Thursday, May 2nd, 2024 Login Here
आईपीएल क्रिकेट सट्टे में फरार आरोपी पायलट गिरफ्तार पिकअप में तरबूज के नीचे 11 बैग में भरकर रखा 159 किलो डोडाचूरा जब्त, एक गिरफ्तार भाजपा की मोदी सरकार में सडकों के आधुनिकरण ने गांवो की तस्वीर बदल दी 500 वर्षो के संघर्ष के बाद भगवान राम को विराजित किया मोदी सरकार नें लोकतंत्र का आकाशदीप से जगमगाया मंदसौर शहर कार से 120 किलो डोडाचूरा जप्त, आरोपी गिरफ्तार कार से डेढ किलों अफीम के साथ पंजाबी गिरफ्तार गोली चलने के 24 घंटे बाद भी नहीं लगा हमलावरों का पता मंदसौर संसदीय क्षेत्र में साकार हुआ विकास का नारा, योजनाओं का मिला लाभ धनीये के बोरो के नीचे छिपाकर ले जाया जा रहा डोडाचुरा जप्त मन्दसौर जिले के 5 समेत इंदौर में 8 मुस्लिमों ने अपनाया हिन्दू धर्म पिकअप की टक्कर से बाइक पर सवार महिला की मौत महाराणा प्रताप बस स्टैंड पर व्यावसायिक परिसर में आगजनी हिन्दू संगठन कार्यकर्ताओं ने रोके गौवंश से भरे 47 ट्रक, 596 गौवंश बरामद, 100 से अधिक आरोपी पुलिस हिरासत में महिला , किसान, युवा, गरीब के लिए काम किया भाजपा की सरकार ने


प्रधानमंत्री मोदी ने लेह पहुंचकर वहां तैनात जवानों का मनोबल तो बढ़ाया ही, चीन के विस्तारवादी मंसूबों पर खूब प्रहार भी किए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यकायक लेह पहुंचकर केवल वहां तैनात जवानों का मनोबल ही नहीं बढ़ाया, बल्कि उन्होंने चीन को यह सख्त संदेश भी दिया कि भारत उसकी अतिक्रमणकारी हरकतों का मुंहतोड़ जवाब देने को तैयार है। यह अच्छा हुआ कि चीन ने उनके इस संदेश को ग्रहण करने के साथ ही उनके इस कथन पर अपनी प्रतिक्रिया भी व्यक्त की कि विस्तारवाद की सनक सदैव विश्व शांति के लिए खतरा होती है। हालांकि प्रधानमंत्री ने चीन का नाम लिए बगैर उसे विस्तारवादी बताया, लेकिन चीनी सत्ता को यह समझते देर नहीं लगी कि दरअसल उसके ही नापाक इरादों को रेखांकित कर उसे विश्व शांति के लिए खतरा बताया जा रहा है। साफ है कि चोर अपनी दाढ़ी का तिनका खोजने लग गया। चीन के विस्तारवादी इरादों की पोल खोलने वाले बयान पर चीनी विदेश मंत्रालय का यह कहना न केवल हास्यास्पद, बल्कि दुनिया की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश भी है कि किसी पक्ष को ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए, जिससे हालात बिगड़ें। आखिर यह चीन ही है, जो लद्दाख सीमा पर यथास्थिति बदलने की कोशिश कर रहा है। यदि उसने अतिक्रमणकारी रवैया नहीं अपनाया होता तो सीमा पर तनाव ही क्यों होता? यह अहंकारी चीनी सत्ता की सनक ही है कि वह उस गलवन घाटी को अपना बता रही है जिसका नामकरण एक भारतीय के नाम पर हुआ।

चीन को इससे भी मिर्ची लगी कि उसे बिना किसी लाग-लपेट विस्तारवादी कहा गया, लेकिन सच्चाई तो यही है कि वह एक शातिर जमीनखोर देश है। दूसरे देशों की जमीन पर फर्जी दावा करना और फिर छल-छद्म से उस पर कब्जा करना उसकी पुरानी आदत है। जमीनखोरी की उसकी इस गंदी आदत से केवल भारत ही नहीं, उसके अन्य पड़ोसी भी त्रस्त हैं। अब तो पूरी दुनिया इससे अच्छी तरह परिचित है कि वह किस बेशर्मी के साथ अपने पड़ोसी देशों की जमीनों को निगलने की कोशिश करता है। चीन हांगकांग की स्वतंत्रता का जिस बर्बर तरीके से दमन करने में जुट गया है, उससे दुनिया को यह भी पता चल गया कि उसके लिए कोई अंतरराष्ट्रीय समझौता मायने नहीं रखता। आखिर ऐसे देश पर कोई भरोसा कैसे कर सकता है? भारत तो बिल्कुल भी नहीं कर सकता, क्योंकि गलवन घाटी में चीन ने जो कुछ किया, वह भरोसे का खून ही है। पाखंडी चीन इस धोखेबाजी की कीमत चुकाए, इसके लिए भारत को हर संभव उपाय करने चाहिए। भारत को अपने विकल्पों का दायरा बढ़ाना चाहिए ताकि चीन इसका अनुमान न लगा सके कि उसके खिलाफ क्या कुछ किया जा सकता है? उसे यह पता चलना ही चाहिए कि उसने गलती कर दी है।

Chania