Thursday, April 25th, 2024 Login Here
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7 से 18 वे स्थान पर पहुंच गया, पिछले सात सालों में सबसे बडा नुकसान
मंदसौर जनसारंगी।

मंदसौर में मेडिकल काॅलेज बनने जा रहा है ऐसे में बडे़ अस्पताल की व्यवस्थाओं में सुधार के बजाय और ज्यादा खराब स्थिति बनती दिख रहीं है। इस साल कायाकल्प पुरस्कार की दौड़ में शामिल जिला अस्पताल को केवल प्रशंस्ति पुरस्कार से संतोष करना पड़ेगा। लगातार दूसरे वर्ष से मंदसौर को प्रशंस्ति पुरस्कार ही हाथ लग रहा है। हालांकि पिछले साल मंदसौर का अस्पताल सातवे नंबर पर था लेकिन इस वर्ष की सोमवार को जारी कायाकल्प पुरस्कार की राज्य स्तरीय सूची में जिला अस्पताल को प्रशंस्ति पुरस्कार की श्रेणी वाले  जिला अस्पतालों में 18वां स्थान मिला है। इस श्रेणी में जिला अस्पताल को तीन लाख रुपये की राशि पुरस्कार स्वरूप मिलेगी। ऐसे में मंदसौर के जिला अस्पताल का 11 पायदान नीचे आ गया।  वहीं जिले के गरोठ और संजीत स्वास्थ्य केंद्र ने अभियान में अच्छा प्रदर्शन किया है। इसके साथ ही नाहरगढ स्वास्थ्य केंद्र को भी प्रशस्ति पुरस्कार मिला है। इस वर्ष टीम द्वारा वर्चुअल एसेसमेंट किया गया था।
प्रदेश में कायाकल्प अभियान 2020-21 के परिणाम की घोषणा की गई है। जिला अस्पताल मंदसौर पिछले साल की तरह कायाकल्प अभियान में फिसड्डी साबित हुआ है। कायाकल्प अंतर्गत वर्ष 2018-19 से प्रदेश में उल्लेखनीय स्थान मुकाम हासिल करने वाला जिला अस्पताल अब पिछड़ता नजर आ रहा है। दो साल से सांत्वना पुरस्कार से संतोष करना पड़ रहा है। और तो और इस बार मंदसौर का अस्पताल पिछले साल के मुकाबले 11 पायदान नीचे आ गया है क्योंकि पिछली बार अस्पताल की रैकिंग 7 वे स्थान पर थी लेकिन इस बार 18 वे स्थान पर आ गया है। हालांकि  जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की श्रेणी में जिले के  गरोठ और संजीत और नाहरगढ़ ने लाज  रखी। संजीत इसमें विजेता रहा, जिसे दो लाख रुपए मिलेगे। वहीं नाहरगढ़ को प्रशस्ति पुरस्कार के रूप में पचास हजार रुपए का पुरस्कार मिलेगा तथा गरोठ को कमेंडेशन अवार्ड के लिए एक लाख रूपए मिलेगें।
जबलपुर ने पाया पहला स्थान
कायाकल्प अभियान में जिला अस्पताल की श्रेणी में प्रथम स्थान पर जबलपुर को प्रथम स्थान हासिल करने पर 50 लाख, दूसरे स्थान पर भोपाल को 20 लाख और तीसरे स्थान पर विदिशा को 10 लाख का पुरस्कार मिला है। इसी प्रकार एक्सिलेंस पुरस्कार की श्रेणी में सिवनी अस्पताल को 15 लाख रुपये तथा तेजी से सुधार करने के लिए नीमच जिला अस्पताल को 5 लाख रुपये का पुरस्कार मिला है। मंदसौर जिला अस्पताल सांत्वना पुरस्कारों की सूची में भी 18वे स्थान पर है। हालांकि सांत्वना पुरस्कार तीन लाख रुपये प्रदेश के आठ जिला अस्पतालों को मिला है।
लापरवाहीं ने पिछडा बना दिया अस्पताल को
कायाकल्प योजना के अंतर्गत जिला अस्पताल में अव्यवस्थित ड्रेनेज सिस्टम, पुराने भवन व संसाधनों और स्टाफ की कमी के चलते अंक कम हुए हैं। जिला अस्पताल के पिछडने का सबसे महत्वपूर्ण कारण अस्पताल का सालों पुराना भवन रहा है। इसके अलावा ड्रेनेज सिस्टम से भी खासे अंक अस्पताल के कटे हैं। इसके साथ ही सालों से अस्पताल में व्यवस्थाओं को लेकर बरती जा रहीं लापरवाहीं ने भी अस्पताल को कायाकल्प में पिछडा बना दिया है। मसलन 2011-12 में ट्रामा सेंटर की मंजूरी मिली थी लेकिन अब तक यह बन नहीं पाया है और इसका बजट भी वापस चला गया। इसके बाद ब्लड सेपरेशन यूनिट के पार्टस भी साल 2013-14 में आ गऐ लेकिन 7 सालों तक इन्हंे इंतजार ही करना पड़ा। इसी तरह मेडिकल काॅलेज की मंजूरी मिले भी डेढ़ साल बित गया है लेकिन अभी भी इसके लिए जमीन का चिन्हाकंन अंतिम रूप नहीं ले पाया है।
इस आधार पर मिले अंक
ये पुरस्कार अस्पतालों के बीच प्रतिस्पर्धा के आधार पर नहीं बल्कि सफाई व्यवस्था, परिसर के अंदर व बाहर स्वच्छता, बिल्डिंग के रखरखाव, स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता सहित अन्य बिंदुओं के आधार पर जांच के बाद मिला है।
तीन सदस्यीय दल ने किया था आकलन
कायाकल्प अभियान अंतर्गत जिला अस्पताल का तीन सदस्यीय राज्य स्तरीय दल ने आठ फरवरी को निरीक्षण किया था। इसका यहां पर मरीजों के वार्ड, पैथालाजी लैब, ब्लड बैंक सहित आपरेशन थिएटर देख कर व्यवस्थाओं का आंकलन कर अंक दिए थे। दल के सदस्यों द्वारा प्रस्तुत विस्तृत रिपोर्ट के आधार पर वार्षिक आधार पर कायाकल्प में जिला अस्पताल को रैंक मिली है।
खुद को दिए थे 90 प्रश से ज्यादा अंक
 जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं में सुधार लाने के लिए कायाकल्प अभियान चल के निरीक्षण के पहले इंटरनल असेस्मेंट किया गया। खुद जिला अस्पताल प्रबंधकों ने 90.7 फीसदी नंबर दिए हैं। हालांकि परीक्षा में अस्पताल को काफी कम अंक मिले हैं।

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