Friday, March 29th, 2024 Login Here
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सवा साल में 1248 से ज्यादा मौते, अप्रेल में 307 और मई में 138 लोग हो गए कालकवलित
सरकारी आंकडा 63 पर अटका लेकिन इसके बीस गुना हो चूके है दांह संस्कार

मंदसौर जनसारंगी। लोकेश पालीवाल

मंदसौर में कोरोना के तांडव की हकीकत को मंदसौर का अकेला शमशान सच्चाई बयां कर रहा है। सवा साल में 1248 लोगों की मौतें हो चूकी है इसमें सबसे ज्यादा मौतों का भयावह आंकडा इस साल मार्च, अप्रेल और मई के केवल 6 दिनों में आ रहा है। प्रशासन के आंकड़े चाहे जो आऐ लेकिन सच्चाई कुछ और हीं है। यह केवल मुक्तिधाम का आंकडा है अभी कब्रस्तान और मंदसौर से बाहर जाकर काल कवलित होने वालों की संख्या अलग है। लेकिन मंदसौर के मुक्तिधाम की ही तस्वीर जो सामने आ रहीं है वह डराने वाली है। हालांकि दैनिक जनसारंगी का उद्देश्य डर फैलाना नहीं है लेकिन यह हमारा दायित्व भी है कि मंदसौर की हकीकत को जनता के सामने लाया जाऐ ताकी जनता जागरूकता दिखाऐ और कोरोना से बचने के लिए नियमों का पूरा पालन करते हुए खुद और परिवार की सुरक्षा का ध्यान रखे।
भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर संकट में बदल चुकी है। अस्पताल भर चुके हैं, ऑक्सीजन सप्लाई कम पड़ रही है, मरीज व्यवस्थओं का इंतजार करते हुए दम तोड़ रहे हैं। मृतकों की वास्तविक संख्या सरकारी आंकड़ों से बहुत ज्यादा है। मंदसौर के मुक्तिधाम के पिछले सवा साल के जो आंकड़े आऐ है वास्तव में वह विचलित कर देने वाले है। नऐ मामलें कम नहीं हो रहे है, मौत की संख्या हर दिन बढ़ रहीं है। पिछले साल  22 मार्च को कोरोना से बचने के लिए जनता कफ्र्यू और उसके बाद लाॅकडाउन लगाया गया था लेकिन मंदसौर में कोरोना पाॅजीटिव पहला मामला अप्रेल की शुरूआत में आया था। लेकिन यह इतना भयावह नहीं था। जिलेवासी पाॅजीटिव आ रहे थे लेकिन ठीक होकर घर भी जा रहे थे। साल 2020 के अप्रेल के पूरे महिने में मंदसौर के मुक्तिधाम पर 44 लोगों के दांह संस्कार हुए थे जो सामान्य हीं थे लेकिन इस साल 2021 अप्रेल का जो आंकडा सामने आ रहा है वह डरा देने वाला है। पिछले साल के मुकाबले इस बार मौतों की संख्या सात गुना तक पहुंच गई हैं । अकेले अप्रेल में 307 लोगों की मौत हुई है। इससे भी भयावह तस्वीर मई की शुरूआत की आ रहीं है जिसमें साल 2020 की मई में केवल 50 लोगों की मौत हुई थी लेकिन इस साल 2021 में मई के 6 दिनों में ही 138 लोगों के अंतिम संस्कार मुक्तिधाम पर हो चूके है। अभी मंदसौर के कब्रस्तान और मंदसौर से बाहर दाह संस्कार होने वालों की जानकारी इसमें शामिल नहीं की गई है। मंदसौर के मुक्तिधाम से मिली जानकारी में यह बात साफ हो रहीं है कि मौतों की सहीं संख्या सरकारी आंकडों से बहुत ज्यादा है।कोरोना की शुरूआत से लेकर अभी तक केवल 63 लोगों की मौत सरकारी आंकडा बता रहा है लेकिन मुक्तिधाम की सच्चाई यह है कि सवा साल में 1248 लोगों की मौत हो चूकी है। हालांकि सभी मौते कोरोना से नहीं हुई है लेकिन करीब 90 प्रतिशत शवों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकाॅल के तहत ही किया जा रहा है।
