Tuesday, April 23rd, 2024 Login Here
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केवल योजना बनाने में ही निकल गया जल संसाधन का सवा साल
जनसारंगी न्यूज
मन्दसौर ।  पिछली बारिश में टूट-फूट और क्षति का शिकार हुए तालाबों की मरम्मत अभी तक नही हुई हैं। मन्दसौर के जल संसाधन विभाग ने सवा साल केवल प्लानिंग में ही पूरा कर दिया। लोग और किसान परेशान है। वही अधिकारी  चुप है।
पिछले साल ज्यादा बारिश के कारण हासली और पानपुर-बड़ोद के बांध टूट गए थे। लगभग एक दर्जन तालाब व सॉलिड वियर भी क्षतिग्रस्त हुए थे। इसके कारण तालाबों के आसपास क्षेत्रों में लोगों को बहुत नुकसान हुआ। लोगों को घर छोडक़र इधर-उधर जाना पड़ा था। बाद में जैसे-तैसे स्थिति सुधर गई। इसके बाद जिम्मेदार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने तालाबों की मरम्मत को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई। इसके कारण सवा साल बीत जाने के बाद भी तालाबों की मरम्मत नहीं हो पाई है। अधिकारियों का कहना है कि पानपुर-बड़ोद और हासली तालाब की मरम्मत पर करीब 60 लाख रुपये खर्च होंगे। इसके लिए एसडीओ को लिखा है लेकिन बाद की प्रक्रिया नहीं हो पाई है।
सेमली तालाब की भी यही स्थिति -
इधर सेमली तालाब भी पिछले साल बाढ़ से फूट गया था। यह तालाब भी नहीं सुधर पाया है जबकि बाढ़ के बाद जायजा लेने पहुंचे नेताओं ने जल्द सुधार के निर्देश दिए थे। तालाबों के सुधार के लिए अब तक राज्य शासन की स्वीकृति का इंतजार किया जा रहा है। स्वीकृति नहीं मिल पाने के कारण सुधार नहीं हो पाया। वही बारिश का पानी इन तालाबों में नहीं भर पाया है। पानी नहीं होने के कारण आसपास के खेतों में सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पाया है।
तालाब फूटने से हुआ था नुकसान -
अधिक बारिश होने से पिछले साल ग्राम सेमली का तालाब भी फूट गया था। इसके कारण ग्राम आक्या में पानी घुस गया था। गांव में भारी नुकसान हुआ। कई मकान जमींदोज हो गए थे। बता दे कि सेमली तालाब का नाला आक्या गांव के बीच से ही निकलता है। इसी तरह ग्राम बाजखेड़ी का तालाब भी बारिश में फूट गया था।
मंत्री के निर्देशो की भी उड़ी धज्ज्ाियां -
बाढ़ के बाद जायजा लेने के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार में राजस्व मंत्री गोविंदसिंह राजपूत भी मंदसौर आए थे। मंत्री सिंह ने बाजखेड़ी आदि क्षेत्रों में पहुंचकर स्थिति देखी थी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश भी दिए थे। लेकिन बाढ़ का कहर कम होने के बाद धीरे-धीरे हालात सामान्य होते ही अधिकारियों ने सुधार कार्यों र्पर ध्यान नहीं दिया। यहीं कारण है कि सवा साल बीतने के बाद भी सुधार नहीं हो पाया है।

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