Thursday, April 25th, 2024 Login Here
मंदसौर निप्र। सरकार किसानों की कृषि उपज समर्थन मूल्य पर खरीद तो रहीं है लेकिन सरकार का कमाल ऐसा कि किसान को अपनी फसल बेचने के लिये अपने गांव से 130 किमी दूर जाना पड़ेगा ऐसे में जिस किसान की फसल 5-7 बोरी है उसे जितना मुनाफा मिलेगा उससे ज्यादा तो उसका भाड़ा लग जायेगा। बावजूद इसके किसानों की इस कठिनाई को कोई सूनने के लिये तैयार नहीं है। किसानों की इस पीढा पर मंदसौर विधायक यशपालसिंह सिसोदिया ने टवीट् र के जरिये प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ का ध्यान आकर्षित किया और तंज भी कसा कि पुत्र का मोह छोड़ कर धरती पुत्र किसानों की सुध लिजिए। तुलाई केन्द्रों की इस विसंगती को लेकर बिते दिनों सुवासरा से कांग्रेस विधायक तो धरना आंदोलन तक की चेतावनी दे चूके है। बावजूद इसके कई क्षेत्रों में अब तक अधिकारियों ने ध्यान ही नहीं दिया जिसका खामियाजा किसानों को भूगतना पड़ रहा है।
किसानों की इस पीढ़ा पर विधायक यशपालसिंह सिसोदिया ने ट्वीटर के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ का ध्यान आकर्षित किया और कहा कि मुख्यमंत्रीजी पुत्र मोह छोड़कर धरती पुत्र किसानों की सुध लिजिये। उन्होंने किसान की पीढा को विस्तार से बताते हुए कहा कि मंदसौर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम नंदावता के रहने वाले भंवरलाल जिसका कोड़ 9758693988 है। उसने अपने खेत में चना, मसूर और सरसो को बोया लेकिन उसकी फसल केवल दस बोरी है । उसने अपनी फसल को तुलवाने के लिये प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्था नंदावता में पंजीयन करवाया लेकिन उसे तुलाई के लिये अपने गांव से करीब 110 किमी दूर सुवासरा विधानसभा क्षेत्र के बर्डिया गुर्जर तक जाना पड़ेगा जबकी नंदावता से दस किमी दूर ग्राम गरोड़ा में भी वेयर हाऊस है जहां उसे अपनी गेहूॅ की फसल को तुलवाना है लेकिन जरा सी फसल को तुलवाने के लिये उसे 110 किमी की दूरी तय करनी पड़ेगी। ऐसे में फसल से उसे जितना मुनाफा मिलेगा उससे ज्यादा का खर्चा तो टेक्टर के डीजल और मानव श्रम में ही हो जायेगा उसे अपनी फसल को तुलवाने के लिये 110 किमी जाकर वापस अपने गांव आने के लिये इतनी ही दूरी तय करनी पडेगी। बावजूद इसके किसी भी जिम्मेदार का ध्यान किसान की इस तकलीफ पर नहीं है।
उल्लेखनिय है कि बिते दिनों सुवासरा क्षेत्र के विधायक हरदीपसिंह डंग भी इस मुद्दे को लेकर अपनी सरकार और उसके मुख्यमंत्री की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठा चूके है उन्होने अधिकारियों पर भी आरोप लगाकर कलेक्टेड के सामने धरना देने की चेतावनी दी थी बाद में अधिकारियों ने आश्वासन देकर उन्हें मना लिया था। बावजूद इसके किसान अभी भी परेशान है।