Saturday, April 20th, 2024 Login Here
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शिवना तट पर विधि-विधान से पूजा, घरों में भी हुआ अनुष्ठान
मंदसौर जनसांरगी।
श्राध्द का आखरी दिन सर्वपितृ अमावस्या के दिन शिवना नदी में तर्पण कर भूले-बिसरों पुरखों को यादकिया गया। विधि विधान से पिंड दान के साथ ही घरो ंमें भी विशेष अनुष्ठान, हवन इत्यादी सम्पन्न हुए। इसके साथ ही 15 दिवसीय श्राध्द पक्ष भी सम्पन्न हो गया। हालांकि श्राध्द पक्ष के अगले ही दिन नवरात्री प्रारम्भ हो जाती है लेकिन इस बार अधिक मास होने से  नवरात्र एक माह बाद प्रारम्भ होगी। कल 18 सितम्बर से अधिक मास प्रारम्भ हो जाएगा।
शास्त्राे के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों की विधिवत बिदाई दी जाती है इसके साथ ही भूले-बिसरें यानी जिन पुरखों की मृत्यु तिथी याद नहीं होती उन्हें भी आज के ही दिन याद कर अनुष्ठान किया जाता है। इसके लिये गुरूवार की सुबह शिवना नदी पर अनेक लोगों ने विधि विधान से पिंड दान और तर्पण किया। शिवना नदी के पानी में खड़े होकर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन-अर्चन किया। इसके साथ ही घरों में ही अनुष्ठान, हवन आदि के आयोजन किए गये। शास्त्रों में सर्वपितृ अमावस्या का महत्व दान-पुण्य के लिहाज से बहुत खास माना गया है। माना जाता है कि पितृ अमावस्या के दिन पितृ अपने बेटे और परपोते और अन्य परिजनों को आर्शीवाददेते हुए अपने लोक जाते हैं। घर की सारी नेगेटिव एनर्जी समाप्त हो जाती है और वास्तुदोष में कमी आती है।
उल्लेखनीय है कि शिवना नदी के घाट पर विशु अग्रवाल मित्र मंडल द्वारा पंडित राकेश भट्ट के सानिध्य में पिछले 15 वर्षों से 16 दिवसीय श्राध्द व तर्पण क्रिया की जाती है व सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राध्द,तर्पण व प्रायश्चित हवन किया जाता है।अमावस्या के दिन सर्वप्रथम पिंड पूजन किया गया ,व नदी में तर्पण किया गया उसके बाद नान्दी श्राध्द किया गया व उसके बाद प्रायश्चित हवन किया गया। पंडित राकेश भट्ट ने बताया कि पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके तर्पण के निमित्ता श्राध्द किया जाता है. यहां श्राध्द का अर्थ श्रध्दा पूर्वक अपने पितरों के प्रति सम्मान प्रकट करने से है. श्राध्द पक्ष में अपने पूर्वजों को  16 दिनों  तक तर्पण किया जाता  है. इस अवधि को पितृ पक्ष अर्थात श्राध्द पक्ष कहते हैं. हिंदू धर्म में श्राध्द का विशेष महत्व होता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जब सूर्य का प्रवेश कन्या राशि में होता है तो उसी दौरान पितृ पक्ष मनाया जाता है. पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में तर्पण और पिंडदान को सर्वोत्ताम माना गया है।विश्व मोहन अग्रवाल ने बताया कि मान्यता है कि इस समय पूर्वज पृथ्वी पर होते हैं, इसलिए पितृपक्ष में उनका श्राध्द करने से वे अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैंद्यहिन्दू ज्योतिष के अनुसार भी पितृ दोष को सबसे जटिल कुंडली दोषों में से एक माना जाता है। ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार देवताओं को प्रसन्न करने से पहले मनुष्य को अपने पितरों यानि पूर्वजों को प्रसन्न करना चाहिए. माना जाता है जिनके पूर्वज प्रसन्न होते हैं उनके जीवन में किसी प्रकार के कष्ट नहीं होते हैं।
आज से पूरा महिना होगी भक्ति
श्राध्द पक्ष सम्पन्न होते ही आज से अधिकमास प्रारम्भ हो जाएगा। इसे पुरूषोत्तम मास भी कहा जाता है। ये महिना भगवान विष्णु और शिव का महिना है।पूरे एक महिने तक यह चलेगा जिसमें दान-पुण्य का अधिक महत्व बताया गया है।मांगलिक प्रसंग विवाह, गृह प्रवेश आदि कार्यो के अलावा किसी भी अन्य कार्य के लिये अधिक मास में मनाही होती हैं। इसमें भी 15 दिन महत्वपूर्ण माने जाते है। इन दिनों में भगवान की भक्ति और धार्मिक अनुष्ठान का पूर्ण फल मिलता है ।
अधिकमास में मंदसौर में स्थित गोवर्धनाथजी मंदिर में पूरे महिने विशेष आयोजन किये जाते है।हालांकि इस बार कोरोना का संक्रमण है लेकिन सावधानियों के साथ श्रृध्दालुओं को विशेष दर्शन कराने के लिये मंदिर समिति ने इंतजाम किये है। इससे पहले मंदिर परिसर को भी आकर्षक विघुत सज्जा के साथ सजाया गया है।
Chania