Friday, March 29th, 2024 Login Here
वर्ष 2016 में यह आंकड़ा 2 लाख 78,827 था 2019 में बढक़र 3 लाख 30,273 हो गया है
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक ओर लंबित मुकदमों की संख्या बढ़ती जा रही है, वहीं दूसरी तरफ जजों की संख्या कम हो रही है। पिछले 4 सालों में लंबित मुकदमों की संख्या 51 हजार 440 बढ़ गई। सुप्रीम कोर्ट और देश के अन्य उच्च न्यायालयों की तरह मप्र हाईकोर्ट भी जजों की कमी से जूझ रहा है।
वर्तमान में हाईकोर्ट में जजों के 19 पद खाली हैं। यह संख्या और बढ़ जाएगी क्योंकि अगले 4 माह में चीफ जस्टिस सहित 3 न्यायाधीश रिटायर हो जाएंगे। मुख्यपीठ जबलपुर सहित इंदौर एवं ग्वालियर में कुल 53 स्वीकृत पदों में से वर्तमान में 34 जज कार्यरत हैं।
2018 में 5 नाम हुए रिजेक्ट: सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2018 को हाईकोर्ट कॉलेजियम द्वारा जज के लिए अधिवक्ताओं के भेजे पांचों नाम रिजेक्ट कर दिए थे। इसके अलावा 12 फरवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा भेजे 2 न्यायिक अधिकारियों के नाम भी रिजेक्ट कर दिए। वर्ष 2018 में 7 हाईकोर्ट जज रिटायर हुए थे और इतने ही नए जजों की नियुक्ति भी हुई। वर्ष 2016 में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में 18 नए जजों की नियुक्तियां हुईं थीं, जोकि अपने आप में एक रिकार्ड था। वर्ष 2017 में एक भी नए जज की नियुक्ति नहीं हुई।
ये जज होंगे रिटायर
जस्टिस सीवी सिरपुरकर-3 मार्च
जस्टिस एचजी हुलुवड़ी- 19 मई
चीफ जस्टिस एसके सेठ- 9 जून
लंबित मुकदमों की स्थिति
जनवरी 2016-278827
फरवरी 2017- 289117
जनवरी 2018- 310124
जनवरी 2019- 330273
सीजेआई को लिखा पत्र : मध्यप्रदेश स्टेट बार काउंसिल ने देश के प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर नए जजों की जल्द नियुक्ति करने की मांग की है। काउंसिल के सदस्य राधेलाल गुप्ता ने बताया कि पिछले साल सीजेआई को दो बार पत्र लिख कर जजों की कमी की समस्या से अवगत कराया गया है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में काउंसिल ने राष्ट्रपति को भी एक पत्र लिखा है।