Thursday, April 25th, 2024 Login Here
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सावन मास में शिवालयों में भक्त करेंगें विशेष पूजा-अर्चना
मंदसौर जनसारंगी।
दो दिन पूर्णिमा होने के कारण शनिवार को भी श्रृद्धालुओं ने आस्था के पुष्प से गुरू को नमन कर आर्शीवाद लिया। इसके बाद रविवार से भगवान शिवशंकर की आराधना का पर्व सावन मास प्रारम्भ हो जाऐगा। जिसमें प्रतिदिन भक्त भगवान शंकर की विशेष पूजा-अर्चना करेंगें। पशुपतिनाथ मंदिर समेत सभी शिवालयों पर इसके लिए विशेष इंतजाम किए गऐ है। कोरोना गाइडलाईन के अनुसार पूजन की व्यवस्था की गई है।
शनिवार को भी मंदसौर में अनेक जगहों पर गुरूपूजन आयोजन किया गया जिसमें श्रृद्धालुओं ने अपने गुरू के आश्रम पहुंचकर शीश नवाया और पूजन किया। पूरे दिन कई जगहों पर गुरू पूजन आयोजन हुए। हालांकि अधिकांश स्थानों पर शुक्रवार को ही गुरू पूर्णिमा महोत्सव मनाया गया इसके लिए शनिवार को इतनी रौनक नहीं थी। उधर आज 25 जुलाई से सावन मास प्रारम्भ होगा। लेकिन तिथि क्षय के कारण कुछ जगहों पर शनिवार से भी श्रावण मास की शुरूआत कर दी गई गई। बताया जाता है कि 24 जुलाई आषाढ़ पूर्णिमा प्रातः 8.06 पर समाप्त होकर श्रावण माह शुरू हो गया है। ज्योतिषाचार्य का कहना है कि श्रावण मास की शुरुआत इस बार प्रतिपदा तिथि के क्षय के साथ हो रही है। इस बार श्रावण शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का भी क्षय हो रहा है। सावन प्रारम्भ होने के बाद  26 जुलाई को श्रावण माह का पहला सोमवार, 2 अगस्त को दूसरा, 9 को तीसरा 16 को चैथा सोमवार इस प्रकार इस बार 4 सोमवार रहेंगे। 22 अगस्त को रक्षा बंधन पर्व मनाया जाऐगा और श्रावण पूर्णिमा के दिन श्रावण मास समाप्त हो जाएगा।
श्रावण मास केे प्रारंभ के साथ ही शहर के शिव मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना होगी। सबसे ज्यादा भी़ड दशपुर के राजाधिराज भगवान पशुपतिनाथ के दरबार में रहती है इसी के चलते कोविड गाइड लाईन के अनुसार यहां विशेष व्यवस्था की गई है। श्रृद्धालुओं के आने और जाने के लिए अलग-अलग द्वार रहेंगे। गर्भ ग्रह में प्रवेश करने की किसी को भी अनुमति नहीं होगी। प्रवेश द्वार पर ही मास्क, सेनेटाईजेशन और तापमान मापने की व्यवस्था होगी। इसके बाद मंदिर परिसर में भी सौशल डिस्टेसिंग के साथ दर्शन कराऐ जाने की व्यवस्था की गई है। उधर सावन मास के कारण पूरे मंदिर परिसर को आकर्षक रोशनी से सराबोर किया गया है। पशुपतिनाथ मंदिर के साथ ही नगर के अनेक शिवालयों में भी कोविड गाइड लाईन के अनुसार विशेष पूजन-अर्चन का इंतजाम किया गया है। जहां श्रृद्धालु नियमों का पालन करते हुए अपने आराध्य देव की अर्चना कर सकेंगे।
श्रावण मास इतना उपयोगी क्यों
श्रावण माह से व्रत और साधना के चार माह अर्थात चातुर्मास प्रारंभ होते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार देवी सती ने अपने दूसरे जन्म में शिव को प्राप्त करने हेतु युवावस्था में श्रावण महीने में निराहार रहकर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया था। इसलिए यह माह शिव जी को साधना ,व्रत, उपवास करके प्रसन्न करने का और मनोवांक्षित फल प्राप्त करने के लिए विशेष उपयोगी मास है। श्रावण शब्द श्रवण से बना है जिसका अर्थ है सुनना। अर्थात सुनकर धर्म को समझना। इस माह में सत्संग का महत्व है। श्रावण माह में सिर्फ सावन सोमवार ही नहीं संपूर्ण माह ही व्रत रखा जाता है। श्रावण मास को पवित्र और व्रत रखने वाला माह माना गया है। पूरे श्रावण माह में निराहारी या फलाहारी भी व्रत,साधना की जा सकती है। इस माह में शास्त्र अनुसार ही व्रतों का पालन करना चाहिए। संपूर्ण माह व्रत नहीं रख सकते हैं तो सोमवार सहित कुछ खास दिनों में ब्रह्मचर्य से रहकर व्रत और यथा शक्ति दान करना चाहिए।

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