Friday, April 26th, 2024 Login Here
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    पर्रिकर का अंतिम संस्कार कैंपल स्थित एसएजी ग्राउंड में राजकीय सम्मान के साथ किया गया
    पर्रिकर का रविवार शाम 6.40 बजे निधन हो गया था, वे पैंक्रियाटिक कैंसर से पीड़ित थे

पणजी. गोवा के मुख्यमंत्री रहे मनोहर पर्रिकर (63) को सोमवार को यहां के एसएजी मैदान में बड़े बेटे उत्पल पर्रिकर ने मुखाग्नि दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, गृह मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई बड़े नेताओं ने उन्हें विदाई दी। रविवार शाम 6.40 बजे पर्रिकर का उनके घर पर निधन हो गया था। पर्रिकर का एक साल से पैंक्रियाटिक कैंसर का इलाज चल रहा था।
 अंतिम दर्शन के लिए सोमवार सुबह उनकी पार्थिव देह घर से भाजपा कार्यालय से लाई गई थी। इसके बाद इसे कला अकादमी में भी कुछ देर रखा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोवा पहुंचकर पर्रिकर को श्रद्धांजलि दी। मोदी ने पर्रिकर के निधन के बाद रविवार रात ट्वीट किया, 'पर्रिकर आधुनिक गोवा के निर्माता थे, उनके फैसलों ने भारतीय रक्षा क्षमताओं को बढ़ाया। उनके फैसलों ने भारतीय रक्षा क्षमताओं को बढ़ाया।'

मुख्यमंत्री बनने वाले पहले आईआईटीयन थे पर्रिकर
13 दिसंबर 1955 को गोवा के मापुसा में जन्में पर्रिकर पहले ऐसे मुख्यमंत्री थे जो आईआईटी से पासआउट थे। वे 2000-2002, 2002-05, 2012-2014 और 14 मार्च 2017-17 मार्च 2019 तक चार बार मुख्यमंत्री रहे। 2014 में जब केंद्र में भाजपा की सरकार बनी थी, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वे गोवा की राजनीति छोड़कर केंद्र की राजनीति में आएं। इसके बाद पर्रिकर को रक्षामंत्री बनाया गया था।

पत्नी का भी कैंसर से निधन हुआ था
पर्रिकर की पत्नी मेधा का 2001 में कैंसर से निधन हो गया था। उनके दो बेटे उत्पल और अभिजात हैं। उत्पल ने अमेरिका की मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। अभिजात कारोबारी हैं।

पद पर रहते हुए दिवंगत होने वाले देश के 18वें मुख्यमंत्री
पर्रिकर देश के 18वें ऐसे मुख्यमंत्री रहे जिनका पद पर रहते हुए निधन हुआ। उनसे पहले तमिलनाडु की सीएम जयललिता, जम्मू-कश्मीर के शेख अब्दुल्ला और मुफ्ती मोहम्मद सईद, आंध्रप्रदेश के वाईएस राजशेखर रेड्डी का निधन भी पद पर रहते हुए ही हुआ था। इनके अलावा गोपीनाथ बोरदोलोई (असम), रविशंकर शुक्ल (मध्यप्रदेश), श्रीकृष्ण सिंह (बिहार), बिधानचंद्र राय (प.बंगाल), मरुतराव कन्नमवार (महाराष्ट्र), बलवंत राय मेहता (गुजरात), सीएन अन्नादुरई (तमिलनाडु), दयानंद बंडोडकर (गोवा), बरकतुल्ला खान (राजस्थान), एमजी रामचंद्रन (तमिलनाडु), चिमनभाई पटेल (गुजरात), बेअंत सिंह (पंजाब) और दोरजी खांडू (अरुणाचल प्रदेश) का निधन भी पद पर रहते ही हुआ।
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