बड़ी संख्या में हो रहीं मौतों की अनदेखी मंदसौर के लिए भयावह हो सकती है। क्योंकि मंदसौर में अभी भी हालात काबू नहीं हो पाऐ है। हर दिन पाॅजीटिव मरीजों की संख्या सौ के पार आ रहीं है। जिसके चलते अभी तक 7 हजार 305 पाॅजीटिव मामलें सामने आ चूके है। मौत का सरकारी आंकडा भले ही 63 पर अटका है लेकिन वास्तव में इससे 20 गुना अंतिम संस्कार अकेले मंदसौर के मुक्तिधाम में हो चूके है जो मंदसौर के असल हालातों की सच्चाई को बयां कर रहे है। मंदसौर के जानकारों के मुताबिक शहर के मुक्तिधाम में कभी भी इतने दांह संस्कार नहीं हुए है जो कोरोना की भीषण आपदा के बीच हो रहे है। मुक्तिधाम का आलम यह है कि एक चिंता ठंडी नहीं हो रहीं है और दूसरा शव अंतिम संस्कार के लिए पहुंच रहा है। एक दिन में 25 से ज्यादा शव के अंतिम संस्कार हो रहे है जिसके कारण परिसर छोटा पड़ गया। अंतिम संस्कार के लिए नपा की 70 लोगों की टीम 18 घंटे तक जूटी है बावजूद इसके व्यवस्थाएं कम पड रहीं हैं।
सुबह 8 से रात 11 बजे तक अंतिम संस्कार
मंदसौर के मुक्तिधाम में शव के अंतिम संस्कार में लगातार सेवाएं दे रहे समाजसेवी सुनिल बंसल के मुताबिक बडी पुलिया स्थित मुक्तिधाम पर सुबह 8 बजे से शव आन का सिलसिला शुरू हो जाता है तो देर रात 11 बजे तक चलता रहा हैं। अन्न क्षेत्र न्यास कमेटी द्वारा संचालित इस मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार के लिए जगह कम पड़ती देख परिसर को और बडा किया गया। पहले 75 चिताएं जल सकती थी लेकिन अभी की स्थिति में सौ शवों की राख यहां पड़ी है और 125 अंतिम संस्कार और किए जा सके इतनी व्यवस्था की गई है। कमेटी ने लकडी और कड्डों की भी पर्याप्त व्यवस्था जुटाई है जिसे अंतिम संस्कार के लिए निःशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है।
रात में चिता नहीं जलाने की मान्यता भी भूले
हिंदू धर्म की मान्यता के मुताबिक दिन ढलने के बाद चिता को आग नहीं लगाते। लेकिन कोरोना के चलते लगातार हो रही मौत को देखते हुए परिजनों ने आप इस मान्यता को दरकिनार करते हुए रात में भी अंतिम संस्कार करना शुरू कर दिया। क्योंकि कोरोना प्रोटोकाॅल के मुताबिक मौत के तत्काल बाद अंतिम संस्कार करना जरूरी होता है ऐसे में रात 10 बजे तक भी कोई मौत हो जाती है तो कोशिश होती है कि उसका अंतिम संस्कार तत्काल कर दिया जाऐ। इसके बाद के शव को पीएम कक्ष में लगे फ्रीजर में रखा जाता है और सुबह जल्दी उनका अंतिम संस्कार करवाया जाता है।


पिछले साल और इस साल के तीन महिनों में मौत के आंकड़े
महिना मृत्यु 2020 मृत्यु 2021 में
मार्च 46 66
अप्रेल 44 307
मई 50 138
मार्च 2020 से अभी तक हुई मौते
मार्च 20 46
अप्रेल 20 44
मई 20 50
जून 20 53
जुलाई 20 55
अगस्त 20 80
सितम्बर 20 93
अक्टूबर 20 60
नवम्बर 20 77
दिसम्बर 20 70
जनवरी 21 69
फरवरी 21 38
मार्च 21 66
अप्रेल 21 307
मई 21 के छह दिन 138

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