Tuesday, April 23rd, 2024 Login Here
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कभी पंकज तो कभी राज बनकर काट रहा था फरारी, बाबू बिल्लौद का बेटा है अब्दुल, भाई की जमानत पर होना था जलसा, 14 साल इंतजार के बाद पुलिस को मिली बड़ी सफलता
मंदसौर जनसारंगी।

कहते है पुलिस यदि ठान ले तो उसके लिए कुछ भी मुश्किल नहीं होता हैऔर वाकई में ऐसा देखने को भी मिला पिछले 14 सालों से पुलिस बाबु बिल्लौद के बेटे अब्दुल की तलाश में थी। कई बार पुलिस को खबरे मिली और उसके गांव बिल्लौद में दबिशे दी गई लेकिन हर बार पुलिस से ज्यादा तेज नेटवर्क अब्दुल का निकला और वह पुलिस से बचकर भाग निकलने में कामयाब हो गया। मध्यप्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में मिलाकर एक दर्जन अपराधों को अंजाम दे दिया फिर भी कभी पंकज तो कभी राज बनकर पुलिस को चखाता रहा, बैखोफ अपने कारोबार को करता रहा इस दौरान उसने मंदसौर जिले में मो हाजी और उसके भाई मुजिब की हत्या तक करवा दी,डोडाचूरा की तस्करी करता रहा लेकिन पुलिस के हाथ नहीं आ रहा था। पुलिस को तो उसने यहां तक चैलेंज कर दिया था कि इस जनम में तो पुलिस कभी गिरफ्तार हीं नहीं कर पाऐगी। लेकिन पुलिस भी कहा पीछे रहने वाली थी। पूरे 14 साल इंतजार और लगातार मेहनत के बाद आखिर मंदसौर जिले के घर बिल्लौद में सोते हुए अब्दुल को उसने धरदबोच कर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। अब पुलिस को उससे कई अनसुलझे राज उससे खुलने का अनुमान है इसके लिए पुलिस अभी उससे पूछताछ करेगी। इसके लिए न्यायालय ने उसे 8 दिन के पुलिस रिमांड पर सौपा है।पकड़े गऐ शातिर बदमाश अब्दुल पर तीनों राज्यों के एक दर्जन अपराधों में कुल 51 हजार रूपऐ का ईनाम घोषित था।
सात साल पहले 13 मार्च 2014 को मंदसौर जिले के संजीत-मंदसौर रोड़ पर काचरिया कदमाला और रणायरा के बीच डोडाचूरा के कारोबार की रंजिश को लेकर बाबू पिता फकीर खां निवासी बिल्लौद ने अपने बेटे अब्दुल, शाहिद, रईस व कुख्यात तस्कर कमल राणा  और अन्य साथियों के साथ मिलकर हाजी मोहम्मद हुसैन पिता छोटे खां उर्फ सरदार खां एवं मुजीव खा पिता छोटे खां निवासी निम्बाहेडा की हत्या कर दी थी। इस घटना में कार चालक रमेश पिता कृष्णकांत मिश्रा निवासी निम्बाहेडा और शकामल पिता बाबू खा निवासी बिल्लौद घायल हुए थे। इसी समय पुलिस ने अब्दुल का पूरा चिठठा खंगाला तो पता लगा कि पुलिस को इसकी 2006 से ही मादक पदार्थो की तस्करी के मामलें में तलाश है। पुलिस ने डबल मर्डर की घटना के बाद बाबु बिल्लौद, उसके बेटे शाहीद समेत दूसरे आरोपियों को पकड़ लिया था जिसमें से बाबु और शाहीद राजस्थानके जोधपूर तथा रईस मध्यप्रदेश के रीवा की जेल में बंद है। हाल ही में शाहीद की जमानत हो गई है लेकिन उसे अभी जेल से रिहा नहीं किया गया है।
14 साल में एक दर्जन अपराध किए
