Thursday, May 2nd, 2024 Login Here
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कोरोना वायरस के संक्रमण को थामना एक ऐसा राष्ट­ीय यज्ञ बनना चाहिए, जिसमें हरेक को अपने नागरिक- दायित्व की आहुति डालनी ही है। कोरोना वायरस के संक्रमण से उपजा संकट कितना गंभीर हो गया है, इसका पता उससे लड़ने के लिए नित-नए उपायों की घोषणा के साथ-साथ प्रधानमंत्री की ओर से देश के नाम संदेश से भी हो रहा है। यह आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य है कि सभी लोग इस संदेश को सही तरह समझें और एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर अपेक्षित दायित्वों का निर्वहन गंभीरता से करें। कोरोना वायरस से उपजी कोविड-19 नामक बीमारी वास्तव में एक ऐसी महामारी है, जिससे लड़ाई में हर किसी का सहयोग आवश्यक है। यह न तो आसान लड़ाई है और न ही इसे केवल सरकार के भरोसे रहकर जीता जा सकता है। यह भूल भी नहीं की जानी चाहिए कि केवल बड़े शहरों के लोगों को ही सावधान रहने की जरूरत है। इस संकट से बचने में तो देश के हर एक नागरिक का योगदान चाहिए- चाहे वह शहरी हो या ग्रामीण। वास्तव में देश के भीतर कोरोना वायरस के संक्रमण को थामना एक ऐसा राष्ट­ीय यज्ञ बनना चाहिए, जिसमें हर एक को अपने नागरिक दायित्व की आहुति डालनी ही है। चूंकि अब यह किसी से छिपा नहीं कि किसी एक व्यक्ति की लापरवाही पूरे समुदाय पर भारी पड़ सकती है, इसलिए हर किसी को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह खुद तो सतर्क रहे ही, दूसरे लोग भी पर्याप्त सतर्कता बरतें। साफ-सफाई और सेहत के प्रति सतर्कता में कमी अथवा भीड़-भाड़ से बचने में लापरवाही वैसे भयावह हालात पैदा कर सकती है, जैसे इटली में देखने को मिल रहे हैं। ध्यान रहे कि इटली कम आबादी वाला देश है और उसका स्वास्थ्य ढांचा भी कहीं अधिक समर्थ है। यह ठीक नहीं कि खतरा सामने दिखने और उसके लगातार गंभीर होते जाने के बाद भी कुछ लोग संकट की गंभीरता को समझने से इन्कार कर रहे हैं। यह आपराधिक लापरवाही ही नहीं, हद दर्जे की मूर्खता भी है कि कोरोना वायरस से संक्रमित कुछ मरीज अस्पताल से भाग जा रहे हैं या फिर खुद को अलग-थलग करने में आनाकानी कर रहे हैं। ऐसे लोग खुद को मुसीबत में डालने के साथ ही एक तरह से पूरे देश के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। निरूसंदेह इसी श्रेणी में वे लोग भी गिने जाएंगे, जो यह चाह रहे हैं कि हवाईअव्े या फिर अस्पताल में उनके साथ अति विशिष्ट व्यक्तियों सरीखा व्यवहार किया जाए। जब सरकारी तंत्र और खासकर स्वास्थ्य तंत्र के लोग कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं, तब उनका सहयोग करना हम सबका नैतिक धर्म बनना चाहिए। समय की मांग है कि यह भाव राष्ट­ीय संकल्प बने कि हम सब मिलकर इस संकट को परास्त करेंगे और देश-दुनिया में एक मिसाल कायम करेंग
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