Thursday, April 25th, 2024 Login Here
बच्चें की तरह करते है पालना, बोवनी से लेकर अफीम आने तक होती है संभाल
मन्दसौर जनसारंगी।
जिले की प्रमुख नगदी फसल अफीम को नील गायों सहित अन्य जानवरों से बचाने की कवायद शुरू हो गई है। किसान खेतों में एक लाख रुपये तक खर्च कर जालियां लगा रहे हैं। पक्षियों से बचाने के लिए ऊपर नेट भी लगाई जाएगी।
अफीम की फसल लगभग 2 महीने की हो चुकी है। मालवा क्षेत्र में काला सोना के नाम से मशहूर अफीम फसल को अब जानवरों से खतरा हो गया है। खासकर नील गाय याने रोजड़े सहित अन्य पशुओं से अफीम के डोडो को बचाने के लिये किसान खेतों के आसपास लोहे की जालियां और तोते से बचाने के लिए खेतों के ऊपर नेट डालने का काम कर रहे हैं। ग्राम डिगांव के किसानो का कहना है कि अब अफीम की फसल में फूल और डोडे की प्रक्रिया पूरी होने लगी है। नील गाय और अन्य पशु डोडे को काफी नुकसान पहुंचा रहे है। जंगली जानवरों से बचाने के लिए खेतों के आसपास लोहे की जालियां लगाई है और तोते नहीं खाए इसके लिए किसान खेत के ऊपर नेट जाली भी लगा रहे हैं।
कडकड़ाती ठंड में रात गुजारने की मजबूरी -
किसानों का कहना है कि अब चाहे कितनी भी ठंड हो खेतों पर ही रात गुजारना पड़ेगी। अफीम की फसल बहुत ही जोखिम वाली है। जंगली जानवरों से लेकर बहुत ध्यान रखना पड़ता है। अब घर के एक किसी भी सदस्य को 24 घंटे खेत पर ही रहना पड़ेगा। किसानों का कहना है कि ज्यादा ठंड और कोहरा गिरने से अफीम की फसल पर काली मस्सी और सफेद मस्सी का प्रकोप होने लगा है। अधिक कोहरा गिरने से फसल पर काफी नुकसान होता है।