Friday, April 19th, 2024 Login Here
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केवल कागजों में प्रतिबंध नहीं बचा पा रहा पक्षियों की जान
मंदसौर जनसारंगी।

कल मकर संक्राति का पर्व है जिसमें चायनिज मांजे का उपयोग भी होता है इसे रोकने के लिए प्रशासन ने कागजों में चाइना डोर पर प्रतिबंध लगा दिया है लेकिन हकीकत की जमी से आसमान में रोज चायनिज मांजे से पतंगे उड़ रहीं है जो पक्षियों की जान पर आफत बनी हुई है। मांझे से घायल होकर मंगलवार को नई आबादी कंबल केनद्र रोड़ स्थित एक मकान की छत पर खून से लथपथ कबूतर आ गिरा ऐसे में समाजसेवी कृष्णराव भाले ने जब छत पर खून से लथपथ व मांझे में उलझो कबूतर को तड़पते देखा तो तत्काल पक्षी प्रेमी व सामाजिक कार्यकर्ता ओम बडोलिया को सूचना दी।
युवा दिवस पर पक्षि और पशु पे्रेमी ओम बडोलिया ने मुक पक्षियों की सेवा की मीसाल पेश की उन्होंने खून से लथपथ पक्षी के बारे में जैसे ही जानकारी मिली चंद मिनटों में ही वे वहां पहुंच गये और घायल कबूतर को पहले चाईना मांझे की उलझन से निकाला और उसके शरीर के घाव से खून साफ किया और उसका दवाई छिड़कर पूरा उपचार किया। कबूतर के उपचार हेतु उपयोग में आने वाली दवाओं का खर्च में से कुछ राशि भाले ने देने की पहल की इस पर बडोलिया ने मना कर दिया और एक बार फिर पशु प्रेम को सार्थक किया। उल्लेखनिय है कि इससे पहले उन्होने सबसे पहले बर्ड फ्लु से लगातार कबुतरों की मौत का मामला उठाया था और उससे पहले घायल ऊंट को भी उपचार के लिए राजस्थान भिजवाएं जाने की पहल की थी।

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