Wednesday, April 24th, 2024 Login Here
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अब तक पूरा नहीं हुआ अमृत योजना का सपना, एक बार फिर हो रहीं जलसंकट की आहट्
मंदसौर जनसारंगी।
मंदसौर जिले से होकर चंबल नदी बह रहीं है। गांधी सागर  बांध को बनाने में सबसे ज्यादा प्रभावित भी मंदसौर जिले की जनता ही हुई है बावजूद इसके चंबल के पानी पर मंदसौर जिले का अधिकार नहीं मिल पाया है। अमृत योजना के माध्यम से चंबल का पानी मंदसौर तक लाऐ जाने को लेकर नगर पालिका ने जलकल बढ़ा दिया, करोड़ो रूपऐ अभी तक चंबल के अमृत के नाम पर कर के रूप में वसुले जा चूके है लेकिन अभी तक अमृत का सपना साकार नहीं हुआ है और अबकी बार बारिश कम होने से एक बार फिर मंदसौर पर पेयजल संकट की आहट् होने लगी है।  जबकी राजस्थान की जागरूकता के कारण पिछले 61 सालों से चंबल का अमृत जनता की प्यास बुझा रहा है, दूर-दूर तक चंबल का पानी पहुंच रहा है लेकिन मध्यप्रदेश के चंबल किनारे वालों गांवों को  भी चंबल का अमृत नहीं मिल रहा है।
शहर के जलसंकट का स्थाई समाधान करने के लिए केन्द्र की अमृत योजना के तहत 53 करोड़ का चंबल प्रोजेक्ट बनाया गया था जो अब तक पूरा नहीं हो पाया है। ठेकेदार की रसूख और नपा की लापरवाही और मेहरबानी के कारण चंबल का पानी अब तक मंदसौर नहीं आ पाया है। जनप्रतिनिधि भी करोड़ो के इस प्रोजेक्ट को पूरा करवाने को लेकर शुरु से ही गंभीर नहीं दिख रहे। यहीं कारण है कि चंबल का पानी मंदसौर के लोगों को नसीब नहीं हुआ। रेलवे ने क्रॉसिंग के लिए अनुमति दी तो एमपीआरडीसी ने भी अनुमति जारी कर दी लेकिन काम नहीं हुआ। कई महीनों से काम अधूरा होने के बाद भी बंद पड़ा है। इलेक्ट्रिक लाईन के मामले में पेंच फंसा तो नपा ने इसके लिए अलग से टैंडर जारी कर दिए। कांग्रेस की परिषद ने योजना के तहत विद्युत ग्रीड निर्माण के लिए बाईस किमी विद्युत लाईन हेतु आ रही बाधाओं को दूर किया था। वर्तमान नपाध्यक्ष द्वारा परिषद की बैठक में 2020 में चंबल का पानी मंदसौर लाने का वादा भी किया था उन्होंने अगस्त महिने से पूरे नगर मे निरन्तर जल सप्लाय का सपना भी दिखाया था लेकिन इसके लिए जरूरी विद्युत ग्रीड हेतु दर स्वीकृत होने के बावजूद अब तक वर्क आर्डर जारी नहीं किया गया। अफसरों की लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता करोड़ों के चंबल प्रोजेक्ट पर भारी पड़ रही है।
जबकी राजस्थान के जनप्रतिनिधियों की जागरुकता और अधिकारियों की गंभीरता से वहां चंबल का पानी लोगों की प्यास बुझा रहा है लेकिन इससे भी मंदसौर के जनप्रतिनिधि, अधिकारी नहीं सीख ले पाए। जहां चंबल किनारे बसा मंदसौर जिला चंबल के पानी का तरस रहा है वहीं अमृत राजस्थानियों की पानी प्यास बुझा रहा है। चंबल के नाम से पहचाने जाने वाले अंचल के शहर और गांव चंबल नदी के किनारे बसे होने के बाद भी प्यासे हैं। जबकि राजस्थान के 11 बड़े शहरों सहित सैकड़ों गांव चंबल नदी से लगभग 827 मिलियन लीटर (82.70 करोड़ लीटर यानी राष्ट्रीय मानक 135 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के हिसाब से लगभग 61 लाख लोगों के लिए रोज का पानी) पानी ले रहे हैं।
मेहरबानी प्रोजेक्ट पर पड़ रही भारी
53 करोड़ से अधिक का प्रोजेक्ट निर्माण कंपनी के ठेकेदार और नपा की लापरवाही कही या ठेकेदार पर मेहरबानी लेकिन इसी के कारण लेट होता चला जा रहा है और यही कारण है कि निर्धारित समयावधि बीते हुए भी लंबा समय बीत गया लेकिन प्रोजेक्ट अब तक अधूरा है और कार्रवाई के नाम पर नपा सिर्फ नोटिस जारी ही कर रही है। लेकिन ठेकेदार न तो काम कर रहा है और न ही नपा ठेकेदार पर सत कार्रवाई कर इस काम को पूरा करवा पा रही है।
एक नहीं कई काम बाकी
अमृत योजना में बना चंबल प्रोजेक्ट वैसे तो 71 करोड़ का था लेकिन निर्माण कंपनी ने कम रेट पर जाकर इसे करीब 55 करोड़ में ले लिया। इसके बाद कोल्वी चंबल पर इंटकवेल भी गलत बना दिया। नपा की तमाम आपत्तिायों के बाद शासन स्तर से इंटकवेल को एप्रु कर दिया गया। रेलवे क्रॉसिंग के लिए अनुमति में समय लगा। अब जब अनुमति मिली और रेलवे ने तीन माह में काम करने की कहा तो उस समयावधि में काम नहीं किया। एमपीआरडीसी ने भी डिगांव के यहां काम के लिए अनुमति दी, लेकिन यहां भी काम नहीं हो पाया। पहले 4 किमी की इलेक्ट्रिक लाईन का काम था जो बाद में 22 किमी तक पहुंच गया तो नपा में इसके लिए अलग से टैंडर निकाले 70 लाख से अधिक में नपा इस प्रोजेक्ट को अलग से करवाएगी इसका काम भी शुरु नहीं हो पाया। लाईन का काम भी पूरा नहीं हुआ तो विद्युत के लिए सब स्टेशन बनने के बाद पंप स्टालेशन भी होना है। इन सब कामों के चलते ही चंबल का पानी अब तक मंदसौर नहीं आ पाया है।  

Chania