Wednesday, April 24th, 2024 Login Here
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4मंत्रियों की जगह,दावेदार ठोक रहे दम
विस अध्यक्ष के लिए के दार शुक्ला के अलावा गौतम, मंदसौर विधायक  सिसोदिया, पूर्व विस अध्यक्ष शर्मा के नाम की चर्चाए
मंदसौर जनसारंगी।

प्रदेश में 28 सीटों के उपचुनाव में 19 सीटों पर जीत मिलने से शिवराजसिंह सरकार  को स्थारूित्व मिल गया लेकिन अब सरकार के मुखिया शिवराजसिंह चौहान के सामने चुनौतिया कम नहीं है। सबसे पहली चुनौती होगी केबिनेट के विस्तार की । कांग्रेस से भाजपा में आए सिंधिया समर्थक दो मंत्रियों के चुनाव हारने के बाद अब मंत्रीमंडल में चार और मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है।एक स्थान पहले से ही खाली पड़ा था, लेकिन प्रमुख दावेदारों में 7 से अधिक विधायक है जिसमें एक को भी मनाने में कड़ी मेहनत करना होगी। इसके साथ ही विधानसभा अध्यक्ष का पद भी रिक्त है जिस पर 6 बार के विधायक एवं विध्य के बड़े नेता केदार शुक्ला का दावा हो सकता है गिरीश गौतम भी दौड़ में पीछे नहीं है इसके अलावा मंदसौर विधायक यशपालसिंह सिसोदिया और नर्मदापुरम से पूर्व विधायक पूर्व विस अध्यक्ष सीताशरण शर्मा का नाम भी इस पद के लिए विचार में लाया जा सकता है।
कमलनाथ सरकार गिरने के बाद सत्ता में आए शिवराज ने केबिनेट में कांग्रेस से इस्तीफा देकर आए 22 में से 14 विधायकों को शामिल कियाथा। इसमें क्षेत्रवार प्रतिनिधित्व जैसे समीकरण नहीं थे, लेकिन अब यह दबाव रहेगा। अब विंध्य और महाकौशल के विधायकों को मंत्री बनाए जाने की उम्मीद बंधी है। सवाल यह भी है कि कैबिनेट विस्तारके बाद विधानसभा अध्यक्ष कौन बनेगा?चुनाव हारने वाले सिंधिया समर्थकों को बीजेपी में संगठन में जगह मिलेगी या नहीं? निगम-मंडलों में नियुक्तियों को लेकर भी शिवराज पर दबाव कम नहीं रहेगा। अब उपचुनाव जीतने के बाद शिवराज  सरकार पर विंध्य क्षेत्र के विधायकों का दबाव ज्यादा होगा। यहां से वरिष्ठ विधायक गिरीश गौतम ने आवाज उठाना भी शुरू कर दिया है। मंत्रीमंडल मे जगह दिए जाने को लेकर उन्होंने कहा कि विंध्य को तवज्जों मिलना चाहिए। उम्मीद है कि पार्टी इस पर विचार करेगी। इनके साथ ही मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए कई वरिष्ठ विधायक सक्रिय हो गए।शिवराज सरकार के पिछले कार्यकाल में मंत्री रहे संजय पाठक, रामपालसिंह, गौरीशंकर बिसैन और राजेन्द्र शुक्ला के अलावा नागेन्द्रसिंह, रमेंश मैंदोला, अजय विश्नोई इस दौड़ में है। इसके साथ ही उपचुनाव में भाजपा के खाते में 19 सीटे आने के से ज्योतिरादित्य सिंधिया का पार्टी में प्रभाव बढ़ सकता है। संगठन के साथ-साथ सरकार में भी उनकी सुनी जाएगी। दरअसल, सरकार में शिवराज ने अपने पिछले तीन कार्यकाल में ऐसी राजनैतिक परिस्थितियों का सामना नहीं किया था।
हालांकि मंदसौर संसदीय क्षेत्र ऐसी जगह है जहां कांग्रेस सरकार ने 7 मंत्री हुआ करते थे। इसके अलावा इस जिले ने प्रदेश को तीन मुख्यमंत्री दिए है जबकी भाजपा की सरकार में संसदीय क्षेत्र को एक-दो या तीन मंत्रियों से ही संतुष्ट होना पड़ा है। अभी मंदसौर जिले से प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवडा, लघु उघोग मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा और नवकरणीय ऊर्जा मंत्री हरदीपसिंह डंग केबिनेट में है। उनके अलावा मंदसौर से वरिष्ठ विधायक यशपालसिंह सिसोदिया, जावरा विधायक राजेन्द्र पाण्डे भी मंत्रीमंडल की दौड़ में है। लेकिन अब तीन मंत्रियों को केबिनेट में जगह मिलने के बाद इस क्षेत्र को और प्रतिनिधित्व मिले ऐसी संभावनाए कम है ऐसे में मंदसौर विधायक यशपालसिंह सिसोदिया को विस अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चाए चल पड़ी है।


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