Saturday, April 20th, 2024 Login Here
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। विभिन्न त्योहारों में से एक रक्षाबंधन का एक अलग महत्व है। रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। श्रावण पूर्णिमा को मनाए जाने के कारण इसे 'श्रावणी पर्व' भी कहा जाता है। लेकिन इस बार कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते न बहन भाई के घर जा पा रहीं है और न ही भाई बहन के घर पहुंच पा रहे हैं। कोरोना वायरस ने रक्षाबंधन को  मनाने का अंदाज भले ही बदल दिया है लेकिन उत्साह बरकरार है ।
कोरोना संक्रमण के कारण अधिकांश बहने इस बार अपने भाई के यहां नहीं आ पाई है क्योंकि कहीं संक्रमण का खतरा है तो आवागमन के साधन भी बंद है लेकिन जो बहने अपने भाई के यहां नहीं आ पाई है उन्होंने वीडियो कॉल के माध्यम से डिजिटल राखी अपने भाइयों की कलाई पर सजाई है इसके अलावा कई जगह बहनों ने खुद ही अपने भाई को राखी बांधकर रक्षा का वचन लिया है।
इस बार रक्षाबंधन पर होने वाला व्यापार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। राखी विक्रेताओं और मिठाई दुकान संचालकों को भारी नुकसान हुआ है। इस बार बहनों ने अपने भाइयों के लिए बाजार से खरीदने के बजाय खुद से ही राखियां बनाई है। कोरोना ने जरूर दूसरे त्योहार की तरह इस त्योहार को भी प्रभावित किया है, लेकिन पर्व को लेकर लोगों में उत्साह कम नहीं हुआ है। प्रत्यक्ष रूप से न सही, सोशल मीडिया या वीडियो कॉलिंग से जरूर भाई और बहन इस पवित्र पर पर अपना स्नेह प्रकट किया। कोरोना ने इस बार राखी का अंदाज बदल दिया है, लेकिन उत्साह बरकरार है।
Chania