Thursday, April 18th, 2024 Login Here
सीएमएचओ कार्यालय के बाद अब अस्पताल में भी छापेमार कार्रवाई की दरकार
मंदसौर जनसारंगी।
कल विधायक यशपालसिंह सिसौदिया की सीएमएचओ कार्यालय में छापामार कार्यवाहीं के बाद इस तरह की छापेमारी की दरकार को जिला अस्पताल में भी महसूस किया जा रहा है। कई तरह की अव्यवस्थाओं के बीच घिरे अस्पताल में कुछ स्टॉफ सदस्यों से लेकर कुछ डॉक्टरों द्वारा की जा रही अभद्रता को भी सहन करना पड़ रहा है। मरीज को शारीरिक और मानसिक पीड़ा के साथ उसके परिजनों की मानसिक पीड़ा लॉकअप में किए जाने वाले व्यवहार से दुगुनी हो रही है। अस्पताल में इंटी पर पार्किंग पर ठेकेदार के लोगों की लूट के साथ ही परेशानियां शुरु हो जाती है। अस्पताल से बाहर निकलने तक मानसिक पीड़ा झेलना पड़ रही है।
पांच सौ बेड के जिला अस्पताल की अव्यवस्थाओं से हर कोई वाकीफ है। मरीज और उसके परिजनों की परेशानियां गेट में घुसते ही शुरु हो जाती है। सबसे पहले वाहन स्टैंड पर लगने वाला शुल्क। पांच रुपए र्निाारित शुल्क की बजाय दस रुपए खुलेआम लिए जा रहे हैं। एक मरीज के साथ तीन बाइक से परिजन पहुंचे हैं तो उन्हें तीस रुपए शुल्क देना पड़ रहा है। बहस करने पर ठेकेदार के लोगों द्वारा अभद्रता अलग सहन करना पड़ती। यहां से शुरु हुआ मानसिक तनाव अस्पताल से छुट्टी होने तक झेलना मरीज और परिजनों की मजबूरी है। कागज पानड़े तैयार करने के लिए कुछ स्टॉफ के सदस्यों द्वारा कभी कभी कहीं का गुस्सा मरीज के परिजन पर निकाल दिया जाता है। इसके अलावा मरीज की डीप लगाना हो या निकालना हो, इसमें भी कई बार संबंधित स्टॉफ दो से तीन चक्कर में मरीज के पास पहुंचते हैं। इसके अलावा मरीज के परिजनों के साथ अभद्रता से भी बात की जाती है। कुछ चिकित्सकों को भी अपनी जुबान पर नियंत्रण नहीं है। इतने हल्के शब्दों का प्रयोग इक्का दुक्का चिकित्सकों द्वारा मरीज और उसके परिजनों के साथ किया जाता है, कि मरीज और परिजनों का मानसिक तनाव सातवें आसमान पर पहुंच जाता है। इसके अलावा भी अस्पताल में कई अव्यवस्थाएं लंबे समय से पैर पसार कर बैठी हुई है।
बंद पड़ा दान का आरओ
तीन चार साल पहले जिला अस्पताल को 6.50 लाख रुपए का आरओ गनेड़ीवाल टस्ट द्वारा लगाया गया था। आरओ अब बंद पड़ा है। अस्पताल की छत पर लगी 65 टंकियों की सफाई छह माह में हो रही है। स्मृति वन में गंदगी की समस्या हल नहीं हो पाई है। एक्स-रे मशीन बंद -छह साल पहले अस्पताल में आ चुकी ब्लड सेपरेशन मशीन की पैकिंग तक नहीं खुली है। सोनोग्राफी और अन्य अत्याधुनिक मशीनें, स्टाफ रूम और वेटिंग रूम अस्पताल में नहीं है। शव रखने के लिए डीप फ्रीजर अभी तक जगह नहीं मिल पाई।
यहां भी सुधार की जरूरत
आपतकालीन कक्ष में दो से ज्यादा गंभीर मरीज आने पर मरहम पट्टी का इंतजार करना पड़ता है। 30 पलंग वाले शिशु वार्ड भी छोटा पड़ रहा है। रात में पोस्टमार्टम व्यवस्था नहीं होने के कारण मृतक के परिजनों को सुबह तक का इंतजार करना पड़ रहा है। इसके अलावा भी सब्जी बनाने से लेकर खाद निर्माण करने की कई योजनाएं अस्पताल प्रबंधन ने तैयार की, लेकिन योजनाएं धरातल पर उतरने से पहले ही दम तोड़ गई।
कागजों में मौजूद दवाईयां
शासन द्वारा जिला अस्पताल से लेकर स्वास्थ्य केंद्रों पर निशुल्क दवाई की व्यवस्था लागू की गई है। जिसमें जिला अस्पताल में करीब 312 तरह की दवाइयां मु त में मिलती है। असल में सिर्फ कागजों में ही 312 तरह की दवाइयां मुफ्त में दी जा रही है। हकीकत में कई महत्वपूर्ण दवाइयां जिला अस्पताल में खत्म हो गई है। इन दवाईयों के बदले में अस्पताल से मरीजों को दवाई केंद्र से विकल्प वाली दवाइयां दी जा रही है। जिसका मरीज डॉःटर के सामने विरोध भी जताते हैं।
जिला चिकित्सालय के कर्मचारियों को नहीं मिला वेतन
वेतन नहीं मिला तो सफाई भी नहीं करेगें अस्पताल में
मन्दसौर जिला हॉस्पिटल पहले से ही अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है एक दिन पहले ही यहां के विधायक सीएमएचओ को प्राइवेट इलाज करते हुए रंगे हाथों पकड़ते हैं और आज सफाई कर्मी सेलेरी नही मिलने के कारण विरोध कर रहे है पांच 5 महीने से सैलरी नहीं मिलने के कारण यह गरीब अपना परिवार का भरण पोषण कैसे करेंगे उसी को लेकर आज कर्मचारियों ने ठेकेदार के खिलाफ काम बंद कर हंगामा किया एवं जिला चिकित्सालय गेट के बाहर सभी ने धरना दिया एवं सैलरी नहीं मिलने पर काम बंद करने का कहां एवं इन कर्मचारियों द्वारा कहा गया कि ठेकेदार द्वारा काम करवा लिया जाता है लेकिन सैलरी नहीं दी जाती ऐसी परिस्थिति में भला इन मजदूर कर्मचारियों की क्या गलती है इन कर्मचारियों का कहना है लगातार काम कर रहे हैं कोरोना के इस काल में वह कोरोनावायरस मरीजों के बिस्तर तक उठाते हैं एवं सफाई करते हैं लगातार 5 महीने लॉकडाउन में इन्होंने काम पूरा किया लेकिन ठेकेदार द्वारा इन कर्मचारियों का वेतन रोक लिया गया एवं ठेकेदार द्वारा धमकाया जाता है कि तुम नहीं करोगे तो और मजदूर है और सैलरी नहीं दी जाती है।