे प्रोजेक्ट में से किसी एक की स्वीकृति भी नहीं दिलवा पाई। शहर को 3 सालों में कोई नई सौगात नहीं मिली। शासन स्तर पर लंबित चल रहे प्रोजेक्ट अब भी मंजूरी की ही बाट जोह रहे हैं।
यह है प्रोजेक्ट जिन्हें है मंजूरी का इंतजार
नपा के शहर से जुड़े करोड़ों के प्रोजेक्ट शासन स्तर पर मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं। इसमें मुख्य रूप से 53 करोड़ से अधिक की राशि से आवास योजना तो शिवना शुध्दिकरण के साथ सीवरेज योजना , काला खेत पर मिनी स्टेडियम, 15 करोड़ की लागत से बड़ी पूल स्थित नवीन पुलिया के निर्माण के साथ अन्य कई योजनाएं जो शासन स्तर पर लंबित पड़ी हैं। वही चंबल की अधूरी पड़ी योजना भी लंबे समय से पूरी नहीं हो पाई है तो मिड इंडिया अंडर ब्रिज के लिए भी अभी नपा को एक करोड़ 75 लाख रुपए की राशि और रेलवे को जम कराना है। इस पर भी अभी बात नहीं बन पाई है।
कर्मचारी निर्वाचन मैं गए, वसूली हो रही प्रभावित
वर्तमान में मतदाता सूची के पुनरीक्षण का काम चल रहा है। जो अब 25 जुलाई तक होना है। इसमें नपा के करीब 35 से अधिक कर्मचारी की डयूटी लगी हुई है। जो मतदान केंद्रों पर प्राधिकृत अधिकारी के रूप में काम कर रहे हैं। ऐसे में राजस्व अमला का काम पूरी तरह ठप हो गया है। राजस्व वसूली करने वाले कर्मचारी निर्वाचन के काम में गए तो नपा की वसूली ठप हो गई।