Thursday, March 28th, 2024 Login Here
कई लोगों ने घरों में किया विसर्जन, नगर पालिका ने की विशेष व्यवस्थाएं
मंदसौर 10 दिवसीय गणेश उत्सव का मंगलवार को गणपति भगवान की प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ ही समापन हुआ इस बार ना ढोल नगाड़े बजे और ना ही गणपति बप्पा मोरिया के जयघोष सुनाई दिए अधिकांश लोगों ने पूरे विधि विधान के साथ अपने घर पर ही प्रतिमाओं का विसर्जन किया प्रतिमा विसर्जन के लिए नगर पालिका ने भी विशेष व्यवस्थाएं की हुई थी। करीब 20 जगहों पर विशेष स्टॉल लगाकर प्रतिमा एकत्र की गई और उन्हें विसर्जन किया गया।
प्रतिवर्ष अनंत चतुर्दशी के पर्व पर सुबह से ही गणपति बप्पा मोरिया अगले बरस तू जल्दी आ के जय घोष लगने लगते हैं युवाओं और बच्चों की टोलियां ढोल धमाकों के साथ प्रतिमा विसर्जन के लिए निकलती है गुलाल होती है लेकिन इस बार को रोना संकट के कारण ऐसा कुछ भी नहीं हुआ पूरे दिन बाजार में पूरी तरह से सन्नाटा पसरा रहा श्रद्धालुओं ने विधि विधान के साथ अपने घरों में ही मिट्टी की प्रतिमाओं को विसर्जित किया और मिट्टी को गमले में स्थापित कर दी ताकि वर्षभर भगवान का आशीर्वाद पौधे की उन्नति के रूप में उन्हें मिलता रहे इसके अलावा पीओपी की प्रतिमाओं को विसर्जन करने के लिए नगर पालिका द्वारा घंटाघर बस स्टैंड रेलवे स्टेशन रोड अफीम गोदाम सहित शहर में 20 जगहों पर विशेष कैंप लगाए गए थे जहां पर प्रतिमाओं को एकत्रित किया गया और उन्हें विधि पूर्वक जल में विसर्जित किया गया। कोरोना संकट के कारण इस बार सारे त्यौहार की रंगत फीकी हो गई है उसमें 10 दिवसीय गणेश उत्सव की शामिल हो गया पूरे 10 दिनों तक कहीं भी गणपति देव की भक्ति की आवाज नहीं सुनाई दी और ना ही कोई पांडाल सजे अनंत चतुर्दशी के दिन भी पूरी रात मंदसौर में झिलमिलाती झांकियों का रतजगा होता है लेकिन इस बार झांकियां भी नहीं निकल पाई।ऐसा छप्पन साल में पहली बार हुआ कि झांकिया नहीं निकली। बताया जाता है कि अत्यधिक वर्षा के कारण पहली बार 1975 में दूसरी बार 2011 में तथा तीसरी बार 2018 में अनंत चतुर्दशी का चल समारोह दूसरे दिन निकाला गया था। कभी दूसरे दिन भी अधिक वर्षा होने पर चल समारोह प्रारंभ कर झांकियां अपने निर्धारित स्थान पर खड़ी रहीं। मूर्ति विसर्जन हमेशा परंपरा अनुसार किया जा रहा है। चल समारोह के स्वागत के लिए 100 से अधिक संस्थाएं जलपान व स्वल्पाहार की व्यवस्था करती हैं।