Friday, April 19th, 2024 Login Here
कभी लग जाता है लोकड़ाऊन,
कभी हो जाता अनलॉक।
राखी पे पीहर कैसे जाऊ,
कोविड ने लगा दी इसपे रोक।
ना भाई आए, ना में जा पाऊं,
ऐसे में रक्षाबंधन कैसे मनाऊं।
मास्क ओर सोशल डिस्टें सिंग,
नियमो का पालन करके आधा।
असुरक्षित कर में खुद को,
भाई से लूं रक्षा का वादा।
परिस्थिति को देख सबकी,
हो गई है गुम सिट्टी बिट्टी।
समझाकर अपने मन को,
लिखती में राखी कि चिट्ठी।
राखी, कुमकुम, चावल को,
लिफाफे में सहेज के भरूँ।
पोस्ट या कोरियर है सुरक्षित,
सोच सोच कर ही में डरूँ।
राखी तुम्हे मिलते ही भैया,
सेनेटाइज तुम कर लेना।
शुभ मुहूर्त औऱ शुभ घड़ी में,
राखी हाथ पर धर लेना।
बहना की दुआ है भाई तू,
जीवन मे हमेशा आगे बढ़े।
भाई बहन को दूर करने वाले,
इस कोरोना को मेरी हाय पड़े।
इस कोरोना को मेरी हाय पड़े।।
चंचल गौरव मित्तल
नई आबादी , मंदसौर