Saturday, April 20th, 2024 Login Here
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मानव तस्करी से कराई गई थी मुक्त, अपना घर की अपील पर हुआ निर्णय
मंदसौर जनसारंगी।

नौ साल पहले पुलिस अधीक्षक की पहल पर जिले के बांछड़ा डेरों में मानव तस्करी कर लाई गई बालिकाआंे को मुक्त कराकर अपना घर में रखा था जहां बालिकाओं का भरण-पोषण और शिक्षा की व्यवस्था भी हो रहीं थी लेकिन बाल कल्याण समिति द्वारा न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करते हुए बिना डीएनए टेस्ट कराएं बालिकाओं को कथित परिजनों को सुपुर्दगी की में दिया जा रहा है। जबकी 25 जून 2020 को न्यायालय ने आदेश दिया था कि बालिका को सुपुर्दगी में देने से पहले डीएनए जांच कराइ्र जाऐ। यदि डीएनए बालिका के परिजनों से मिले तो ही सुपुर्दगी दी जाए। ऐसे में बिते दिनों एक बालिका को बिना डीएनए टेस्ट सुपुर्दगी दिए जाने के बाल कल्याण समिति द्वारा दिए गये निर्णय के मामलें में न्यायालय कलेक्टर ने रोक लगा दी और आदेश को निरस्त कर दिया।
वर्ष 2011 में मन्दसौर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक डॉ जी के पाठक के नेतृत्व में समाजसेवी संगठनों के सहयोग से मानव तस्करी से मुक्त कराई गई बालिकाएं निराश्रित बालिका गृह अपना घर सीतामऊ फाटक मंदसौर में निवास कर रही हैं । इन बालिकाओं को बिना डीएनए टेस्ट कराएं बाल कल्याण समिति मन्दसौर द्वारा कथित परिजनों को लगातार सौंपा जा रहा था । ऐसे ही एक मामले में निराश्रित बालिका गृह अपना घर के संस्थापक अध्यक्ष राव विजयसिंह, अध्यक्ष बृजेश जोशी व अधीक्षिका भारती शर्मा ने अपने अभिभाषक डॉ राघवेंद्रसिंह तोमर के माध्यम से बाल कल्याण समिति मध्य प्रदेश शासन जिला मंदसौर के आदेश दिनांक 25 जून 2020 के विरुद्ध न्यायालय कलेक्टर जिला मंदसौर एवं प्राधिकारी अधिकारी शिकायत निवारण बाल कल्याण समिति मध्य प्रदेश शासन जिला मंदसौर के समक्ष एक अपील प्रस्तुत की थी । अपील में अपना घर बालिका गृह की ओर से न्यायालय को बताया गया कि दिनांक 26 जून 2011 को मानव तस्करी से मुक्त कराई गई बालिका को अफजलपुर पुलिस ने बाल कल्याण समिति के माध्यम से बालिका गृह को सुपुर्द किया गया था,तब से बालिका अपना घर में निवास कर रही है । बालिका मंदसौर के प्रतिष्ठित विद्यालय में अध्ययनरत है । उसका भरण पोषण शिक्षा दीक्षा अच्छे तरीके से अपना घर द्वारा की जा रही है । बाल कल्याण समिति मंदसौर ने दिनांक 25जून 2020 को बालिका को कथित परिजनों को सुपुर्दगी में देने का आदेश पारित कर दिया,जबकि इसके पूर्व बाल कल्याण समिति द्वारा दावा करने वाले परिजनों का डीएनए टेस्ट नहीं कराया गया,इसके साथ ही पुलिस से प्रतिवेदन भी नहीं मंगाया गया ।
अपर सत्र न्यायाधीश ने भी दिए थे जांच के निर्देश
अभिभाषक श्री तोमर ने बताया कि पहले भी माननीय न्यायालय तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश श्रीमती प्रवीणा व्यास ने अपने निर्णय दिनांक 8 जुलाई 2016 की कंडिका क्रमांक 50 में लिखा था कि बाल कल्याण समिति मन्दसौर डीएनए टेस्ट कराने के उपरांत बालिकाओं को सुपुर्दगी में देने हेतु स्वतंत्र है,बाबजूद इसके कई बालिकाओं को बिना डीएनए टेस्ट कराए कथित माता पिता की सुपुर्दगी में दे दिया गया । जिसकी शिकायत की जांच भी प्रचलन में है। वहीं ऐसे ही अन्य मामलों में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग दिल्ली को अपना घर की ओर से शिकायत भी की गई थी जिसकी जांच भी जिला कलेक्टर मन्दसौर को सौंपी गई है ।

Chania