Wednesday, April 24th, 2024 Login Here
दलेर मेहंदी के साथ गाया दमा-दम मस्त कलंदर, एल्बम रिलीज
मंदसौर जनसारंगी।
मंदसौर की रहने वाली दादी के एक गाने ने उन्हंे इतना फेमस कर दिया कि खुद दलेर मेहंदी ने उन्हें अपने साथ गाना गाने का मौका दिया। दोनो का सााि में एल्बम भी रिलीज हो गया है। मंदसौर के संजीत नाके पर रहने वाली 60 वर्षिय सुगनदेवी गंधर्व का सपना अब बुढ़ापे में आकर सच हो गया। वे अब सुपर स्टाॅर बन चूकी है। इन्होंने वाॅलीवुड के जाने-माने सिंगर दलेर मेहंदी के साथ दमा-दम मस्त कलंदर गाना गया है। इनका ये गाना आज ही रिलीज हुआ हैं। इस उपलब्धी को लेकर सुगनदेवी बेहद खुश है।
दरअसल दादी को दलेर मेहंदी के साथ गाना गाने का मौका सौशल मीडिया पर वायरल हुए उनके एक गीत के बाद मिला है। वह बताती है कि उन्होंने गीत गाया जो सौशल मीडिया पर वायरल हुआ उसके बाद दलेर मेहंदी ने उनसे संपर्क किया और मुलाकात हुई और दलेर मेहंदी ने उन्हें अपने साथ एक एल्बम में गाना-गाने का अवसर देने का वादा किया । उसके बाद कोरोना की पहली लहर की वजह से लाॅकडाउन लग गया लेकिन दलेर मेहंदी अपना वायदा नहीं भूले। स्थिति सामान्य होने के बाद उन्होंने सुगनदेवी से सम्पर्क किया और उन्हें दमा-दम मस्त कलंदर गीत की रिकार्डिग के लिए 19 सितम्बर 2020 को दिल्ली बुलाया। सुगनदेवी फ्लाईट से दिल्ली पहुंची, जहां पर उनका दलेर मेहंदी परिवार में एक सदस्य की तरह मान-सम्मान किया और गीत गाने का अवसर प्रदान किया।
सिंगर दादी का एल्बम रिलीज हो चुका है जिसके प्रोमो में एक गायिका की फेसबुक के जरिए खोज और सिंगर दादी को एल्बम में मौका दिए जाने की पूरी कहानी दिखाई गई है। दादी बताती है कि उन्हें गाने का शौक था उनके पति तबला वादक थे। गाने के शोक के कारण जब वे चुनरी गीत गुनगुना रहीं थी इसे उनके पौते ने मोबाइल में केद कर सौशल मीडिया पर वायरल किया था। जब यह दलेर मेहंदी तक पहुंचा तो उन्होंने सौशल मीडिया के माध्यम से ही दादी का पता लगाया और गुजरात के मेघनगर में अप्रेल 2019 में एक आयोजन के दौरान उन्हें बुलाकर मुलाकात की थी और यहीं उन्होंने दादी को अपने एलबम में मौका देने का वायदा किया था जिसे उन्होंने निभाया।
मंदसौर की दादी की इस उपलब्धि से ना केवल दादी के सिंगर बनने का सपना पूरा हुआ है बल्कि भगवान पशुपतिनाथ की पवित्र नगरी मंदसौर को एक नई ख्याती मिली है। दादी बताती है कि मुलतः रतलाम की रहने वाली है विवाह मंदसौर के तबला वादक भगवतीलाल गंधर्व से हुई। उनका गाने का शोक था लेकिन जिम्मेदारी उनके सपने पर भारी पड़ गऐ साल 2000 में उनके पति की मौत हो गई इसके बाद तीन बेटे और एक बेटी समेत चार बच्चों की जिम्मेदारी उन पर आ पड़ी। यहां से उनका संघर्ष कठिन हुई और मात्र 100 रूपऐ के लिए रात जागरण में भजन गाने लगी। इसी से पैसे एकत्र कर एक बेटे को गाना गाना और एक को तबला बजाना सिखाया और एक बेटे को पिता की जगह अनुकंपा नौकरी पर कलेक्ट्रेड में नौकरी पर लगाया और बेटी को भी पढाया। सुगना देवी ने कहीं से भी गाना गाना नहीं सिखा केवल रेडियों और अपने पिता को दूसरो को गाना सिखाते देख गाना सिखा। उनका सपना था कि वह अपने सपने को पूरा कर क्षेत्र का नाम रोशन करें। आखिर उनका सपना पूरा हुआ और दलेर मेहंदी ने अपने एल्बम में उन्हें मौका मिल गया जिससे मंदसौर शहर गौरवान्वित हो गया।