 डोडाचूरा व्यवसायी हाजी मोहम्मद और उसके भाई मुजीब की हत्या और उससे पहले मादक पदार्थो की तस्करी के मामले में फरार चल रहे बाबू बिल्लौद के बेटे अब्दुल 14 सालों में कुख्यात अपराधी बन गया। उसका नेटवर्क इतना बड़ा हो गया कि उसने मध्यप्रदेश के अलावा राजस्थान और हरियाणा में तक में अपनी तस्करी का साम्राज्य फैलाया । इस पर सबसे पहले 2007 में रोहट जिला पाली राजस्थान में 208 किलो डोडाचूरा की तस्करी के मामलें में अपराध दर्ज हुआ, इसके बाद 2011 में मंदसौर जिले के नाहरगढ़ में मारपीट का इसी साल जिले के भावगढ़ थाने में 39 क्विंटल डोडाचूरा की तस्करी का मामला दर्ज हुआ इसके बाद इसे स्थाई वारंटी घोषित कर 1 हजार रूपऐ का ईनाम घोषित किया। इसके बाद साल 2012 में मंदसौर जिले की यशोधर्मन नगर पुलिस ने 70 क्विंटल 80 किलो डोडाचूरा का अपराध दर्ज हुआ जिसके बाद इस पर 5 हजार रूपए का और इनाम घोषित किया गया। 2013 में जिले की गरोठ पुलिस ने जानलेवा हमले का अपराध दर्ज किया लेकिन अब्दुल हाथ नहीं आया इसके बाद 2014 में उसने अपने पिता, भाई और दूसरे साथियों के साथ मिलकर दोहरे हत्याकांड की घटना को अंजाम दे दिया। इसके बाद पुलिस ने उस पर 25 हजार का इनाम घोषित कर दिया। दोहरे हत्याकांड में शामिल अपराधियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया लेकिन अब्दुल पुलिस के हाथ नहीं लगा। इस  हत्याकांड के एक साल बाद 2015 में अब्दुल पर हरियाणा के कुरूक्षेत्र जिले की पेहवा पुलिस ने इस पर 18928 किलो डोडाचूरा तस्करी का प्रकरण दर्ज किया, इसी साल मंदसौर जिले की नाहरगढ़ पुलिस ने एक और प्रकरण दर्ज किया। 2017 में भोपाल के ईटखेड़ी की पुलिस ने 175 क्विंटल 95 किलो डोडाचूरा का मामला बनाया और पुलिस ने 20 हजार रूपए का ईनाम घोषित किया। इसी साल राजस्थान के कोटा जिले के अनंतपुरा पुलिस ने 18 हजार किलो डोडाचूरा तस्करी का प्रकरण दर्ज किया और 2020 में यशोधर्मन नगर पुलिस ने धोखाधडी तथा सीतामऊ पुलिस ने 31 क्विंटल डोडाचूरा तस्करी का प्रकरण दर्ज किया। इस पर 14 सालों में 12 अपराध और 51 हजार का ईनाम घोषित होने के बाद भी पुलिस के हाथ इससे दूर थे।
कभी रहता हरियाणा तो कभी पंजाब
कुख्यात बदमाश अब्दुल 14 वर्षो से फरार था इस दौरान वह नाम बदल-बदल कर पहचान छुपाकर अपराधो मे निरन्तर सक्रिय रहा । अब्दुल फरारी के दौरान अपना नाम अब्दुल कुरेशी उर्फ वसीम उर्फ राजा उर्फ पंकज पोरवाल के नाम से रहता था। फरारी के दौरान राजस्थान, हरियाणा, पंजाब तथा मध्य प्रदेश के कई जिलो मे पहचान छुपाकर अपराध कारित करता रहा । वह इतना शातीर था कि मोबाईल के नेट को डांेगल से चलाता था और उसी से काॅलिंग कर या फिर सौशल मिडिया का उपयोग कर अपने साथियों से सम्पर्क करता था। उसने कभी भी मोबाईल काॅल से बात नहीं की ताकी वह पुलिस की पकड़ में नहीं आ पाऐ क्योंकि नेट काॅलिंग से लोकेशन ट्रेस करना पुलिस के लिए भी मुश्किल होता है। हालांकि हाजी भाईयों की हत्या में जिस तरह से आधुनिक हथियारों का उपयोग किया गया था उसके बाद कहा जा रहा था कि अब्दुल हमेंशा अपने पास आधुनिक हथियार रखता है ऐसे में पुलिस ने जब भी उसकी तलाश में दबिश दी पूरी सावधानी के साथ छापा मारा लेकिन वह हाथ नहीं आया।
