Friday, March 29th, 2024 Login Here
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पाॅजीटिव मरीजों के परिजन नहीं हो रहे होम कोरेन्टीन, बड़े अस्पताल के बाहर आवाजाही
मंदसौर जनसारंगी।

 कोरोना कहर को देखते हुए कोरोना कफ्र्यू जरुर लगाया गया है, लेकिन धरातल पर लोग इसका पालन करने को तैयार नहीं। दुकान का आधा शटर खोलकर व्यापार किया जा रहा है तो बेवजह घूमने से लोग बाज नहीं आ रहे। यहां तक ठीक है, लेकिन कोरोना संक्रमित मरीज भी खुलेआम सडकों पर घूम रहे हैं। विशेषकर जिला अस्पताल के बाहर साक्षात कोरोना बम घूम रहे है। अंदर मरीज भर्ती है और बाहर परिजन घूम रहे हैं और कई मरीज तो जिन्हें कोई लक्षण नहीं है उनके किसी परिजन की गंभीर स्थिति में वे भी उनके साथ है लेकिन अस्पताल से बेरोक टोक बाहर आ जा रहे है। ऐसे में प्रशासन की होम क्वारंटाईन करने की प्रक्रिया आदेशों तक सीमित रह गई है। घर के बाहर पर्चा लगाने तक कार्रवाई कर इतिश्री की जा रही है। मंदसौर में बढ़ते कोरोना के पीछे भी यह एक प्रमुख कारण है।
मंदसौर जिले में कोरोना का कहर थम नहीं रहा है, फिर भी लापरवाही कम नहीं हो रही है। अभी भी कोरोना संक्रमितों के मामले प्रतिदिन बढ़ ही रहे हैं। अप्रैल में ही मरीजों का आंकड़ा ढाई हजार पार पहुंच गया। जबकि चर्चा है कि मई कोरोना के लिए पिक समय होगा। संक्रमित मरीजों की संख्या ज्यादा होने से स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्थाऐ ध्वस्त होने की स्थिति में है। बावजूद इसके  लोग बाजारों में घूमना नहीं छोड़ रहे हैं। सब्जी विक्रेताओं को काॅलोनी व मोहल्लों में घूमने की छूट मिली है पर वे एक जगह मंडी लगा रहे हैं। अस्पतालों में मौतों का सिलसिला कम नहीं हो रहा है। गुरुवार को भी शहर के मुक्तिधाम पर कुल 31 अंतिम संस्कार हुए ।सबसे ज्यादा गंभीर बात यह है कि कोरोना संक्रमित मरीज भी बाजार में घूम रहे हैं। यहीं कारण है कि कोरोना संक्रमितों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है।
सब्जी भी ले रहें, दूध की दुकान पर भी पहुंच रहे
यहां मजबूरी कहे या लापरवाही, कोरोना मरीज के परिजन लोगों के लिए खतरा बन रहे हैं। कोरोना संक्रमित होने के बाद मरीज को कोविड सेंटर या अस्पताल में भर्ती कराया जाता है। इसके बाद उसके लिए अटेंडर के रूप में कोई रिश्तेदार या मित्र इस कोरोनाकाल में मौजूद रहे, यह संभव नहीं। कोई भी अपने या अपने परिवार को संकट में नहीं डाल सकता। ऐसे में परिजनों को ही अटेंडर के रूप में भूमिका निभाना पड़ रही है। ऐसे में खुद की कोरोना जांच कराकर परिजन अस्पताल के बाहर घूम रहे हैं। घर के लिए सब्जी लेने पहुंच रहे हैं तो मरीज के लिए दूध या नारियल पानी। इधर बेवजह बाहर घूम रहे लोग कहीं न कहीं इन मरीजों के संपर्क में जरुर आ रहे हैं। यहीं कारण है कि संक्रमितों का आंकड़ा कम नहीं हो रहा।
न बेरिकेड्स, न होम क्वारंटाईन
पिछली बार हमने कोरोना को 72 दिन में लगभग पटकनी दे दी थी। इसका कारण है कि जगह जगह प्रशासन ने बेरिकेड्स लगाए। बेवजह घूमने वालों पर सख्त कार्रवाई की गई। पुलिस प्रशासन के डर से लोग घरों के बाहर नहीं निकल पाए। लेकिन इस बार न बेरिकेड्स है और न सख्ती। वहीं होम क्वारंटाईन की बात करें तो सिर्फ घर के बाहर कागज चिपकाने तक कार्रवाई सीमित रह गई है। होम क्वारंटाईन मरीज जांच रिपोर्ट आने से पहले ही घर के बाहर निकल रहे हैं।
इंजेक्शन तक नहीं मिलेगा अस्पताल में
लोग इस बात को भूल रहे हैं कि संक्रमित होने के बाद अगर रेडमिसीविर इंजेक्शन की जरुरत हुई तो कोई बडे से बडी पहुंच वाला  भी उपलब्ध नहीं करवा पाएगा। इंजेक्शन और आक्सीजन के अभाव में कई लोग दम तोड़ चुके हैं। जिला अस्पताल में भर्ती लगभग 320 से अधिक मरीजों को सबसे ज्यादा जरूरत इस समय आक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन की है। आक्सीजन की कमी जैसे-तैसे पूरी हो रही है और रेमडेसिविर भी कम आ रहे हैं। जबकि इसकी जरूरत लगभग 80 प्रश मरीजों को है। आक्सीजन के लिए प्रशासन का अमला काफी मेहनत कर रहा है। जहां भी सूचना मिल रही है, सिलिंडर रिफिल कराए जा रहे हैं।
लापरवाह लोग, मास्क भी नहीं पहन रहे
सीएम ने भले ही सार्वजनिक रुप से मास्क नहीं पहनने वाले लोगों पर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं पर बताया जा रहा है कि पुलिस को विशेष आदेश है कि किसी पर भी डंडा नहीं चलाया जाए। इसी कारण जिले में प्रशासन कोई खास कार्रवाई नहीं कर रहा है। पिछले साल लंबा लाकडाउन झेलने के बाद भी लोग सीख लेने को तैयार नहीं हैं। कोरोना कर्फ्यू की घोषणा के बाद भी बाजार में बिना वजह घूमने वाले लोगों की संख्याी कम नहीं है। तरह-तरह के बहाने बनाकर लोग खासकर युवा बाजार में आ रहे हैं।

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