Thursday, April 25th, 2024 Login Here
पिपलिया कृृषि मंडी में कांग्रेस प्रत्याशी गुर्जर ने की किसानों व व्यापारियों से मुलाकात मोदी सरकार की योजनाओं से संसदीय क्षेत्र रोशन हो रहा लाखों खर्च करने के बाद भी जलकुंभी नहीं हटी, अब नपा कर्मचारियों पर जिम्मा! दो साल से कागजों में उलझे अमृत -2 पर आचार संहिता का साया, छह महिने और करना होंगा इंतजार मंदसौर में कार में सवारों से एक करोड़ नगदी और तीन किलो चांदी पकडाई श्रृद्धा, समर्पण और भक्ति भाव से मनाया गया श्री हनुमान जन्मोत्सव भक्तों के दुःख दूर कर आरोग्य तीर्थ बन चुका है श्री हर्कियाखाल बालाजी का धाम मतदान से पहले कार्रवाहीं, 23 बदमाश तीन महिने के लिऐ जिलाबदर शिवना में नाइट्रोजन ज्यादा इसलिए फेल रही जल कुंभी.. बुनियादी संसाधनों का समग्र विकास भाजपा सरकार कर रही कार में बैठकर उतार रहे थे सट्टा, 9 सटोरिये गिरफ्तार, पांच करोड़ का हिसाब मिला मंदसौर की युवती के साथ रतलाम के कोचिंग संचालक ने किया दुष्कर्म मंदसौर नया रिकार्ड बनाऐ, डबल इंजन की सरकार करेंगी यहां विकास-सीएम डॉ यादव सीएम डॉ मोहन यादव ने मंदसौर में किया रोड शो, गांधी चौराहे पर जनसभा को भी संबोधित किया तैलीया तालाब पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट को सही माना एनजीटी ने

कबूतरों बिलो से हो रहा भुगतान ,शासन को लग रहा टेक्स का चूना, गिट्टी व रेत की रॉयल्टी की नही दी जाती रशीद
-पंकज जैन
  टकरावद/जनसारंगी न्यूज । ग्रामीण विकास के लिए आने वाले फंड को कुछ लोगों ने अपनी जेबें भरने का जरिया बना लिया है। विकास कार्यों के लिए आने वाले फंड की बंदरबांट के किस्से तो पुराने हैं हीं लेकिन अब जो मामला सामने आ रहा है वह शासकीय राजस्व की हेराफेरी से भी जुड़ा है। 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से अब तक मल्हारगढ जनपद क्षेत्र की कई ग्राम पंचायतों में करोडो का भुगतान कागज पर ही चलने वाली फर्जी फर्मों को किया जा चुका है। ?इनमें से कई फर्मों का तो अस्तित्व ही नहीं है और यह केवल कंपोजिशन का जीएसटी नंबर लेकर कागज पर ही संचालित की जा रही हैं। जबकि बहुत सी फर्में ऐसी भी है जो किसी आयटम की परचेज किए बिना ही सेल के बिल काट रही हैं। घोटालेबाज फर्मों ने शासन को चूना लगाने के लिए थोक के भाव में कंपोजिशन के जीएसटी नंबर लिए हुए हैं। कुछ फर्में दुकान खोल कर बैठी भी हैं तो वास्तविक वस्तू की खरीदी बिक्री के अलावा अन्य आयटम के बिल काटने का व्यापार भी कर रही हैं। सरपंच-सचिवों की हिम्मत भी देखिए कि सीमेंट-लोहे की दुकानों से गिट्टी, रेता, सेटि­ंग, मिःचर मशीन, ट­ांसपोर्टिंग के बिल लेकर भुगतान करे दे रहे हैं। कुल मिलाकर पूरे मामले में एक संगठित गिरोह सा काम कर रहा है जो कि ग्रामीण विकास के लिए आने वाले करोड़ों के फंड से अपनी जेबे भरने के लिए नियम कानूनों को सरेआम ताक पर रखने से भी बाज नहीं आ रहा है।
 पंचायत ठेकेदारों ने छपवा रखी है अपनी बिल बुकें
 फर्जी फर्मों से बिल लेकर भुगतान करने का तरीका सरपंच-सचिवों को संभवत: पंचायत में काम करने वाले अवैध ठेकेदारों ने सिखाया है। मल्हारगढ क्षेत्र की पंचायतों में काम करने वाले अधिकांश अवैध ठेकेदारों ने कंपोजिशन का जीएसटी  लेकर कागजों पर फर्म बनाई हुई है। इन्हीं फर्मों के नाम से यह ग्राम पंचायतों के बिल काटते हैं। इस फायदा उन्हें यह होता है कि ग्राम पंचायत में ठेकेदारी पर प्रतिबंध है सो अवैध तरीके से काम करने वाले ठेकेदार सीधे सप्लायर के रूप में अपना या अपनी परिचित फर्जी फर्मों के नाम का बिल काटकर अपने खाते में ही भुगतान करवा लेते हैं। कुछ पंचायत ठेकेदारों ने ऐसे फर्जी बिल काटने हेतु अपने भाई, पत्नि या अन्य रिश्तेदारों के नाम पर जीएसटी नंबर ले रखा है ऐसे मामलों में भुगतान करने वाली एजेंसियों को भुगतान के समय ही सुनिश्चित करना चाहिए कि वैध फर्मों को ही भुगतान किया जाए
 घोटालेबाज फर्मों की मची होड़
सरपंच-सचिवों और ठेकेदारों के पास ही रखी रहती हैं बिल बुकें  ।  मल्हारगढ जनपद क्षेत्र में नियमविरूध्द बिल फाडने का ही व्यापार कर रही घोटालेबाज फर्मों    कई है। कई जगह तो सरपंच-सचिव इन फर्मों की बिल बुकें खुद ही रख लेते हैं और मनमर्जी से बिल फाड़ते रहते है
 खनिज संपदा की रॉयल्टी रशीद नही दी जाती है
किरानो की दुकान वालो  भी कमीशन पर बिल गिट्टी व रेती के बिल तो दे रहे है लेकिन रॉयल्टी की रशीद नही दे रहे है खनिज अधिकारीयो का कहना की रेती व गिट्टी खरीदी पर रॉयल्टी रशीद लेना जरूरी है

Chania