नींद से जागे उससे पहले पुलिस ने दबोच लिया
पुलिस कप्तान सिद्धार्थ चैधरी ने बताया कि पुलिस के पास यह खबर खबरियों से बार-बार आ रही थी कि अब्दुल का आना-जाना उसके गांव में बिल्लौद में लगातार हो रहा है। इसी के चलते पुलिस ने कई बार पूरी तैयारी के साथ भी दबिश दी लेकिन हर बार अब्दुल पुलिस की कार्रवाहीं से पहले ही बचकर फरार होने में कामयाब हो गया था। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि अब्दुल ने गांव के ही कई बच्चों को मजदूरी देकर नजर रखने के लिए लगा रखा था। पुलिस जब कभी भी गांव की तरफ पहुंचती अब्दुल को तुरंत खबर मिल जाती और पुलिस के पहुंचने से पहले ही वह फरार हो जाता। लेकिन इस बार पुलिस को जैसे ही खबर मिली की अब्दुल के भाई शाहीद की जमानत हो गई वह जोधपूर की जेल से छूटकर आऐगा इस खुशी में बिल्लौद मेें जश्न मनेगा जिसमें शामिल होने के लिए अब्दुल भी आया है। इस खबर पर पुलिस ने ऐसी योजना बनाई कि अब्दुल के खबरियों को ठीक उसके घर में रहने वालें लोगों और खुद उसे भी तब पता लगा जब पुलिस ने उसे दबोच लिया। पुलिस ने इतनी कुशलता से छापामार कार्रवाहीं की कि रस्सी के सहारे पुलिस उसके घर की छत पर चढी और वहीं से घर में घूसकर वहां पहुंच गई जहां अब्दुल सोया हुआ था, घर के बाकी लोग भी उस वक्त सो रहे थे तभी पुलिस ने अब्दुल को दबोच कर अपने कब्जे में ले लिया।
डोडाचूरा वार में ली थी हाजी मोहम्मद-मुजीब जान
हाजी और मुजीब की हत्या की बात करेें तो 2014 में निम्बाहेड़ा के डोडाचूरा ठेकेदार हाजी मोहम्मद ने इस बार मंदसौर जिले में 12 पाइंट लिए थे। 1 अप्रैल से उनका काम शुरु होना था।  13 मार्च 2014 को हाजी मोहम्मद अपने भाई मुजीब उर्फ राजू, चालक रमेश मिश्रा व जब्बार के साथ बिल्लौद क्षेत्र में गोदाम देखने पहुंचे थे। इस क्षेत्र के पुराने ठेकेदार बाबू बिल्लौद व फिरोज लाला निवासी अखेपुर की तरफ से हाजी मोहम्मद को डोडाचूरा का पॉइंट मिलकर चलाने के लिए धमकियां मिल रही थीं। इस दौरान गोदाम देखने के बाद हाजी अपने भाई व साथियों के साथ इटियोस (आरजे-01 सीबी 5277) से वापस निम्बाहेड़ा लौट रहे थे। तभी संजीत रोड स्थित नापाखेड़ा फंटे से ही बाबू बिल्लौद के लोगों ने स्कार्पियो से पीछा करते हुए कार पर गोलियां चलाईं। इसमें एक गोली मुजीब के सिर पर लगने से उसकी मौत हो गई थी। बाद में कार को टक्कर मारकर सडक के नीचे उतार दी गई और हाजी को बाहर निकालकर गोली मार दी गई। इस मामले में पुलिस ने फरियादी इरफान खां पिता छोटे खां उर्फ सरदार खां मेवाती निवासी आदर्श कॉलोनी निम्बाहेड़ा (राज.) की रिपोर्ट पर बाबू बिल्लौद, उसके पुत्र शाहिद, अब्दुल, स्कार्पियो चालक कमल राणा निवासी नीमच, इस्तकाफ आलम उर्फ मौलाना निवासी अखेपुर, फिरोज लाला निवासी अखेपुर, वसीम लाला, मोहसिन लाला निवासी अखेपुर, हबीब लाला अखेपुर के खिलाफ भादसं की धारा 302, 307, 120 बी, 34, 25, 27 आर्म्स एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज किया था।
अब्दुल ने दी थी सुपारी
