Tuesday, April 23rd, 2024 Login Here
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मंदसौर। जिले के किसानों को अपने खेतों की मिट्टी का परीक्षण कराने के लिए जिला मुख्यालय सहित चार जगहों पर लेब मौजूद है। जिला मुख्यालय पर स्थित लेब की हालत यह है कि यहां ताले तक नहीं खुल रहे। उपकरणों पर मौजूद धूल जिम्मेदारों की लापरवाही को बयां कर रही है। इसके अलावा गरोठ, भानपुरा, मल्हारगढ़ और सीतामऊ में स्थित लेब पर पर्याप्त स्टॉफ मौजूद नहीं है। स्थिति यह है कि इस साल सिर्फ 73 मिट्टी परीक्षण हुए है।
जिला मुख्यालय पर आधुनिक उपकरणों के साथ मिट्टी परीक्षण लेब का निर्माण काफी समय पहले किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया था। इसके बाद कुछ माह पहले मल्हारगढ़, सीतामऊ, गरोठ और भानपुरा क्षेत्र में भी लेब निर्माण किया गया। इसके लिए भवन बनाए गए और उपकरणों पर लाखों खर्च हुए। सभी लैबों में मिट्टी परीक्षण के लिए एसएस मशीनें भी लग गई हैं। योजना थी कि नमूने आते ही विकासखंड स्तर पर ही मिट्टी परीक्षण शुरू हो जाएगा। यहीं से रिपोर्ट भी मिलेगी और किसानों को आवश्यक विधि एवं मिट्टी की रिपोर्ट के मान से आवश्यक सलाह भी लैब प्रभारियों द्वारा दी जाएगी। मिट्टी परीक्षण भी निशुल्क रखा गया। हालांकि मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थिति जिला मुख्यालय पर स्थित लेब से ही पता चल सकती है। इस साल सिर्फ 73 मिट्टी परीक्षण हुए है। जिला मुख्यालय पर लेब के ताले तक नहीं खुल रहे। यहां लापरवाही लाखों के उपकरणों पर मौजूद धूल बयां कर रही है। इसके अलावा अन्य जगहों पर मौजूद लेबों में स्टॉफ की कमी है। कुल मिलाकर किसान को शासन द्वारा लाखों खर्च करने के बाद भी कोई लाभ नहीं मिल पा रहा।
खाद डालने की मिल जाती जानकारी
मिट्टी की जांच के बाद किसानों को मिट्टी के हिसाब से खाद डालने की जानकारी मिल जाती है। मिट्टी के सूक्ष्म तत्व जैसे जिंक, कॉपर और सल्फर, आयरन की जांच लैब में पता चल जाती है। नमूने अधिक होने पर 2016-17 में कृषि विभाग द्वारा 25 मिनी लैब मंगवाकर सभी विकासखंडों में पांच-पांच रखवाई गई। इससे 2016-17 एवं 2017-18 में 55-55 हजार नमूनों का परीक्षण किया गया। इसके बाद अब सभी विकासखंडों पर एसएस मशीनें लग गई । लेकिन इस साल हुए मिट्टी परीक्षणों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्थिति क्या है?
कम हो रही उर्वरा शक्ति
जिले में कुल तीन लाख 56 हजार हेक्टेयर भूमि पर किसान खेती करते हैं। कृषि विभाग के अनुसार वर्तमान में लगातार रासायनिक उर्वरक के प्रयोग से कृषि भूमि व मिट्टी में उर्वरा शक्ति कम होती जा रही है एवं उत्पादन भी स्थिर हो गया है। 10 साल पहले तक जिले के खेतों की मिट्टी में कार्बनिक तत्वों की मात्रा बहुत अधिक थी। क्योंकि किसान गोबर की खाद एवं कूड़ा-करकट प्रतिवर्ष खेतों में ही डालते थे। ताकि भूमि में पोषक तत्वों का भंडार कहा जाने वाला कार्बन तत्व पर्याप्त मात्रा में बना रहता था, जिससे भूमि में पर्याप्त मात्रा में लाभदायक जीवाणु भी रहते थे। इसके साथ ही किसान का मित्र कहा जाने वाला केंचुआ भी खेतों में बहुतायत से पाया जाता था, जिससे खेतों की मिट्टी को स्वस्थ रखने वाले पर्याप्त तत्व मिलते रहते थे। लेकिन वर्तमान में लगातार रासायनिक उर्वरक एवं खरपतवार नाशकदवाओं के प्रयोग से मिट्टी में उपस्थित लाभदायक जीव, कार्बन पदार्थ समाप्त-सा हो गया है। यही स्थिति बनी रही तो आने वाले वर्षों में मिट्टी की उपजाऊ शक्ति और कम हो सकती है।

Chania