Wednesday, April 24th, 2024 Login Here
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यात्रियों से ज्यादा होता है माल का लदान,
मंदसौर जनसारंगी।

सिधी बस हादसे के बाद मंदसौर के परिवहन विभाग को भी सीख लेने की आवश्यकता हैं क्योंकि सेंधवा बस कांड के बाद प्रदेश के मुखिया शिवराजसिंह चैहान के निकलें आंसुओं के बाद भी मंदसौर में बसों की व्यवस्था सुधर नहीं पाई है। सारे नियम कायदों को ताक पर रखकर चलने वाली बसों से सामान और यात्रियों दोनों की ओवरलोडिंग नहीं थम रहीं है। इसके अलावा ना रतलाम से नीमच का कहकर यात्रियों को बिठा कर लाया जाता है और मंदसौर में ही उतार दिया जाता है यही हाल नीमच से रतलाम जाने वाले यात्रियों का भी है। चालकों के पास ना वर्दी है और ना ही फीटनेस की जानकारी चस्पा है और ना ही सुरक्षा उपकरणों के पर्याप्त इंतजाम बसों में है। हर हादसे के बाद सुधारने की रस्म अदायगी होती है और इसके बाद फिर वहीं ढाक के तीन पात...!
मंदसौर शहर में कोरोना के बाद से अनलाॅक होने के बाद भी अभी पूरी बसें नहीं चली है लेकिन जो चल रहीं है उसमें सवारियों से ज्यादा माल भरा होता है। मंदसौर से गरोठ-भानपुरा तक जाने वाली बसें हो या फिर रतलाम और नीमच की और जाने वाली बसें हो अधिकांश बसों की छतों और डिक्की में क्षमता से ज्यादा माल लदान होकर जाता है। मजेदार बात तो यह है कि यह बसे नीमच से मंदसौर तक के सफर में मंदसौर जिले के मल्हारगढ़, पिपलियामंडी, वायडी नगर, कोतवाली थाना क्षेत्रों के साथ ही एसपी कार्यालय व यातायात थाने के सामने से भी निकलती है बावजूद इसके किसी भी जिम्मेदार की नजरे इन पर नहीं पड़ती है। आलम यह है हर दिन सुबह मंदसौर से जाने वाली बसों में माल की लदान एक दिन पूर्व रात में ही हो जाता है, बसों की पूरी छते माल से भरी होती है, डिक्की में माल लदान भरा होता है जिसके कारण यात्रियों का सामान रखने की जगह नहीं होती है इसके साथ ही बसों में ओव्हरलोड यात्रियों को बिठा लिया जाता है। कई मर्तबा तो यात्रियों की संख्या इतनी ज्यादा होती है कि बसों का दरवाजा भी बंद नहीं होता। बसों पर यात्री लटके रहते है बावजूद इसके जिम्मेदारों को कोई फर्क नहीं पड़ता है। जबकी मंदसौर-नीमच जिले में भी ओव्हरलोडिंग के कारण कई बार हादसे हो चूके है बावजूद इसके मजाल है जो कोई ठोस कार्रवाहीं हो जाए।
बसों की ओव्हरलोडिंग के अलावा फिटनेस ओर सुरक्षा उपकरणों का भी समुचित इंतजाम बसों में दिखाई नहीं दे रहा है। जबकी सेंधवा बस कांड के बाद शासन ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि हर बस की फीटनेस और अन्य जानकारियां बस पर चस्पा करना होगी, बस का चालक और क्लीनर वर्दी में ही रहेगा और बस में प्राथमिक उपचार और अग्निशमन यंत्र की पर्याप्त व्यवस्था की जाऐगी लेकिन इसके बाद कुछ दिन तो नियमों का पालन जिम्मेदारों ने करवाया लेकिन अब हालत यह है कि कोई भी जांचने को तैयार नहीं है जिसके कारण  अधिकांश बसों से जानकारियां नदारत है तो कईयों में सुरक्षा उपकरण और प्राथमिक उपचार की सुविधा गायब हो गई है।

Chania