Friday, April 26th, 2024 Login Here
निजीकरण के विरोध में हड़ताल, व्यापारियों के साथ कर्मचारियों ने भी किया काम बंद, बैठे धरने पर
मन्दसौर जनसारंगी।
प्रदेश भर की कृषि उपज मंडियों का निजीकरण करने के विरोध में मंदसौर मंडी में भी पिछले 6 दिनों से सन्नाटा पसर गया है। व्यापारियों ओर कर्मचारियों ने हड़ताल शुरू कर दी और धरने पर बैठ गये है।कोरोना संक्रमण के कारण मंदसौर का बाजार पहले ही आर्थिक मंदी को झेल रहा है उस पर अब मंडी बंद हो जाने से बाजार में पूरी तरह से सन्नाटा पसर गया है। अनुमान के मुताबिक 6 दनों की हडताल के दौरान करीब सौ करोड़ रूपएं का नुकसान मंडी में होगा।
प्रदेश की सबसे बडी मंदसौर कृषि उपज मंडी कहलाती है जिसमें प्रतिदिन बड़ी संख्या में कृषि उपज की खरीद-बिक्री होती है। मंडी में मंदसौर जिले के अलावा आसपास जिलों से ही नहीं बल्कि दूरस्त जिलों से भी बड़ी संख्या में किसान अपनी उपज लेकर आते है और अपनी उपज बेचकर जाते है। लेकिन प्रदेश भर की मंडियों का निजीकरण करने के विरोध में व्यापारियों ने हडताल का ऐलान कर दिया है। जिसे मंडी के कर्मचारियों ने भी समर्थन किया और हडताल में शामिल हो गए। शनिवार को मंडी व्यापारियों और कर्मचारियों ने मंडी कार्यालय के बाहर धरना दिया और मंडियों का निजीकरण नहीं किये जाने की मांग को दोहराया।
उधर कृषि मंडी में हड़ताल होने से केवल मंडी परिसर में ही सन्नाटा नहीं पसर रहा है बल्कि मंडी के बाहर विभिन्न रेस्टोरेंट, चाय, किराना इत्यादि की दूकानों के साथ ही पूरे बाजार पर इसका असर हो रहा है। बाजार में पहले ही कोरोना संकट के कारण आर्थिक मार पड़ रहीं है। यात्री बसें बंद होने से ग्रामीण शहर तक आ ही नहीं पा रहे है और अब मंडी बंद हो जाने के कारण व्यापार पूरी तरह से ठप्प हो गया है। मंडी बंद होने से पूरे शहर के बाजार में सन्नाटा पसर रहा है।