Friday, March 29th, 2024 Login Here
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आम व्यक्ति से लेकर संगठनों तक को निभानी होगी जिम्मेदारी
मंदसौर जनसारंगी।

 जिले में वन क्षेत्र का रकबा कागजों पर तो बरकरार है पर धरातल पर हरियाली नजर नहीं आ रही है। जिले में तो हालत यह है कि कुछ साल साल पहले रेवास-देवड़ा क्षेत्र से लगे जंगलों में अच्छी खासी हरियाली को उजाडकर एक कंपनी को 95 हेक्टेयर भूमि पवन चक्की लगाने के लिए दे दी गई। बदले में इतनी ही जमीन शामगढ़ क्षेत्र के हनुमंत्या में दी गई है पर राजस्व की पथरीली भूमि होने से यहां ठीक से पौधारोपण भी नहीं हुआ है। इतना घना वन लगाने में वहां सालों लग जाएंगे। वन विभाग के आकड़ों में भी 59,194 हेक्टेयर में फैले वन क्षेत्र के घनत्व में 3 प्रश तक की कमी बताई जाती है। शहरी क्षेत्रों में लाखों रुपए खर्च कर पौधे लगाने के बाद भी सकारात्मक परिणाम नहीं मिल पाए हैं। लगातार पेड़ों की कटाई का ही परिणाम है कि विगत दिनों कोरोना की महामारी में ऑक्सीजन की कमी से कई लोगों ने दम तोड़ दिया। ऐसे में अब आम व्यक्ति से लेकर सामाजिक संगठनों तक को मंदसौर में हरियाली लाने के लिए जिम्मेदारी निभानी होगी तभी मंदसौर की आबों हवा शुद्ध हो सकती है।
जिले में पिछले 20 सालों से वन क्षेत्र का रकबा 59,194 हेक्टेयर ही चला आ रहा है। इसमें 18 हजार हेक्टेयर तो अकेले गांधीसागर अभयारण में ही फैला हुआ है। कागजों पर वन क्षेत्र इतना ही चला आ रहा है लेकिन वन क्षेत्र के घनत्व में कमी आई है। वन क्षेत्र को घनत्व के आधार पर तीन भागों में बांटा गया है। 0.2 घनत्व वाला क्षेत्र बढकर 42.68 प्रश से बढकर 42.76 प्रश हो गया है। इससे ज्यादा घनत्व वाले वन में पेड़ों की संख्या कम हो गई है। 0.2 से 0.4 घनत्व का क्षेत्र 43 प्रश से घटकर 40.92 प्रतिशत हो गया है। 0.4 घनत्व वाले वन क्षेत्र में 20 साल पहले 14.29 प्रतिशत था जो अब घटकर 13.98 प्रश रह गया है।
विकास के नाम पर उजाड़ दिया जंगल
केंद्र सरकार से विंड वर्ल्ड कंपनी के 55.2 मेगावॉट पवन उर्जा परियोजना के अनुबंध के बाद मंदसौर से लगभग 12 किमी दूर रेवास-देवड़ा क्षेत्र में 95.3825 हेक्टेयर वन भूमि देने के आदेश 19 जनवरी 2015 को प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने दिए थे। भूूमि पर होने वाले वन के नुकसान के लिए कंपनी ने 2 करोड़ 71 लाख 85 हजार रुपए जमा कराए है। जिसका उपयोग कटाई के बदले नए पेड़ लगाने पर किया जाना था। कंपनी से किए गए अनुबंध में स्पष्ट लिखा है बहुत ज्यादा जरूरी होने पर ही वन अधिकारी की मौजूदगी में पेड़ काटे जाए पर जालसाजी करते हुए पूरे 95 हेक्टेयर वन भूमि पर कंपनी ने काटने के लिए कागजों में केवल 1249 पेड़ चिन्हित किए हैं जबकि इस क्षेत्र में 3-4 हजार तक पेड़ थे। इसके अलावा अनुबंध की खास बात यह भी थी कि नए वन लगाने के लिए राजस्व विभाग ने 95.3825 हेक्टेयर भूमि मंदसौर से 100 किमी दूर शामगढ़ तहसील के ग्राम हनुमंत्या में दी। वहां पिछले साल अभी तक पौधे लगाने की प्रक्रिया चालू नहीं हुई है।
इतिहास में नाम दर्ज कराने का सपना पूरा लेकिन हरियाली नहीं आई
जुलाई 2014 में पौधे लगाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में रिकॉर्ड दर्ज कराकर इतिहास बनाने का सपना देखा गया। 1.35 लाख पौधे लगाने का दावा किया गया। जिले में 101 जगहों पर पौधे लगाए गए। जिसमें 47 सरकारी विभागों के अलावा 48 निजी संस्थाओं को भी पौधे दिए गए। डाइट परिसर में 500 पौधे लगाए गए लेकिन सकारात्मक परिणाम नहीं मिल पाया। देखरेख के अभाव में एक भी पौधा नहीं चल पाया। यहीं स्थिति अन्य जगहों पर भी हुई।

यह है वन घनत्व में कमी के कारण
-योजनाओं का ठीक तरीके से क्रियान्वयन नहीं होना।
-बीते कुछ सालों में बारिश कम होना।
-पौधे लगाने के बाद देखरेख का अभाव।
Chania