Thursday, March 28th, 2024 Login Here
नपा और स्वास्थ्य विभाग ने मिलकर बनाई थी योजना, धरातल पर नहीं उतरी
मंदसौर जनसारंगी।
नगरपालिका और स्वास्थ्य विभाग की कचरे से खाद बनाने की योजना धरातल पर नहीं उतर पाई। बात करें स्वास्थ्य विभाग की तो जिला अस्पताल परिसर में स्वास्थ्य विभाग ने 70 हजार रुपए खर्चकर कंपोजिट पिट बनाया और दो कर्मचारियों को खाद बनाने की ट्रेनिंग भी दी थी। पर नतीजा वहीं ढाक के तीन पात ही रहा है। इधर नगर पालिका ने भी पांच बगीचों में पिट बनाए लगभग दो लाख रुपए खर्च भी किए, परिणाम कुछ नहीं निकला। यहां भी पिट डस्टबिन बनकर रह गए हैं।
जिला अस्पताल से निकलने वाले कचरे जिनमें फल, सब्जी के छिलके, झूठन, पेड़ों के पत्ते, धूल-मिट्टी सहित अन्य प्राकृतिक चीजों को कम्पोजिट पिट में डालकर जैविक खाद तैयार करने की योजना तीन साल बाद भी अधूरी ही है। यहां बनने वाली खाद को अस्पताल परिसर के बगीचों के पेड़-पौधों के साथ ही अन्य जगह उपयोग करना था। इससे अस्पताल प्रबंधन का खाद पर होने वाला खर्च भी बचता और जैविक खाद के उपयोग से वातावरण भी शुद्घ होता, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो पाया। स्वच्छता मिशन में जिला अस्पताल प्रबंधन ने 70 हजार रुपए में कम्पोजिट पिट और कचरा घर बनाने पर खर्च किए। स्वास्थ्य विभाग के इंजीनियर बृजेंद्रसिंह ने 17 अक्टूबर 2017 को कचरा घर एवं कंपोजिट पिट (खाद बनाने का स्थान) तैयार कर दिया। इसमें अस्पताल से निकलने वाले कचरे को दो भागों गीला एवं सूखा कचरा में बांटकर जैविक खाद तैयार करना थी। पिट तैयार होने के लगभग दो साल बाद भी उपयोग नहीं हो रहा है। इस दौरान वाहन की टक्कर से पिट की दीवार ही क्षतिग्रस्त हो गई। इस कारण पिट का उपयोग नहीं हो सका है।
नपा ने पांच जगहों पर बनाए थे पिट
नगर पालिका ने एक लाख रुपए खर्च कर शहर के पांच बगीचों एवं पशुपतिनाथ मंदिर परिसर में कंपोजिट पिट तैयार कराए थे। इनमें से पशुपतिनाथ मंदिर परिसर के पिट में कभी खाद बनी ही नहीं। अन्य बगीचों में खाद बनाने और उसके उपयोग के लिए नपा का उद्यान अमला निष्क्रिय बना हुआ है। दशपुर कुंज में बने पिट में खाद तैयार हुई। यहां पिट खाद से भरे, लेकिन महीनों तक इनमें से खाद नहीं निकाली गई। इसके बाद यहां भी अन्य जगहों जैसा हश्र हो गया।
इस तरह बनती है कचरे से खाद
कंपोजिट पिट में गोबर का छिडकाव करने के बाद सूखा कचरा, पत्ते, फूल, सब्जी, फलों के छिलके डाले जाते हैं। फिर पानी का छिडकाव कर गीला कचरा डालकर मिट्टी और गोबर का छिडकाव किया जाता है। इस तरह पूरे पिट को कचरे से भरकर, मिट्टी की परत बनाकर छोड़ देते हैं। नमी बनाए रखने के लिए पानी का छिडकाव करते रहते हैं। जैसे-जैसे खाद तैयार होती जाती है वैसे-वैसे कचरा नीचे बैठता जाता है। तीन माह में एक बार खाद तैयार हो जाती है।