Friday, March 29th, 2024 Login Here
अक्षरांजलि/ स्मृति शेष- श्री अर्जुनसिंह राठौर
( बकलम-ब्रजेश जोशी)
श्री अर्जुन सिंह राठौर इस शहर की एक ऐसी शख्सियत थी जिन्होंने अपने दीर्घ जीवन में अपने सभी कार्य क्षेत्रों में अपनी काबिलियत से सर्व प्रियता प्राप्त की। वह जहां भी जब भी जिस भूमिका में रहे हमेशा सभी के चहेते और प्रिय बने रहे उनका हंसमुख स्वभाव और मिलनसार व्यक्तित्व तथा सदेव सहयोग की भावना इन्हीं गुणों से वे कलेक्ट्रेट में शासकीय सेवा में सबके चहेते रहे। कर्मचारी नेता के रूप में उन्होंने अपनी संगठन क्षमता को भी प्रदर्शित किया। अर्जुन सिंह जी जब तक शासकीय सेवाकाल में रहे अपने सामाजिक सरोकारों और सभी से मेलजोल के व्यवहार के चलते अनेकों प्रसंगों पर प्रशासन और समाज के बीच सेतु का भी काम करते रहे। उनके कार्यकाल के सभी कलेक्टरों के वे प्रिय रहे क्योंकि उनकी कार्यशैली 24 घंटे 365 दिन वाली थी हर समय तत्पर किसी भी शासकीय सेवारत व्यक्ति के लिए शासकीय सेवा काल में रहकर इतनी लोकप्रियता प्राप्त करना कम ही होता है लेकिन अर्जुन सिंह जी अपवाद रहे। सेवानिवृत्ति के बाद वे कहां घर पर आराम करने वाले थे शुरू से क्रियाशील व्यक्तित्व रहा तो समाज सेवा की गतिविधियों से वे सक्रियता से जुड़ गए अनेक सामाजिक धार्मिक, सांस्कृतिक साहित्यिक संस्थाओं व गतिविधियों से जुड़ गये। नगर में जो भी रचनात्मक सकारात्मक गतिविधियां होती उसमें बढ़-चढ़कर शामिल होते। आयोजकों का उत्साह बढ़ाते और ज्यादातर आयोजनों में अपनी उपस्थिति जरूर पूरी करते ।
उनके 75 वें जन्मदिन पर अमृत उत्सव के आयोजन में आत्मीय जनों ने उनके प्रति जो प्यार और स्नेह जताया वह अपने आप में बड़ा विलक्षण था एक साधारण शासकीय सेवा से सेवानिवृत्त व्यक्ति के प्रति लोगों का इतना प्रेम भाव कि बधाई देने के लिए लंबी लाइनें लग रही थी। ऐसा लग रहा था मानो किसी बड़े नेता या ऊंचे ओहदेदार व्यक्ति का अमृत महोत्सव हो लेकिन अर्जुन सिंह जी भले ही कोई बहुत बड़े नेता ना हुए हो या कोई बड़ा ओहदा न पाया हो लेकिन उन्होंने अपने व्यक्तिगत गुणों से अपनों के बीच जो स्थान पाया वह अपने आप में इन ओहदों या पदों से कहीं बढ़कर है ।उनकी क्रियाशीलता का सबसे ज्वलंत उदाहरण है श्री खाटू श्याम बाबा मंदिर शासकीय सेवा से निवृत्त होने के बाद आपने समाज सेवा की सक्रियता के दौरान ही उन्हें हृदयाघात भी हुआ था और बाईपास ऑपरेशन भी हो चुका था लेकिन उन्होंने अपनी जीवटता से इस शारीरिक बाधा को भी पार कर लिया और अपना सामान्य जीवन और सेवा का सफर जारी रखा। जिस आयु में लोग वृद्ध होकर घर पर ही आराम करना पसंद करते हैं उस आयु में अर्जुन सिंह जी ने अपने साथी सहयोगी टीम के साथ सक्रियता से जुड़कर श्री खाटू श्याम बाबा मंदिर की स्थापना यहां कराई नींव से लेकर शिखर तक इस मन्दिर के निर्माण की रग-रग में अर्जुन सिंह जी का श्रद्धा और समर्पण महसूस किया जा सकता है। जीवन के इस मोड़ पर यकायक कोरोना जैसी घातक महामारी उनके परिवार को भी नहीं छोड़ा सह-धर्मिणि के स्वर्गवास के बाद मानों के टूट से गए उन्हें भी इसी व्याधि ने जकड़ लिया और उनका उपचार के दौरान बीती रात यह दुखद खबर आई कि अर्जुन सिंह जी नहीं रहे। इंदौर में अंतिम दिनों में उनके भतीजे सीएसपी अनिल सिंह राठौर (पूर्व टीआई मन्दसौर),उनके सुपुत्र शैलेंद्र सिंह राठौर जो दैनिक राज एक्सप्रेस के ब्यूरो चीफ हैं उनके साथ रहे।
कर्मचारी संघ ,सहकारी गृह निर्माण समिति, दशपुर जागृति संगठन, पतंजलि योग समिति, भारत स्वाभिमान, भारत पेंशनर समाज,गीता भवन इन संगठनों व संस्थाओं से उनका जीवन पर्यन्त जुड़ाव रहा।और खाटू श्याम मन्दिर तो उनके समर्पित परिश्रम का प्रतीक है ही।इंदौर में उपचार के दौरान उनके समधी जी श्री बालूसिंह सिसोदिया से उनके स्वास्थ्य के सबन्ध में मैं नियमित जानकारी लेता था। 2 पहले ही सिसौदिया जी ने बताया अभी आईसीयू में हैं आक्सीजन लेबल ठीक है भी थोड़ा संक्रमण है।तब लगा कि धीरे-धीरे ठीक हो जाएंगे। कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आ ही गई थी। लेकिन रात उनके निधन की खबर ने चोंका दिया।
अर्जुन सिंह जी को हम कभी भूल ना सकेंगे उनकी स्मृति को प्रणाम ईश्वर उन्हें चरण शरण देंवे ।
विनम्र श्रद्धांजलि।।