Wednesday, April 24th, 2024 Login Here
--लोकेश पालीवाल--
आखिर जिसकी आशंका थी वहीं हो रहा है। आतंक के खिलाफ भारत की सेनाओं ने जिस तरह से अपना पराक्रम दिखाया है,भारत की सरकार ने जिस कूटनीति से काम किया है उससे विश्व की सबसे ताकतवर शख्सियत अमेरिका सहित भारत का एक दुश्मन पड़ोसी चायना तक भारत की आतंक के खिलाफ की गई कार्यवाहींके समर्थन में खड़ा है। यह सेना के पराक्रम का ही भय था, सरकार की कूटनीतिक विजय थी कि वायु सेना का पायलट 56 घंटोंमें ही सुरक्षित भारत को सौप दिया गया । जिस सैन्य कार्यवाहीं से पूरे देश की जनता उत्साह से भरी पड़ी है, सैना की कार्यवाही का समर्थन कर रहीं है। जिस कार्यवाहीं पर पूरा विश्व भारत के साथ खड़ा है, उस पर हमारे ही देश में सवाल उठ खड़े हो रहे है? सेना की कार्यवाहीं के एक बार फिर से प्रमाण मांगे जा रहे है। आतंक को मजबूत बनाने वाले पड़ोसी देश की तारिफे की जा रहीं है जरा विचार तो किजिये दिग्विजय साहब कि आपके राग से देश का कौन सा भला होने वाला है? क्या यह माना जा सकता है कि पाकिस्तान शांति के प्रति अपनी प्रतिबध्दता दिखा रहा है ?
यह पहला मौका नहीं है जब प्रदेश की सरकार में सुपर सीएम के रूप में ख्यात हो रहे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह ने बिगड़े बोल बोले हो इससे पहले वे भारत के अभिन्न अंग कश्मिर को भारत अधिकृत कश्मिर बोलने से भी नहीं चूके है, आतंकी हाफिज सईद को हाफिज जी बोलने से भी नहीं चूके है, ओसामा बिन लादेन को ओसामाजी कहकर सम्मानित करने से भी नहीं चूके है। और तो और मंदसौर के किसान आंदोलन, व्यापम, नर्मदा किनारे पौध रोपण और सिंहस्थ के मामलें में अपनी ही सरकार के जवाब पर उन्होने सवाल उठाकर मंत्रियों को कठघरे में खड़ा कर दिया लेकिन वे यह भूल गए कि सिंहस्थ मामलें में जवाब देने वाले नगरीय प्रशासन मंत्री की जिम्मेदारी उनके ही पुत्र प्रदेश में संभाल रहे है । हालांकि उनके इन वचनों से उनकी ही पार्टी किनारा कर लेती है लेकिन सवाल सोचने को मजबूर कर रहा है आखिर क्यों देश की सबसे पूरानी पार्टी जिसने देश की स्वतंत्रता मे अपना अहम् योगदान दिया वह इन आत्मघाती बयानों पर आत्ममंथन नहीं करती है वह भी तब जब किसी समय प्रदेश के घाघ राजनीतिज्ञ कहें जाने वाले दिग्विजयसिंहजी की यह छिछालेदार बयानबाजी पार्टी की ही छिछालेदारी करती हो ।
सरकार की विकास योजनाओं में कमियां निकालकर उनका विरोध किया जाना निश्िचित ही विपक्ष का धर्म होता है, उसमें कमियां निकालनी चाहिये उस पर पूरी ताकत से सरकार को घेरना चाहिये लेकिन क्यां हम देश की सुरक्षा, अखंड़ता के मुद्दे पर भी विरोध करेगें, हमारे बहादूर जवानों के शौर्य, उनके पराक्रम पर सवाल खड़े करेगें जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिये अपने आप को होम कर दिया है, जिन्होने इस देश की मिट्टी को ही अपना परिवार मान लिया है। सोचना चाहिये? यदि पाकिस्तान शांति के प्रति जरासा भी समर्पित होता तो जेश-ए- मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन का पनाहगार नही होता । दिग्विजयसिंह के इमरानजी यदि वास्तव में शांति के पक्षधर है तो उन्हें जेश सरगना मसूद अजहर को सुरक्षित ठिकाने से निकालकर भारत के हवाले करवाना चाहिए तभी दिग्विजयसिंह की बातों में कुछ सच्चाई हो सकती है ।
केवल भारत ही नही पूरी दुनिया जानती है कि हमारे जाबाज पायलट अभिनंदन को रिहा करने के फैसले के पीछे पाकिस्तान का मुल मकसद दुनिया को अपना नकली चेहरा दिखाना और अंतर्राष्टीय दबाव से मुक्त होना ही होगा वह भारत के आक्रामक तेवर से अपना पीछा छुड़ाना चाह रहा होगा ऐसे में हमारे देश के तथा-कथित नेताओं को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को इमरानजी कहने का राग छोड़ना चाहिए जिस देश की सेना के पराक्रम से हमारे दुश्मन पड़ोसी भी कांपते हो उनकी काबिलियत पर सवाल उठाना छोड़ना चाहिए और आतंक के खिलाफ लड़ाई में सबको साथ मिलकर काम करना चाहिए तभी इस देश से आतंक का सफाया हो सकता है ।