Tuesday, April 16th, 2024 Login Here
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हर साल उपचार के अभाव में दम तोड़ रहीं जिंदगिया
मंदसौर जनसारंगी।

जिले में दुर्घटनाओं से मौत का ग्राफ साल दर साल बढ़ता जा रहा है। इसका बड़ा कारण जो सामने आया है वह है घायलों को तत्काल समुचित इलाज नहीं मिल पाना है। यही वजह है कि जिला सरकारी अस्पताल में ट­ामा सेंटर स्थापित करने की योजना करीब चार साल पहले बनाई। लालफीताशाही के चलते अभी तक यह योजना मूर्तरूप नहीं ले पाई है। चार साल पहले तो इस योजना के लिए स्वीकृत राशि भी लेप्स हो चुकी है। अब फिर तीन करोड़ 38 लाख रूपए की लागत से ट­ामा सेंटर का भवन बनना है।
स्वास्थ्य विभाग ने पूरे प्रदेश में जिला अस्पतालों में ट­ामा सेंटर स्थापित करने के लिए दो प्लानर की नियुक्ति की है। ताकि वे सही जगह का चयन कर ट­ामा सेंटर निर्माण का प्रोजेक्ट बनवा सके। सवा साल पहले स्टेट प्लानर ने जिला अस्पताल परिसर का निरीक्षण किया था। इसके बाद जगह का चयन तो हुआ, लेकिन उसे बाद में रिजेक्ट कर दिया गया। अस्पताल में बगैर नियोजन के जहां चाहे वहां निर्माण कर दिए गए। बिना ठोस कार्य योजना के निर्माण होने से अब बड़ी योजनाओं के लिए जिला अस्पताल परिसर में जगह ही कम बची है। जबकि आने वाले समय में कई प्रोजेक्ट जिला अस्पताल को मिलने वाले है। ट­ामा सेंटर के लिए प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने जो मानक तय किए है उस मानक के अनुसार अस्पताल में सही जगह का इंतजार लंबे समय तक किया गया। इसके बाद स्मृति वन में ट­ामा सेंटर बनाने पर सहमति बनी। इसके बाद फिर अन्य जगह की तलाश शुरु हो गई। कुल मिलाकर अभी तक जगह नहीं मिल पाई है।
लगातार हो रहीं है दुर्घटनाऐ
जानकारी के अनुसार यातायात विभाग द्वारा 2016 में हुई दुर्घटनाओं को लेकर 2017 में जिले में ब्लेक स्पॉट चिह्िंत किए। उन ब्लेक स्पॉट पर 2017 में दुर्घटना में हुई मौत और 2016 की दुर्घटनाओं में हुई मौत के आंकड़े देखे तो तय किए 10 ब्लेक स्पाट में 2017 में 19 मौते हुई है। वहीं 2016 में 12 मौत हुई थी। 2016 में कुल दुर्घटनाएं 707 हुई थी। जिसमें 138 लोगों की जान गई थी और 638 घायल हुए थे। 2017 में 496 दुर्घटनाएं हुई। जिसमें 145 लोगों की जान गई और 564 लोग घायल हुए। 2018 में 571 दुर्घटनाएं हुई। जिसमें 165 की मौत हुई। वहीं 640 घायल हुए। 2019 में अब तक 149 दुर्घटना में 43 जिंदगियां जा चुकी है। वहीं 144 घायल हो चुके हैं। इस साल भी मौत का आंकड़ा अर्धशतक से काफी आगे बढ़ चुका है।
जर्जर ड­ेनेज सिस्टम भी बना मुसीबत
अस्पताल का ड­ेनेज सिस्टम 50 साल पुराना है। जो अब जर्जर हो चुका है। गंदे पानी की निकासी के लिए जमीन में बिछाए गए पाइप एवं निर्मित नालों पर निर्माण कार्य हो गए है। ऐसे में बार-बार गंदे पानी की निकासी में परेशानी आती है और सुविधा घरों में पानी जमा हो जाता है इसके लिये पूरे अस्पताल परिसर में  नया ड­ेनेज सिस्टम करने की जरूरत है। इसके लिए लोक निर्माण विभाग व अन्य संबंधित विभाग से कार्य योजना बनवाई जा रही है। चूंकि अस्पताल का जब निर्माण हुआ था। तब डेढ़ सौ बेड का अस्पताल था। अब यह अस्पताल पांच सौ बेड का हो गया है इस दरमियान ब्लड सेपरटेर यूनिट, डायलिसिस यूनिट,मेटरनिटी वार्ड, एसएनसीयू यूनिट, सीएमएचओ भवन,एआरटी सेंटर सहित अनेक सुविधाओं के लिए निर्माण हुए। इसमें कई निर्माण ड­ेनेज पाइप पर हो गए है। ऐसे में कई बार छोटी-बड़ी समस्या आ जाती है। जिनके निदान के प्रयास अब जरूरी है।
Chania