पुलिस ने मामले में पहले बाबू खां पिता फकीर खां निवासी बिल्लोद उर्फ बाबू बिल्लौद, गंगाराम पिता रेतुलाल सैनी (36) निवासी सहारनपुर तथा विकास कुमार पिता नाथीराम सैनी (34) निवासी कालू मजरा जिला सहारनपुर को पकड़ लिया। इसके अलावा अब्दुल की पुलिस को तलाश थी। बताया जाता है कि अब्दुल ने उप्र के सहारनपुर जाकर शूटरों को दो दो लाख की सुपारी दी थी। पुलिस ने शूटरों को भी पहले ही गिरफ्तार कर लिया था।
अर्श से फर्श व फिर अर्श पर डोडाचूरा से शुरू हुआ खूनी संघर्ष
सत्ताईस साल पहले तक डोडाचूरा व्यवसाय को व्यवसाय के हिसाब से ही ठेकेदार करते थे। बाद में इसमें बरसने वाले धन को देखकर अन्य लोग भी इसकी तस्करी में शरीक होने लगे क्योकि डोडाचूरा के ठेके 2011-12 में अर्श से फर्श पर पहुंचने के बाद एक बार फिर 65 करोड़ तक पहुंच गए थे। जबकि इसे तीन साल पहले स्थिति यह हो गई कि जिले भर के 33 पाइंट केवल 95 लाख रुपए में देने पर सरकार को मजबूर होना पड़ा था। 2001-02 में यही ठेके 2 करोड़ में नीलाम हुए थे। जो बढ़ते-बढ़ते 2008-09 में 27 करोड़ तक पहुंच गए थे। फिर अगले साल 11.51 करोड़ में व उसके बाद तो सीधे 95 लाख में पहुंच गए थे। इस बीच  2005 में इसी तस्करी की लड़ाई में ग्राम आकोदड़ा के पास सलीम लाला का पुलिस एनकाउंटर हुआ था। इसके बाद ही आपराधिक किस्म के लोगों की इंट्री डोडाचूरा तस्करी में होने लगी। फिर तो एक-दूसरे को निपटाने के चक्कर में 2008 से 2010 के बीच में अब्दुल रज्जाक, बालू बावरी व अनिल त्रिवेदी , कमलसिंह की हत्या कर दी गई। इसके अलावा इसी दरमियान डोडाचूरा व्यवसासी गोपाल सोनी व कोमल बाफना पर भी जानलेवा हमले भी हुए। इसी कड़ी में बाद में हाजी मोहम्मद, मुजीब उर्फ राजू का नाम भी जुड़ गया ।
डीजीपी ने की टीम की तारीफ, एसपी ईनाम देंगे
एसपी सिद्धार्थ चैधरी ने प्रेसवार्ता में बताया कि अब्दुल की गिरफ्तारी में एसडीओपी शेर सिंह भूरिया, एसडीओपी मंदसौर सौरभ कुमार, सीतामऊ टीआई अमित सोनी,नाहरगढ़ टीआई गिरीश जेजुरकर, दलौदा थाना प्रभारी अमित कुशवाह, सुवासरा थाना प्रभारी उनि राकेश चैधरी की महत्वपूर्ण भूमिका रही। जिन्हें पुरस्कृत किया जाएगा। इस पूरी टीम के प्रदेश के डीजीपी ने भी प्रशंसा की।
पूरे परिवार पर आपराधिक प्रकरण दर्ज
1- अब्दुल वसीम पिता बाबू खा- थाना रोहट जिला पाली राजस्थान, थाना नाहरगढ़, थाना भावगढ़, थाना वायडी नगर, थाना गरोठ जिला मन्दसौर म0प्र0, थाना पेड़वा जिला कुरूक्षेत्र हरियाणा, थाना ईटखेड़ी भोपाल म0प्र0 मे कुल 12 आपराधिक प्रकरण।
2- बाबू खां पिता फकीर मोहम्मद- थाना नाहरगढ़, पिपलिया मण्डी, कोतवाली मन्दसौर, वायडी नगर, नारायणगढ़, ईटखेड़ी भोपाल कुल 10 आपराधिक प्रकरण ।
3- शाहिद पिता बाबू खां-थाना मनोहर जिला झालावाड़ राजस्थान, कोतवाली मन्दसौर, वायडी नगर, नारायणगढ़, कुल 5 आपराधिक प्रकरण ।
4- रईस पिता बाबू खां- थाना नारायणगढ़, ईटखेड़ी भोपाल कुल 4 अपराध।
5-अब्दुल पिता बाबू खां-पाली, मंदसौर जिला, हरियाणा, भोपाल में कुल 12 प्रकरण दर्ज।

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